भारत में थोक मुद्रास्फीति मई में 1.26% से बढ़कर 2.61% हुई,खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़े

नईदिल्ली

आज 14 जून को वाणिज्य एवं सांख्यिकी मंत्रालय (Ministry of Commerce & Industry) ने मई के थोक महंगाई (WPI) के आंकड़े जारी कर दिए हैं. थोक मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में 1.26% के मुकाबले मई महीने में थोक महंगाई दर 2.61% रही. आंकड़े बताते हैं कि थोक महंगाई 15 महीने में सबसे ज्‍यादा बढ़ी है. बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.26 प्रतिशत थी. वहीं मई 2023 में यह शून्य से नीचे 3.61 प्रतिशत रही थी.
देखें क्‍या कहते हैं आंकड़े

  •     मई में होलसेल महंगाई दर 2.61%
  •     होलसेल महंगाई दर 2.61% (2.70% का अनुमान)
  •     होलसेल महंगाई दर 1.26% से बढ़कर 2.61% (MoM)
  •     मई में होलसेल महंगाई दर 15 महीने के ऊपरी स्तर पर)
  •     WPI खाद्य महंगाई दर 5.52% से बढ़कर 7.40% (MoM)
  •     प्राइमरी आर्टिकल WPI 5.01% से बढ़कर 7.20% (MoM)
  •     फ्यूल एंड पावर WPI 1.38% से घटकर 1.35% (MoM)
  •     मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट WPI -0.42% से बढ़कर 0.78% (MoM)
  •     मार्च संशोधित WPI 0.53% से घटकर 0.26% (MoM)
  •     मई में कोर WPI -0.7% से बढ़कर 0.4% (MoM)

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ' मई 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने का मुख्य कारण क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, फूड प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिसिटी आदि की मैन्युफैक्चरिंग की कीमतों में तेजी रही है. आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह 7.74 प्रतिशत थी. मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 23.60 प्रतिशत थी. प्याज की महंगाई दर 58.05 प्रतिशत, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05 प्रतिशत रही. दालों की महंगाई दर मई में 21.95 प्रतिशत रही.

 ईंधन व बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.35 प्रतिशत रही, जो अप्रैल के 1.38 प्रतिशत से मामूली कम है. विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति 0.78 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में शून्य से नीचे 0.42 प्रतिशत थी. थोक मूल्य सूचकांक में मई में वृद्धि महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के विपरीत है. इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.75 प्रतिशत पर आ गई जो एक साल का सबसे निचला स्तर है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है. बता दें कि आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में लगातार आठवीं बार ब्याज दर को यथावत रखने का फैसला किया था.

महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।

महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

ईंधन और बिजली सूचकांक

ईंधन और बिजली सूचकांक मई में 2.71 प्रतिशत घटकर 150.6 पर आ गया, जो अप्रैल में 154.8 था। खनिज तेल और कोयले की कीमतें अप्रैल के मुकाबले मई में अपरिवर्तित रहीं, लेकिन बिजली की कीमतों में मई में 11.67% की गिरावट आई।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button