पटना साहिब से फिल्मी सितारे ओझल, रविशंकर और अंशुल के बीच सियासी जंग

पटना,
 बिहार की सर्वाधिक हाई प्रोफाइल संसदीय सीटों में शामिल पटना साहिब में फिल्मी दुनिया के चमकते सितारों से इतर दो राजनीतिक परिवार के सदस्य पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अंशुल अभिजीत के बीच सियासी जंग देखने को मिलेगी।

बिहार की पटना साहिब में डेढ़ दशकों में यह पहली बार है, जब कोई भी फिल्मी सितारा इस सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है। वर्ष 2008 तक पटना में सिर्फ एक लोकसभा सीट हुआ करती थी लेकिन परिसीमन के बाद यहां दो सीटें हो गईं। एक पाटलिपुत्र (शहर के प्राचीन नाम पर आधारित) और दूसरी पटना साहिब। पटना साहिब सीट पर वर्ष 2009 से वर्ष 2019 तक के चुनाव में फिल्मी दुनिया के कई चमकते सितारों ने अपनी किस्मत आजमायी। बिहारी बाबू के नाम से मशहूर बॉलीवुड के ‘शॉटगन' शत्रुघ्न सिन्हा, भोजपुरी फिल्मों के महानायक कुणाल सिंह, छोटे पर्दे के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले शेखर सुमन पटना साहिब के रणक्षेत्र में उतरे। इस बार के चुनाव में फिल्मी दुनिया का कोई सितारा पटना साहिब संसदीय सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है।

पटना साहिब से इस बार के चुनाव में दो राजनीतिक परिवार के प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद और अंशुल अभिजीत के बीच सियासी लड़ाई होगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद रविशंकर प्रसाद चुनावी रणभूमि में दूसरी बार ताल ठोंक रहे हैं। रविशंकर प्रसाद बिहार में जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे स्वर्गीय ठाकुर प्रसाद के पुत्र हैं। स्व. प्रसाद वर्ष 1977 में कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल में सदस्य भी थे। रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2019 में पहली बार पटनसाहिब संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था और कांग्रेस उम्मीदवार बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को पराजित कर सबकों चौका दिया था।

वहीं इंडिया गठबंधन के घटक कांग्रेस ने यहां अंशुल अभिजीत को चुनावी अखाड़े में भाजपा प्रत्याशी रवि शंकर प्रसाद के विरूद्ध उतारा है। अंशुल अभिजीत ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पीएचडी और एम फिल की पढ़ाई पूरी की है। अंशुल अभिजीत को राजनीति विरासत में मिली है। अभिजीत के नाना बाबू जगजीवन राम पूर्व उप प्रधानमंत्री और आठ बार सांसद रहे हैं, उनकी मां मीरा कुमार पांच बार सांसद, केन्द्रीय मंत्री और पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष भी रही हैं। अभिजीत की दादी सुमित्रा देवी भी राजनीति से जुड़ी रही है। वह बिहार में छह बार विधायक और वर्ष 1963 में वह बिहार की पहली महिला कैबिनेट मंत्री भी बनीं।

बिहार की राजधानी पटना शहर का ऐतिहासिक महत्व है। पटना संसार के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है, जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है।बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनदेवी मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है।पटना साहिब गुरुद्वारा सिख समुदाय के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। इसी जगह पर सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था और उन्होंने अपने जीवन के दस साल बिताए थे। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना साहिब गुरुद्वारे पहुंचकर मत्था टेका और अरदास भी की थी।महावीर मन्दिर, पटना देश में अग्रणी हनुमान मन्दिरों में से एक है। माना जाता है कि हनुमानगढ़ी के बाद ये एकलौता हनुमान जी का मंदिर है जहां भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ नजर आती है।

बिहार की राजधानी पटना का पुराना नाम पाटलिपुत्र था। पवित्र गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसे इस शहर को लगभग 2000 वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव में पाटलिपुत्र संसदीय सीट हुआ करती थी। पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर हुये पहले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सारंगधर सिंह ने सोशलिस्ट पार्टी के ज्ञानचंद को पराजित किया।इसके बाद पाटलिपुत्र सीट विलोपित हो गया और वर्ष 1957 में पटना लोकसभा सीट अस्तित्व में आई।

