वित्त वर्ष 2025 में भारत का सेवा निर्यात 9.8% बढ़कर 180 अरब डॉलर पर पहुंचा

नई दिल्ली
 भारत का सेवा क्षेत्र लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, सेवा क्षेत्र का चालू वित्त वर्ष में सेवा निर्यात 9.8 प्रतिशत बढ़कर 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। वहीं, सेवा आयात भी 9.6 प्रतिशत बढ़कर 62.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

इसके परिणामस्वरूप सेवा व्यापार संतुलन 82.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अधिक है। हालांकि, सेवा निर्यात और आयात में मामूली वृद्धि दर्ज हो पाई है।

वित्त वर्ष 2025 के लिए चालू खाता घाटा (सीएडी) जीडीपी के 1 प्रतिशत से 1.2 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। स्थिर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह और मजबूत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह भी सर्मथन में मददगार रहेगा।

मौद्रिक इजिंग साइकल में देरी की वजह से निर्यात सुधार कुछ प्रभावित हो सकता है। लेकिन, मध्यम अवधि में व्यापक आर्थिक गतिशीलता अनुकूल स्थिति का संकेत देती है। आने वाले महीनों में आयात वृद्धि निर्यात में सुधार से आगे निकल सकती है, ऐसे में व्यापार घाटे का दबाव बढ़ सकता है।

सितंबर में सुधार के बावजूद वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के लिए व्यापार घाटा अधिक बना हुआ है। यह आगे आने वाली चुनौतियों का संकेत देता है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मौसमी कारकों की वजह से निर्यात गतिविधि में वृद्धि देखे जाने की उम्मीद है। हालांकि, पूरी रिकवरी वैश्विक आर्थिक स्थितियों पर भी निर्भर करेगी, जो अनिश्चित बने हुए हैं।

यह सुधार सोने के आयात में गिरावट की वजह से भी आया है। सोने का आयात 10.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

अप्रैल-सितंबर की अवधि में निर्यात 1 प्रतिशत बढ़कर 213.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज 8.9 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में सुधार को दिखाता है।

इसके अलावा, त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू मांग में वृद्धि से भी व्यापार संतुलन पर दबाव बढ़ सकता है। वहीं, भारतीय रुपया कमजोर रहा तो आयातित मुद्रास्फीति का जोखिम भी बढ़ सकता है।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button