QUAD का बड़ा कदम: क्रिटिकल मिनरल्स पर एक्शन प्लान, चीन को घेरने की तैयारी

नई दिल्ली 
भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के समूह ‘क्वाड’ ने मिलकर चीन की मनमानी रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। वैश्विक तकनीकी और रक्षा उद्योगों के लिए अहम क्रिटिकल मिनरल्स की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और विविध बनाने के लिए एक नई रणनीतिक पहल की शुरुआत की है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन द्वारा इन खनिजों पर नियंत्रण को लेकर वैश्विक चिंता गहराती जा रही है।

क्वाड की ओर से बुधवार देर रात जारी संयुक्त बयान में कहा गया, “क्रिटिकल मिनरल्स की आपूर्ति श्रृंखलाओं में अचानक बाधा और भविष्य की विश्वसनीयता को लेकर हम गहराई से चिंतित हैं। एक ही देश पर अत्यधिक निर्भरता से आर्थिक दबाव, कीमतों में हेराफेरी और आपूर्ति बाधित होने का खतरा रहता है।” इस बयान में स्पष्ट रूप से चीन को निशाने पर लेते हुए कहा गया कि इस निर्भरता से हमारे उद्योगों की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान हो सकता है।

क्यों जरूरी हैं क्रिटिकल मिनरल्स?
क्रिटिकल मिनरल्स जैसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs), लिथियम, कोबाल्ट आदि का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर्स में होता है। NdFeB मैग्नेट (Neodymium-Iron-Boron) इलेक्ट्रिक मोटरों के लिए आवश्यक हैं। ये चीन लगभग एकाधिकार के साथ बनाता है।

भारत की ऑटो इंडस्ट्री पर असर
भारत की नई नवेली ईवी इंडस्ट्री को भी चीन की पाबंदियों का सीधा असर महसूस हो रहा है। चीन ने भारतीय कार कंपनियों के आवेदनों को मंजूरी नहीं दी है, जिससे मैग्नेट और आवश्यक उपकरणों की कमी हो रही है। बीजिंग अब कंपनियों से कह रहा है कि वे अलग-अलग उपकरणों के बजाय पूरा मोटर असेंबली चीन से खरीदें, जिससे भारतीय कंपनियों की निर्माण योजनाओं पर संकट मंडरा रहा है।

क्वाड ने “Quad Critical Minerals Initiative” के तहत घोषणा की कि सदस्य देश आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और विविध बनाने में सहयोग करेंगे। ई-वेस्ट से खनिजों की प्राप्ति और पुनःप्रसंस्करण को भी बढ़ावा देंगे। निजी कंपनियों के साथ मिलकर निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह पहल आर्थिक सुरक्षा और सामूहिक लचीलापन बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है।

G7 की पहल से भी जुड़ा भारत
इससे पहले कनाडा में हुए G7 सम्मेलन में भी क्रिटिकल मिनरल्स पर एक्शन प्लान तैयार किया गया था जिसे भारत ने समर्थन दिया था। RISE Initiative के तहत विश्व बैंक के सहयोग से सप्लाई चेन मजबूत करने की योजना बनाई गई है। जापान और अन्य देशों ने इसमें 25 मिलियन डॉलर का योगदान देने का वादा किया।

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ‘TRUST’ (Transforming Relationship Utilizing Strategic Technology) पहल पर सहमति बनी। इसमें लिथियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स के खनन व प्रसंस्करण की तकनीक विकसित करने पर फोकस है। अमेरिका के Critical Materials Innovation Hub के प्रमुख टॉम लोग्रासो ने हाल ही में भारत आकर साझेदारियों की संभावनाएं टटोलीं।

 

India Edge News Desk

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