वर्ष 1957 में पटना संसदीय सीट पर हुये चुनाव में कांग्रेस के सारंगधर सिंह ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के रामावतार शास्त्री को पराजित किया। वर्ष 1962 के तीसरे लोकसभा चुनाव में सारंगधर सिंह ने अपने राजनीतिक आदर्शों की मिसाल पेश की, उन्होंने ऐलान कर दिया कि इस चुनाव में न तो वे उम्मीदवार बनेंगे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा।सारंगधर सिंह ने सुझाव दिया कि उनकी जगह कांग्रेस की युवा महिला नेत्री रामदुलारी सिन्हा को उम्मीदवार बनाया जाये। वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस की रामदुलारी सिन्हा ने भाकपा के रामावतार शास्त्री को पराजित किया। रामदुलारी सिन्हा बिहार से राज्यपाल नियुक्ति होने वाली प्रथम महिला रहीं तथा भारत में चंद उन महिलाओं में से हैं जिनकी केरल के राज्यपाल पद पर नियुक्ति हुई। पूर्व सांसद स्वर्गीय ठाकुर युगल किशोर सिंह की पत्नी रामदुलारी सिन्हा विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में मंत्री पद पर रही। वह बिहार की पहली महिला पोस्ट ग्रेजुएट थीं।

जब 1967 में चौथा आम चुनाव हुआ, तो देश की राजनीतिक फिजा बदल रही थी। जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद कांग्रेस पहले की तुलना में कमजोर हो गई थी।पटना लोकसभा सीट भी बदलाव के बयार से अछूती न थी। वर्ष 1967 में बाजी पलट गयी।दो बार से चुनाव हार रहे भाकपा के रामावतार शास्त्री ने इस बार कांग्रेस की रामदुलारी सिन्हा को शिकस्त दे दी। वर्ष 1971 में भी भाकपा के राम अवतार शास्त्री ने जीत का परचम लहराया। शास्त्री ने भारतीय जनसंघ के दिग्गज नेता कैलाशपति मिश्रा को पराजित कर दिया। वर्ष 1977 में पूर्व मुख्यमंत्री भारतीय दल दल उम्मीदवार महामाया प्रसाद सिन्हा ने भाकपा के राम अवतार शास्त्री को परास्त कर उनका विजयी रथ रोक दिया। महामाया प्रसाद भाषण देने में निपुण थे। जनसभाओं में वह युवा वर्ग को ‘मेरे जिगर के टुकड़ों’ कह कर संबोधित करते थे।

वर्ष 1980 में भाकपा के राम अवतार शास्त्री ने जनता पार्टी के महामाया प्रसाद सिन्हा को पराजित कर बाजी अपने नाम की। वर्ष 1984 कांग्रेस ने वापसी की।कांग्रेस के चंद्रेश्वर प्रसाद ठाकुर (सी.पी.ठाकुर) ने भाकपा के राम अवतार शास्त्री को पराजित किया। निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा समर्थित उम्मीदवार लेफ्टिनेंट जनरल. श्रीनिवास कुमार सिन्हा (एस.के. सिन्हा) तीसरे नंबर पर रहे। सिन्हा वर्ष 1943 में सेना में शामिल हुए थे।उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में वर्मा इंडोनेशिया में तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। सिन्हा ,जम्मू-कश्मीर और असम के राज्यपाल और नेपाल में भारत के राजदूत भी रहे हैं।

वर्ष 1989 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार पटना में ‘केसरिया’ लहराया। पटना विश्वविद्यालय के तत्कालीन प्रोफेसर भाजपा प्रत्याशी शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने कांग्रेस के सी.पी.ठाकुर को शिकस्त दी।डॉ. शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव निबंधकार और कवि भी थे, जिन्होंने हिंदी ,अंग्रेजी और भोजपुरी में कविता, जीवनियां, निबंध, साहित्यिक आलोचना और कई पुस्तकें लिखी। उन्हें पद्म सम्मान से भी अंलकृत किया गया था।

वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में पटना सीट पर जबर्दस्त चुनावी धांधली का आरोप लगा।जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने पटना का चुनाव रद्द कर दिया। वर्ष 1993 में पटना सीट पर उपचुनाव हुये जनता दल के राम कृपाल यादव ने भाजपा के शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव को पराजित किया। कांग्रेस उम्मीदवार सी.पी.ठाकुर तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 1996 में जनता दल के रामकृपाल यादव ने भाजपा के एस.एन.आर्या को शिकस्त दी। इस बीच सी.पी.ठाकुर ने कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ भाजपा ने नाता जोड़ लिया। वर्ष 1998 में भाजपा के सी.पी.ठाकुर ने राष्ट्रीय जनता दल के राम कृपाल यादव को मात दे दी। सी.पी.ठाकुर केन्द्र सरकार में मंत्री, राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। उन्हें काला-अज़ार की दवा खोजने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। डा. सी.पी.ठाकुर को पद्मऔर पद्मभूषण सम्मान से अंलकृत किया गया है।
वर्ष 1999 में भाजपा के सी.पी.ठाकुर ने राजद के राम कृपाल यादव को फिर पराजित किया। निर्दलीय उम्मीदवार रामानंद यादव तीसरे नंबर पर रहे।वर्ष 2004 में राजद के राम कृपाल यादव ने भाजपा के सी.पी.ठाकुर से पटना सीट छीन ली। संपूर्ण विकास दल के रंजन प्रसाद यादव तीसरे नंबर पर रहे।परिसीमन के बाद लगातार तीन चुनाव 2009,2014 और 2019 तक पटनासाहिब संसदीय चुनाव में फिल्मी दुनिया के सितारो ने सियासी रणभूमि में अपनी चमक बिखेरी। फिल्मी सितारे पटनासाहिब के मतदाताओं के बीच आकर्षण का केन्द्र भी रहे। उनकी जनसभाओं में हजारो की संख्या में भीड़ जुटती थी।

वर्ष 2009 अस्तित्व में आया पटना साहिब का पहला संग्राम फिल्मी स्टार के साथ शुरू हुआ। वर्ष 2009 में पटनासाहिब पर हुये चुनाव में भाजपा के टिकट पर बॉलीवुड के सुपरस्टार शत्रुध्न सिन्हा पहली बार राजधानी पटना की धरती पर चुनावी समर में उतरे। सिन्हा के विरूद्ध कांग्रेस ने छोटे पर्दे के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले शेखर सुमन को प्रत्याशी बना दिया। भाजपा के सिन्हा ने राजद के विजय कुमार को पराजित किया। कांग्रेस के शेखर सुमन तीसरे नंबर पर रहे। बिहारी बाबू के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा बिहार ही नहीं पूरे देश में भीड़ जुटाने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। वर्ष 1992 में नई दिल्ली के उपचुनाव में भाजपा ने शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव में उतारा था। कांग्रेस ने फिर से राजेश खन्ना को ही चुनाव में उतारा।शत्रुध्न सिन्हा इस चुनाव में पराजित हो गये।इस तरह, अपने पहले चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को हार का मुंह देखना पड़ा। शत्रुध्न सिन्हा ,अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और जहाजरानी मंत्री थे। सिन्हा राज्यसभा सांसद भी रहे हैं।

वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के सिन्हा फिर चुनावी रणभूमि में उतरे। कांग्रेस ने यहां पूर्व मंत्री बुद्धदेव सिंह के पुत्र भोजपुरी सिनेमा के महानायक कुणाल सिंह को उम्मीदवार बनाया। जदयू इस चुनाव में राजग से अलग थी। जदयू ने मशहूर चिकित्सक पद्मगोपाल प्रसाद सिन्हा को प्रत्याशी बना दिया। त्रिकोणीय मुकाबले में सिन्हा फिर बाजी मार ले गये। कुणाल सिंह दूसरे जबकि गोपाल प्रसाद सिन्हा तीसरे नंबर पर रहे।आम आदमी पार्टी उम्मीदवार पूर्व सांसद सैय्यद शाहबुद्दीन की पुत्री और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्लाह की पत्नी परवीन अमानुल्ला चौथे नंबर पर रही। वह नीतीश सरकार में समाज कल्याण मंत्री भी रही थी।

