पाकिस्तान में एक और आतंकवादी मौत के घाट उतर चुका, इंडियन एयरलाइंस को किया था हाईजैक

लाहौर
पाकिस्तान में एक और आतंकवादी मौत के घाट उतर चुका है। 1981 में इंडियन एयरलाइंस (आईए) की फ्लाइट को हाईजैक करने वाले वांटेड आतंकवादी गजिंदर सिंह की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि उसकी मौत पाकिस्तान के एक अस्पताल में कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से हुई। वह 74 वर्ष का था। गजिंदर सिंह एक कुख्यात आतंकवादी था, जो खालिस्तान समर्थक संगठन "दल खालसा" का सह-संस्थापक था। वह 1981 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-423 के हाईजैकिंग के मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल था। यह फ्लाइट श्रीनगर से दिल्ली जा रही थी जब इसे हाईजैक किया गया था और बाद में इसे पाकिस्तान के लाहौर ले जाया गया।

दल खालसा के प्रवक्ता परमजीत सिंह मंड ने बताया कि गजिंदर की बेटी बिक्रमजीत कौर ने इस खबर की पुष्टि की है। उसकी बेटी अपने पति और दो बच्चों के साथ यूके में रहती है। गजिंदर की पत्नी मंजीत कौर का जनवरी 2019 में जर्मनी में निधन हो गया था। कट्टरपंथी संगठन दल खालसा के सह-संस्थापक गजिंदर को 2002 में 20 मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में शामिल किया गया था। वह उन पांच लोगों में शामिल था, जिन्होंने 29 सितंबर 1981 को 111 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को ले जा रहे इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण कर लिया था और उसे लाहौर में उतरने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने जरनैल सिंह भिंडरावाले और कई अन्य खालिस्तानी चरमपंथियों की रिहाई की मांग की थी। गजिंदर सिंह और उसके साथी आतंकवादियों ने इस हाईजैकिंग के दौरान यात्रियों को बंधक बना लिया और भारतीय सरकार से अपने साथियों की रिहाई की मांग की। इस घटना के बाद, गजिंदर सिंह और उसके साथियों को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल की सजा सुनाई गई। गजिंदर सिंह का नाम भारतीय इतिहास में एक खतरनाक आतंकवादी के रूप में दर्ज है, जिसने निर्दोष लोगों की जान को खतरे में डाला और देश की सुरक्षा को चुनौती दी।

इस हाईजैक की घटना में तेजिंदर पाल सिंह, सतनाम सिंह पांवटा साहिब, दलबीर सिंह और करण सिंह नाम के अन्य आतंकी भी शामिल थे। उन्हें 30 सितंबर, 1981 को पाकिस्तानी एजेंसियों ने गिरफ्तार किया, उन पर मुकदमा चलाया गया और लाहौर की एक विशेष अदालत ने सभी को 14 साल की कैद की सजा सुनाई। उन्होंने 31 अक्टूबर, 1994 को अपनी सजा पूरी की।

तेजिंदर और सतनाम 1997 और 1999 में भारत लौट आए थे, जबकि दलबीर और करण स्विट्जरलैंड में राजनीतिक शरण पाने में कामयाब रहे। पता चला है कि गजिंदर 1996 में जर्मनी गया था, लेकिन भारत द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद उसे देश में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। वह किसी तरह पाकिस्तान वापस जाने में कामयाब रहा। तब से उसका कोई अता-पता नहीं है। भारत गजिंदर को वापस भेजने की मांग कर रहा था, लेकिन इस्लामाबाद अपनी जमीन पर उसकी मौजूदगी से इनकार करता रहा।

सितंबर 2022 में उसने खुद ही अपने फेसबुक पेज पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हसन अब्दल में गुरुद्वारा पंजा साहिब के सामने खड़े होकर अपनी तस्वीर पोस्ट करके अपनी लोकेशन का खुलासा किया था। भारत में उसका सोशल मीडिया पेज काफी समय तक ब्लॉक रहा था। सितंबर 2020 में अकाल तख्त के तत्कालीन कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की अध्यक्षता में पांच महायाजकों ने गजिंदर को “जिलावतन सिख योद्धा” (निर्वासन में सिख योद्धा) की उपाधि से सम्मानित करने का फैसला किया था, लेकिन समारोह आयोजित नहीं किया जा सका।

 

India Edge News Desk

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