डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद से यूएस डॉलर में लगातार गिरावट

वाशिंगटन

दुनिया की सबसे शक्तिशाली करेंसी यूएस डॉलर जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद से लगातार गिरावट पर है। इस पांच दशकों में सबसे खराब प्रदर्शन है। 2025 की पहली छमाही में इसमें लगभग 11% की गिरावट आई, जो 1973 के बाद से सबसे तेज छमाही गिरावट है और अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर से 13% नीचे है।

डॉलर की गिरावट के 3 मुख्य कारण
1. अप्रत्याशित आर्थिक नीतियां

ब्लूमबर्ग के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर (जैसे "लिबरेशन डे" टैरिफ) और फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर हमलों ने डॉलर की "सुरक्षित हेवन" छवि को क्षति पहुंचाई है। विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी परिसंपत्तियों की बिकवाली तेज कर दी, जिससे डॉलर इंडेक्स में पहले छह महीनों में 10.8% की गिरावट आई।

बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट के तहत टैक्स कट का विस्तार, स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं में कटौती, और कर्ज में $3.3 ट्रिलियन की वृद्धि से राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका। अमेरिकी कर्ज का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात 124% से बढ़कर 2034 तक 134-156% हो सकता है।

2. रेटिंग डाउनग्रेड और निवेशकों का विश्वास घटा

मई 2025 में मूडीज ने अमेरिकी सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को Aa1 कर दिया, जिसका कारण ब्याज भार बढ़ना और लगातार घाटा बने रहना बताया गया। विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड और इक्विटी में अपनी पोजीशन कम करना शुरू कर दिया। विदेशी निवेशकों के पास अमेरिकी परिसंपत्तियों में $31 ट्रिलियन (इक्विटी: $19 ट्रिलियन, ट्रेजरी: $7 ट्रिलियन, कॉरपोरेट बॉन्ड: $5ट्रिलियन ) का जोखिम है, जिसमें कटौती से डॉलर पर दबाव बढ़ा।

3. ब्याज दरों में कटौती की अटकलें

फेड द्वारा 2025 के अंत तक दो से तीन बार ब्याज दरें कम करने की संभावना से डॉलर का आकर्षण कम हुआ है। प्रशासन का दबाव है कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए दरें तेजी से घटाई जाएं।

डॉलर के कमजोर होने से आपकी जेब पर क्या पड़ेगा असर

गोल्ड : केडिया कमोडिटिज के प्रेसीडेंट अजय केडिया के मुताबिक डॉलर में गिरावट और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के कारण केंद्रीय बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। 2025 में सोना रिकॉर्ड ऊंचाई ($3,345/औंस) पर पहुंच गया है । वहीं, अमेरिकी टैरिफ की आशंका से व्यापारियों ने सोना स्विट्जरलैंड से अमेरिका (COMEX) स्थानांतरित किया, जिससे COMEX इन्वेंटरी 300 टन, जो कोविड के बाद सर्वोच्च स्तर है, तक पहुंच गई। दूसरी ओर लंदन में सोने की उपलब्धता कम होने से गोल्ड लीज रेट जनवरी 2025 में 5% तक पहुंच गया, हालांकि अब यह घटकर 1% रह गया है।

भारत जैसे देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा मई 2025 तक 60.66 अरब डॉलर हो गया, जो एक सप्ताह में $0.48 बिलियन की वृद्धि दर्शाता है। आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1% की गिरावट भारत की विकास दर को 0.3% कम कर सकती है।

कच्चा तेल

अगर डॉलर कमजोर होता है और रुपया इसके मुकाबले मजबूत है तो इस क्षेत्र को राहत मिलेगी, क्योंकि यह आयात किया जाता है। कच्चे तेल का आयात बिल में कमी आएगी और विदेशी मुद्रा कम खर्च करना होगा।

कैपिटल गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान सस्ते होंगे

डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती से इस सेक्टर को भी राहत मिलेगी, क्योंकि रुपये की मजबूती से भारत में सस्ते कैपिटल गुड्स मिलेंगे। रुपये मजबूत हो तो इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी लाभ हासिल होगा, क्योंकि सस्ते इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे। रुपये की मजबूती का सकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा। इससे यह सस्ता होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा।

फर्टिलाइजर्स की कीमत घटेगी

भारत बड़ी मात्रा में जरूरी खाद और रसायन का आयत करता है। रुपये की मजबूती से यह भी सस्ता होगा। आयात करने वालों को यह कम दाम में ज्यादा मिलेगा। इससे इस क्षेत्र को सीधा फायदा होगा। साथ ही किसानों को भी लाभ होगा,उनकी लागत घटेगी जिससे आय बढ़ेगी।

सोना वर्सेज डॉलर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ, देश में डेफिसिट स्पेंडिंग के संकट और फेड पर ब्याज में कटौती के दबाव से निवेशकों का डॉलर से मोहभंग हुआ है। यही वजह है कि यूएस डॉलर बियर मार्केट टेरिटरी के करीब पहुंच गया है। हाल के वर्षों में कई देशों ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की हिस्सेदारी कम की है और सोने की हिस्सेदारी बढ़ाई है। ग्लोबल रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी 2025 की दूसरी तिमाही में 23% पहुंच गई जो 30 साल में सबसे ज्यादा है।

पिछले छह साल में ग्लोबल रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी दोगुनी हो चुकी है। चीन, तुर्की, भारत और पोलैंड समेत दुनिया के कई देशों के सेंट्रल बैंक तेजी से अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं। चीन के केंद्रीय बैंक ने मई में लगातार सातवें महीने सोने की खरीदारी की। इतना ही नहीं, चीन अपने नागरिकों को भी सोने की होल्डिंग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। साल की दूसरी तिमाही में ग्लोबल रिजर्व में अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी 10 परसेंटेज पॉइंट घटकर 44 फीसदी रह गई है जो 1993 के बाद सबसे कम है।

रुपये की मजबूती से इन क्षेत्रों को झटका

आईटी सेक्टर: रुपये की मजबूती से इस सेक्टर पर प्रतिकूल असर आएगा। कंपनियों को मिलने वाले काम पर आय कम होगी जिससे उनको नुकसान होगा।

दवा निर्यात: रुपया मजबूत होने से इस सेक्टर का निर्यात भी घटेगा। हालांकि, भारत बड़ी मात्रा में दवा और उसका कच्चा माल आायत करता है जिसमें उसे थोड़ी राहत मिलगी।

कपड़ा क्षेत्र को घाटा: रुपया मजबूत होता है तो इस सेक्टर को निर्यात में काफी नुकसान होता है। टेक्सटाइल निर्यात में भारत वैश्विक रैकिंग में फिलहाल दूसरे स्थान पर मौजूद है। अगर रुपया मजबूत हुआ तो इस सेक्टर को भी काफी नुकसान होगा।

पढ़ाई महंगी होगी: रुपया मजबूत होने से विदेशी में पढ़ाई करना महंगा हो जाएगा। साथ ही विदेश यात्रा भी महंगी हो जाएगी।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button