वर्ष 2019 का चुनाव बेहद दिलचस्प साबित हुआ। वर्ष 2014 के चुनाव के बाद मोदी मंत्रिमंडल में शत्रुध्न सिन्हा को जब जगह नहीं मिली तो वे अपनी ही पार्टी की सरकार की आलोचना करने लगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को अटल-आडवाणी वाली भाजपा नहीं बल्कि ‘वन मैन शो, टू मैन आर्मी ’वाली पार्टी बता कर तथा सरकार की नीतियों की आलोचना की। इसके बावजूद पार्टी ने उनके खिलाफ कोई अनुशासनिक कार्यवाही करने से परहेज किया। वर्ष 2019 में जब भाजपा ने सिन्हा को पटनासाहिब से उम्मीदवार नहीं बनाया तो उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया। वहीं भाजपा ने यहां पूर्व केन्द्रीय मंत्री और अपने कद्दावर नेता रविशंकर प्रसाद को प्रत्याशी बना दिया।

पटना लोकसभा सीट को कायस्थों का गढ़ माना जाता था। शत्रुध्न सिन्हा और रवि शंकर प्रसाद दोनों राजनेताओं के बीच सियासी लड़ाई काफी रोचक रही।सिन्हा को उम्मीद थी उनका जलवा इस बार भी पटनासाहिब के मतदाताओं के बीच सर चढ़कर बोलेगा।वहीं, रविशंकर प्रसाद पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे, ऐसे में कायस्थों मतों के साधने के साथ-साथ भाजपा के परंपरागत वोटों को भी साधने की बड़ी चुनौती सामने थी। पहली बार लोकसभा के रण में उतरे रवि शंकर प्रसाद ने सिन्हा को पराजित कर सबकों चौका दिया।इस चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। अपने विरोधियों को 'खामोश' करने वाले शत्रध्न सिन्हा को यहां की जनता ने 'खामोश'कर दिया।रविशंकर प्रसाद को छह लाख 07 हजार 506 वोट मिले थे। करीबी प्रतिद्वंदी शत्रुघ्न सिन्हा को प्रसाद के मुकाबले में तीन लाख 22 हजार 849 वोट ही मिल पाए थे।

बिहार के चर्चित चारा घोटाला में एक अधिवक्ता के रूप में मजबूती से पक्ष रखने के कारण देशभर में रवि शंकर प्रसाद की पहचान बनी थी। आयोध्या रामलला मुकदमे के अधिवक्ताओं में से एक रविशंकर प्रसाद भी रहे हैं।रविशंकर प्रसाद संगठन से लेकर सरकार तक महत्वपूर्ण ओहदों पर रह चुके हैं। भाजपा की युवा शाखा से लेकर राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। रविशंकर प्रसाद ,अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में कोयला एवं खनन राज्य मंत्री, कानून और न्याय राज्य मंत्री,और सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री बने। वह नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में कानून और न्याय , संचार ,और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी रहे। वह राज्यसभा सांसद भी रहे हैं।
बिहार में सातवे चरण के तहत आखिरी चरण में पटनासाहिब सीट पर 01 जून को चुनाव होना है। पटना साहिब के गली-मुहल्लों से लेकर चाय की दुकान पर एक ही चर्चा है कि पटना साहिब का ‘साहिब ’ कौन? राजधानी पटना में प्रधानमंत्री मोदी भाजपा प्रत्याशी रवि शंकर प्रसाद के पक्ष में रोड शो भी कर चुके हैं। इंडिया गठबंधन की तरफ से भी प्रत्याशी अंशुल अभिजीत के समर्थन में लगातार रैलियां हो रही हैं।
बिहार की राजधानी पटना जिले में आने वाली हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट पटना साहिब का शुरू से ही राजनीतिक रूतबा रहा है। राजधानी क्षेत्र होने के कारण यह सीट हमेशा से वीआईपी रही है। इस सीट के कई सांसद मंत्री भी बने। यहां से सांसद चुने गए डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके हैं।गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसे पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में, पटना जिले के छह विधानसभा क्षेत्र, बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, फतुहा और पटना साहिब शामिल हैं।पटना साहिब, दीघा,बांकीपुर,कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में भाजपा जबकि फतुहा एवं बख्तियारपुर विधानसभा में राजद का कब्जा है।पटना साहिब लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा है।

