पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन, चले महात्मा गांधी की राह पर

इस्लामाबाद
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पिछले महीने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन हुए। राजधानी कूच करने के ऐलान के बाद इमरान खान के समर्थकों को रोकने के लिए प्रशासन ने पूरा जोर लगा दिया। उग्र प्रदर्शन से घबराई सरकार ने सेना तक उतार दी थी। वहीं विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी। अब इमरान खान हिंसा छोड़कर दूसरे रास्तों की ओर रुख करते दिख रहे हैं। इमरान खान ने गुरुवार को जेल से एक संदेश जारी कर सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है।

गुरुवार को इमरान खान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा है कि देश में तानाशाही कायम हो गई है। इमरान खान ने अपने समर्थकों से 13 दिसंबर को खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर में जमा होने के लिए कहा है जहां फिलहाल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की सरकार है। उन्होंने सरकार के सामने दो मांगे रखी हैं और कहा है कि अगर इन मांगों को नहीं माना गया तो वह नया आंदोलन शुरू करेंगे।

इमरान खान ने लिखा, “देश में तानाशाही कायम हो गई है। निर्दोष राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गोली मार दी गई है और शांतिपूर्ण राजनीतिक कार्यकर्ता शहीद हो गए हैं। हमारे सैकड़ों कार्यकर्ता लापता हैं। सुप्रीम कोर्ट को अब इस पर संज्ञान लेना चाहिए और अपनी संवैधानिक भूमिका निभानी चाहिए। हमने मानवाधिकार के उल्लंघन के लिए सुप्रीम कोर्ट, लाहौर हाईकोर्ट और इस्लामाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोर्ट ने कोई कार्रवाई नहीं की गई और देश इस स्थिति में पहुंच गया है।

उन्होंने आगे लिखा, “हम 13 दिसंबर को पेशावर में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक भव्य सभा आयोजित करेंगे। इसमें विपक्षी राजनीतिक दलों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने विरोध प्रदर्शन पर हुई कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा करने की भी मांग की है। इमरान खान ने कहा, "अगर ये दोनों मांगें पूरी नहीं की गईं तो 14 दिसंबर से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू होगा और किसी भी परिणाम के लिए सरकार जिम्मेदार होगी।"

गौरतलब है कि इमरान खान के पिछले साल के अंत से जेल में हैं। उनका और उनकी पार्टी का कहना है कि 2022 में पद से हटाए जाने से पहले सेना के जनरलों के साथ उनके मतभेद के बाद सेना के इशारे पर उन्हें राजनीति से दूर रखने के लिए झूठे मामले बनाए गए थे। हालांकि सेना ने इन आरोपों से इनकार किया है।

India Edge News Desk

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