बीते लगभग ढाई माह में हुआ 10 बार आंदोलन-कंपनी का लक्ष्य 85 फीसदी से भी कम

कोरबा,

चालू वित्त वर्ष के पहली तिमाही में उम्मीद के अनुरूप उत्पादन से लक्ष्य को हासिल करने में भू-विस्थापितों का आंदोलन बाधा बन रही है। बीते लगभग ढाई माह में 10 से अधिक बार अब तक आंदोलन हो चुका है, इस दौरान कोयला खनन, माइंस विस्तार का काम रोका गया।

अब पहली तिमाही की 18 दिन की अवधि ही शेष रह गई है। एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका व कुसमुंडा की कोल कंपनी के कुल उत्पादन में सर्वाधिक भागीदारी रहती है। इन्हीं खदानों में भू-विस्थापितों का खदान बंदी आंदोलन भी हुआ है। कोयला खदान विस्तार के लिए जटराज की अधिग्रहित जमीन पर खनन कार्य के दौरान पिछले महीने कुसमुंडा खदान से प्रभावित भू-विस्थापितों के विरोध से प्रभावित हुआ। एसईसीएल कोरबा एरिया की अंबिका माइंस से कोयला उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। इसकी वजह माइंस प्रभावित ग्राम करतली के भू-विस्थापितों द्वारा बार-बार मिट्टी हटाने का काम बंद करा देना माना जा रहा है।

कोयला खदानों के भीतर भी खनन कार्य को भू-विस्थापितों ने प्रभावित किया। बीते 16 अप्रैल को गेवरा, दीपका व कुसमुंडा खदान में ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने खनन व परिवहन कार्य को रोक दिया था। 22 अप्रैल को भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने किसान सभा के समर्थन से कुसमुंडा खदान में खदान बंदी आंदोलन से नौकरी के पुराने लंबित प्रकरणों के निपटारे की मांग करी थी। 19 मई को नराईबोध के भू-विस्थापितों ने पार्षद अमिला पटेल के नेतृत्व में एसईसीएल गेवरा खदान का खनन व परिवहन का कार्य प्रभावित किया। इसी महीने कुसमुंडा खदान में भू-विस्थापितों के खनन व परिवहन का काम रोकने पर पुलिस ने 3 महिला सहित 7 भू-विस्थापितों को गिरफ्तार किया था।
वित्त वर्ष 2025-26 में 12 जून तक एसईसीएल को 41.31 मिलियन टन कोल प्रोडक्शन का लक्ष्य दिया गया था। मगर कोल कंपनी का लक्ष्य का 85 फीसदी से भी कम कोयला उत्पादन हुआ है। मानसून सीजन ने अभी तक दस्तक नहीं दी है। इसके बावजूद एसईसीएल अभी के लक्ष्य से कम खनन किया है। बारिश में खुली खदानों का उत्पादन प्रभावित जरूर होता है। भू-विस्थापतों का खदान बंदी आंदोलन खनन कार्य में बाधा बनी है। अभी तक का कुल उत्पादन 33.21 मिलियन टन है।

 

India Edge News Desk

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