यहां कायस्थों के बाद यादव और राजपूत वोटरों का बोलबाला है। पटना साहिब सीट पर कायस्थ मतदाताओं का झुकाव भाजपा के पक्ष में रहता है।पिछले तीन लोकसभा चुनावों से पटना साहिब सीट पर कभी कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत नहीं मिली है।पटना साहिब लोकसभा सीट पर कायस्थ जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, जिसके कारण यहां से कायस्थ जाति के सांसद चुने गए हैं।

इस सीट पर यादव, भूमिहार, और राजपूत मतदाताओं की भी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है।हालांकि, इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा के पक्ष में मोदी फैक्टर है, जहां मतदाता अपना वोट मोदी के चेहरे पर देते हैं,और दूसरा है जाति कारक। इस सीट पर कायस्थ मतदाताओं का दबदबा है और भाजपा उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद कायस्थ समुदाय से आते हैं, इसलिए कायस्थों के सारे वोट भाजपा के पक्ष में जाते हैं।

वर्ष 2024 में पटनासाहिब सीट पर लोकसभा चुनाव पहली बार किसी अभिनेता के बिना होने जा रहा है। इस बार भाजपा के रवि शंकर प्रसाद का मुकाबला कांग्रेस की मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अभिजीत से होना है।भाजपा के रवि शंकर प्रसाद जहां पटनासाहिब सीट पर भाजपा का चुनावी चौका लगाने की कोशिश में हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अरसे से खोई कांग्रेस की सियासी रणभूमि को वापस लाने की कोशिश में डटे हैं।दोनों ही उम्मीदवारों का ताल्लुक मशहूर राजनीतिक घरानों से है। इसलिए कांग्रेस और भाजपा, दोनों के लिए पटना साहिब प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। दोनों ही अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं और चुनाव प्रचार में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के समर्थन में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम शुरू से ही राजग गठबंधन के साथ थे। बीच के दिनों में इधर से उधर हो गए थे। अब मैं राजग के साथ ही रहूंगा। लोग झोला भरकर वोट देकर रविशंकर प्रसाद को वोट देकर भारी मतों से विजय बनावे। हम तो चाहते हैं कि एनडीए बिहार की सभी 40 सीटों पर विजयी हो और पूरे देश में 400 सीट जीते और नरेंद्र मोदी जी फिर प्रधानमंत्री बनें देश का विकास हो बिहार का विकास हो।
रविशंकर प्रसाद ने कहा है ,मैं भले ही पार्टी का वरिष्ठ कार्यकर्ता हूं राष्ट्रीय स्तर पर हूं, लेकिन मैं पटना में एक कार्यकर्ता ही रहता हूं। लोगों से मिलता हूं, हंसता हूं, वे मुझसे लड़ते हैं, मैं उनसे लड़ता हूं। हम मिलकर काम करते हैं।

मेरा एकदम अनौपचारिक आचरण पटना में रहता है।हमने शत्रुघ्न सिन्हा को हराया था। यह मेरी जीत नहीं, पटना की जनता की जीत थी, कार्यकर्ताओं की जीत थी।यदि कुछ लोग नाराज हैं, मैं उनसे जाकर मिलूंगा। वे हमारे हैं और मैं उनका हूं। तो कुछ प्यार की बात होगी, कुछ नोंकझोंक की बातें भी होंगी। मैं कभी भी अव्यवहारिक बात नहीं करता।पटना की जनता से आशीर्वाद चाहता हूं। पहले जिस तरह से देश के लिए काम किया है, वैसे ही आगे भी करूंगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सभी नेताओं ने फिर से मुझपर विश्वास जताया है। मेरा विश्वास है कि पटना साहिब से मेरी रिकॉर्ड मतों से जीत होगी। इस बार प्रधानमंत्री मोदी की अभूतपूर्व विजय होगी।मैं बहुत भाग्यशाली हूं जो मुझे जनता का सेवा करने का मौका मिला है। फिर मैं जनता का आशीर्वाद लेने आया हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि जनता एक बार फिर मुझे अपना आशीर्वाद देकर सेवा का मौका देगी।कुछ कमियां मुझसे हुई है। उसे मैं वादा के साथ पूरा करूंगा। शिकायत का मौका नहीं दूंगा। केंद्र की मोदी सरकार के नेतृत्व में देश का विकास हर क्षेत्रों में हो रहा।

