रायपुर : बालोद की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल

रायपुर

बालोद जिले की महिलाएं इस बार की होली पर्व को खास और सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। जिले के सभी विकासखंडों के 20 क्लस्टर की 172 महिलाएं मिलकर हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं, जिससे होली का यह त्यौहार केमिकलयुक्त गुलाल से मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल होने वाला है। बालोद जिले की महिलाओं का यह प्रयास न केवल उनकी आय का अतिरिक्त जरिया बन रहा है, बल्कि समाज को सुरक्षित और स्वच्छ होली मनाने का संदेश भी दे रहा है।

इन महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल के निर्माण में पलाश, चुकंदर, सिंदूर बीज, पालक और कच्ची हल्दी जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यह गुलाल न केवल त्वचा के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी इस वर्ष महिलाओं ने लगभग 50 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया है, जिसमें से 26 क्विंटल गुलाल अब तक स्थानीय बाजार और अन्य जिलों में विक्रय किया जा चुका है। महिलाओं का यह प्रयास उनके आर्थिक सशक्तिकरण का मजबूत माध्यम बन रहा है।

हर्बल गुलाल का उत्पादन कर रही वृंदावन महिला संकुल संगठन जमरूवा की श्रीमती ओमलता देशमुख ने बताया कि उनके संगठन ने पिछले वर्ष भी हर्बल गुलाल बनाया था। इस बार मांग बढ़ने के कारण उन्होंने उत्पादन भी दोगुना कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस गुलाल की मांग अधिक है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्राकृतिक है और त्वचा को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता। समूह की सदस्य श्रीमती विद्या यादव और श्रीमती मनीषा कुंजाम ने बताया कि वे बिहान योजना के अंतर्गत कार्य कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। इसके अलावा उन्हें महतारी वंदन योजना का भी लाभ मिल रहा है, जिससे उनके कार्य को निरंतरता और प्रोत्साहन मिला है।

समूह की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में महिलाओं को आजीविका गतिविधियों से जोड़कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। महिलाओं ने जिलेवासियों को होली पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए रासायनिक रंगों के बजाय हर्बल गुलाल के उपयोग की अपील की है।

India Edge News Desk

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