मुख्यमंत्री के पिता का शिप्रा तट पर अंतिम संस्कार, शिवराज-सिंधिया समेत कई मंत्री श्रद्धांजलि देने उज्जैन पहुंचे

उज्जैन
मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यावद पंचतत्व में विलीन हो गए. अंतिम संस्कार शिप्रा तट पर भूखी माता मंदिर के पास श्माशान घाट पर हुआ. इससे पहले अब्दालपुरा की गीता कॉलोनी निवास से दोपहर करीब 12 बजे अंतिम यात्रा शुरू हुई. इससे पहले उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार की पूरी कैबिनेट ने अंतिम दर्शन किए. हाजरों की संख्या में उज्जैन के लोग भी आखिरी दर्शन के लिए पहुंचे. विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत सरकार के कई मंत्री पूनम चंद यादव के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. अंतिम संस्कार के वक्त श्मशान में कई बड़े नेता मौजूद रहे.

पिता के निधन की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को भोपाल से उज्जैन पहुंचे। आज दोपहर करीब 12 बजे शुरू हुई अंतिम यात्रा शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए शिप्रा तट पर पहुंची। यहां भूखी माता मंदिर के पास सीएम और परिवार के लोगों ने अंतिम संस्कार किया।

अंत्येष्टि में शामिल होने कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला, मंत्री चैतन्य काश्यप, मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, मंत्री राधा सिंह, मंत्री करण वर्मा, मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल, मंत्री, नारायण सिंह कुशवाह, मंत्री लखन पटेल मंत्री, मंत्री विश्वास सारंग, मुख्य सचिव वीरा राणा, डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना, प्रमुख सचिव राजेश राजौरा उज्जैन पहुंचे।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का 100 साल की उम्र में मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे काफी समय से उज्जैन के अस्पताल में भर्ती थे. पिता के निधन की खबर मिलते ही सीएम मोहन यादव कल ही उज्जैन के लिए रवाना हो गए थे. सीएम डॉक्टर मोहन यादव के परिवार को ढांढस बांधने देश प्रदेश भर के लोग पहुंचे. अंतिम यात्रा के बाद पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन किया जाएगा. अंतिम यात्रा सुबह 11.30 बजे गीता कॉलोनी से शुरू होगी.

उपज बेचने खुद की मंडी जाते थे पूनमचंद
स्थानीय लोग बताते हैं कि पूनमचंद यादव का शुरुआती जीवन काफी संघर्ष भरा रहा. संघर्ष के दिनों में वे रतलाम से उज्जैन आ गए. उन्होंने सबसे पहले हीरा मिल में नौकरी की. इसके बाद शहर के मालीपुरा में भजिया और फ्रीगंज में दाल-बाफले की दुकान भी चलाई. उन्होंने अपने सभी बेटे-बेटियों को अच्छे से पढ़ाया. लोग बताते है कि पूनमचंद इतना ज्यादा उम्र होने के बाद वे मंडी में उपज बेचने के लिए खुद ही मंडी जाते थे.

मजदूरी कर बेटे को बनाया मुख्यमंत्री
एक पिता अपने कभी न थकने वाली ललक, कड़ी मेहनत, और खून पसीने को एक कर बच्चों को सींचते हैं। उनके द्वारा बनाए गए सुरक्षित आवरण बच्चे चहुमुखी विकास करते हैं। दरअसल, सीएम मोहन के पिता का निधन हो गया है। वे एक ऐसे मजदूर पिता थे जिन्होंने अपनी अथक मेहनत से पढ़ा लिखाकर मोहन यादव को मुख्यमंत्री मोहन यादव बनाया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता श्री पूनम चंद यादव ने मंगलवार को अंतिम सासें लीं। वे पिछले 10 दिनों से निजी अस्पताल में भर्ती थे। बुधवार को क्षिप्रा के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। खबर आने के तुरंत बाद सीएम यादव भोपाल से उज्जैन पहुंचे। जब वे आखिरी सांसें ले रहे थे तब उनके बेटे मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रदेश की जनता के हित के लिए कामकाज में लगे हुए थे। करीब साढ़े 8 महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव अपने मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे। इसके पीछे उनके पिता पूनम चंद यादव के संघर्षों की लंबी दास्तान थी।

रतलाम से उज्जैन आए

स्व. पूनमचंद यादव रतलाम से आकर उज्जैन में बसे थे। उन्होंने पहले हीरा मिल में नौकरी की बाद में खुदका छोटा कामधंधा शुरू किया। चाय भजिए की दुकान खोली। मोहन यादव भी अपने पिता और चाचा का हाथ बंटाते थे। वो दुकान पर भी बैठते थे और स्कूल भी जाते थे। उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। स्व. पूनम चंद यादव अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी खुद मंडी में उपज बेचने जाते थे।
बचपन से बच्चों को सिखाया दान और धर्म

वर्ष 1984 में उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज में छात्र संघ का शपथ विधि समारोह हुआ, इसमें डॉ. मोहन यादव सहसचिव बनाए गए थे। सभी प्रतिनिधियों ने ब्लेजर पहनकर शपथ ली थी। इस समय मोहन यादव यादव सिर्फ शर्ट पेंट में शपथ लिए थे। पिता ने उन्हें बचपन से ही दान धर्म के संस्कार दिये थे। यही कारण था कि मोहन यादव ने पिता के कहने पर ब्लेजर नहीं खरीदा और उसके पैसे कॉलेज में लगने वाली विवेकानंद की मूर्ति के लिए दान कर दिये थे।
पिता ने बेटे सीएम मोहन को आशीर्वाद में दे दी थी नोटों की गड्डी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जब अपने पैतृक निवास पर जाते थे तो अपने पिता से आशीर्वाद स्वरूप कुछ पैसे भी लेते थे। पिछले दिनों फादर्स डे के मौके पर पिता से आशीर्वाद लेने के बाद मोहन यादव ने पिता से पैसे मांगे तो पिता ने 500 रुपए के नोटों की गड्डी निकालकर उनके हाथों में थमा दी थी। इस पर सीएम मोहन यादव ने एक नोट रखा और पूरी गड्डी लौटा दी। पिता ने भी टैक्टर रिपेयरिंग का खर्च सीएम मोहन यादव से मांग लिया था। पिता-पुत्र के बीच खूब हंसी ठिठौली हुई थी।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button