आप सभी प्रधान मंत्री मोदी के हांथ को मजबूत करें।
अंशुल अविजित के पक्ष में जातीय समीकरण की अच्छी बिसात बिछी है। वह कुशवाहा जाति के हैं, जिनके वोटर पटना में अच्छी संख्या में हैं। राजद के एमवाई समीकरण का लाभ भी उन्हें मिलना है। हालांकि अंशुल की दिक्कत यह है कि वे क्षेत्र के लिए नये हैं, लोग उनसे बहुत परिचित नहीं हैं। कांग्रेस का पहले यहां गढ़ था लेकिन मौजूदा समय में कांग्रेस का इस क्षेत्र में प्रभुत्व नहीं है।हालांकि अंशुल इन बातों से परेशान नहीं दिखते। वह अपनी मां मीरा कुमार के साथ लगातार कैंपेन कर रहे हैं। अंशुल अभिजीत ने कहा है यह बस कहने की बात है कि यह किसी खास पार्टी की सीट है, लोगों को अच्छे उम्मीदवार मिलेंगे तो वे वोट करेंगे ही। हमारे कार्यकर्ता पूरी मजबूती से डटे हैं।यहां के जो सांसद हैं, लोगों के बीच में कभी रहे ही नहीं। उनके सुख-दुख में कभी शामिल ही नहीं हुए। लोगों के बीच मौजूदगी बहुत जरूरी है। यह उनका दायित्व था, लेकिन ऐसा नहीं किया। मेरी दादी जी या मेरी मां मीरा कुमार हमेशा लोगों के बीच रहीं। मैं पटना साहिब का ही बेटा हूं। मुझे लोगों के बीच में जाना है और उनका दिल जीतना है। समर्पण भाव से काम करूंगा। यह मेरी जिम्मेदारी है। ये मैं अच्छी तरह से निभाऊंगा।

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अपने बेटे अंशुल अभिजीत के लिए लोगों से मिलकर वोट करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने युवाओं के लिए गरीबों के लिए किसानों के लिए कुछ नहीं किया है। राजधानी पटना में भी विकास नहीं हुआ है। यहां के युवाओं को रोजगार नहीं मिला है।मोदी सरकार ने 10 साल में कुछ नहीं किया है सिर्फ और सिर्फ जुमलेबाजी की है। इस बार जनता पूरी तरह से इंडिया गठबंधन के साथ है और हमें उम्मीद है कि पटना साहिब में भी कांग्रेस की उम्मीदवार की जीत होगी।पटना साहिब में कोई चुनौती नहीं है।भारतीय जनता पार्टी के रविशंकर प्रसाद सोचे कि उन्हें चुनाव कैसे जीतना है।देश की जनता इस बार नरेंद्र मोदी पर विश्वास नहीं कर रही है।

कांग्रेस नेता पप्पू यादव ,पटना साहिब से कांग्रेस प्रत्यासी अंशुल अभिजीत के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार पटना साहिब बदलाव की ओर है। वर्तमान सांसद के खिलाफ सारा समाज गोलबंद हो चुका है।उनका इस बार हारना तय है। मोदी गरीब विरोधी,किसान विरोधी, महिला विरोधी, युवा विरोधी हो चुके है। तब उनके नाम पर कब तक देश वोट करेगा।देश का मूड राहुल गांधी जी को देश का पीएम बनाने का हो गया है। उन्होंने कहा कि पटना साहिब के साथ-साथ दिल्ली की सभी सात सीटो पर इंडी गठबंधन की जीत होगी।

पटना संसदीय सीट से भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, समेत 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। देखना दिलचस्प होगा कि दो राजनीतिक परिवार के प्रत्याशी के सियासी घमासान में पटनासाहिब की आम जनता किसे अपना ‘साहिब’ बनाती है।

 

 

 

 

 

 

India Edge News Desk

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