ऐसे थे मनोज सिंह मंडावी

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष और सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक मनोज सिंह मंडावी का दिल का दौरा पड़ने के कारण रविवार को निधन हो गया। पार्टी के नेताओं ने यह जानकारी दी। कांग्रेस की संचार इकाई के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि मंडावी (58) को दिल का दौरा पड़ने के बाद पड़ोसी धमतरी शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सुबह उनका निधन हो गया।
कांकेर जिले में भानुप्रतापपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मंडावी शनिवार रात को जिले के चरामा इलाके में अपने पैतृक गांव नथिया नवागांव में थे। शुक्ला ने बताया कि उन्होंने बेचैनी होने की शिकायत की थी जिसके बाद उन्हें चरामा में एक अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच की। उन्होंने बताया कि इसके बाद मंडावी को धमतरी शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका निधन हो गया।
मनोज सिंह मंडावी। विधायक विधानसभा क्र. 80। भानुप्रतापपुर। छत्तीसगढ़। मनोज सिंह मंडावी का परिचय इतना छोटा-सा कतई नहीं था। मनोज सिंह मंडावी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और चौथी छत्तीसगढ़ विधान सभा के सदस्य थे, जो 2018 छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव में भानुप्रतापपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
तीन बार विधायक रहे और बस्तर क्षेत्र में पार्टी का अहम आदिवासी चेहरा रहे मंडावी 2000 से 2003 के बीच राज्य में अजीत जोगी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के दौरान गृह एवं कारागार मंत्री थे। मंडावी के राजनीतिक सफर की शुरूआत 1990 के दशक में यूथ कांग्रेस से हुई थी। वो मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके थे। इसके बाद 1998 में मनोज मंडावी पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे। छत्तीसगढ़ का गठन होने के बाद उन्होंने अजीत जोगी के शासन में ढहऊ और नगरीय प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी भी संभाली थी।
मनोज मंडावी को क्षेत्र का ऐसा आदिवासी नेता माना जाता था, जो सभी वर्गों और समुदाय में समान रूप से प्रसिद्ध था। इनके चाहने वालों की कमी नहीं थी। अपने दो दशक के राजनीतिक जीवन में इन्होंने कई अहम पदों पर रहते हुए जिम्मेदारियों का निर्वहन किया, जिनमें गृह, जेल, लोक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय भी शामिल थे। उन्होंने फ्रांस जर्मनी ब्रुसेल्स नीदरलैंड आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की विदेश यात्राएं भी की थी। अपनी मां बुन्दबत्ती बाई एवं पिता हरिशंकर ठाकुर को प्रेरणा स्रोत मानने वाले मनोज मंडावी हर समय अपनी मां को अपने पास ही रखते थे।
अविभाजित मध्य प्रदेश के बस्तर जिले की कांकेर तहसील नाथिया नवागांव में 14 नवंबर 1964 को हरि शंकर मंडावी के घर मनोज सिंह मंडावी का जन्म हुआ। राजनीतिक विरासत उनके घर पर ही मिली थी। इनके पिता स्व हरिशंकर सिंह ठाकुर संपन्न किसान होने के अलावा कांकेर विधानसभा से विधायक भी रहे। इसी कारण राजनीति का ककहरा इन्होंने घर पर ही सीखा। मनोज मांडवी की शादी सावित्री मंडावी से हुईै, जिनसे उनके दो बेटे हैं-तुषार और अमन। अमन वर्तमान में युवक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष का चुनाव लड़कर अध्यक्ष बनने वाला है।
इनकी पढ़ाई नाथिया नवागांव और कांकेर में ही पूरी हुई। उन्होंने समाजशास्त्र में एमए तथा एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 1986 में कला स्नातक की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1988 में रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर से संबद्ध सरकारी डिग्री कॉलेज कांकेर से समाजशास्त्र में मास्टर आॅफ आर्ट्स की उपाधि प्राप्त की।
उन्होंने 1984 में शासकीय महाविद्यालय कांकेर का उपाध्यक्ष बनकर छात्र राजनीति में कदम रखा और 1989 तक तीन बार शासकीय महाविद्यालय कांकेर के छात्र संघ से बस्तर छात्र संघ के अध्यक्ष तक पहुंचे। इसी दौरान पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता अर्जुन सिंह के संपर्क में आए और दलगत राजनीति की ओर मुड़ गए। इसके बाद वह स्व. अजीत जोगी के संपर्क में आए। इसी संपर्क का नतीजा यह निकला कि 1998 में कांग्रेस पार्टी से उन्होंने भानुप्रतापपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और पहली बार अविभाजित मध्यप्रदेश में विधायक बने। यह सफर 2003 में रुका।
मंडावी उस समय भाजपा के देव लाल दुग्गा से केवल 1379 मतों के अंतर से हार गए। 2008 के अगले विधायी चुनाव में, जो तब एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे, वे भाजपा के ब्रम्हानंद से 15479 मतों से हार गए।
लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता खत्म नहीं हुई। लगातार जनसंपर्क और अपनी जीजिविषा के कारण 2013 एवं 2018 में फिर से विधायक चुने गए।
2013 में, मंडावी ने भानुप्रतापपुर निर्वाचन क्षेत्र में 64,837 मतों के साथ कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की, भाजपा के सतीश लतिया को हराया और कुल वोट शेयर का 45.98% हासिल किया। उन्होंने 2018 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 72,520 वोटों के साथ इसे दोहराया, कुल वोट शेयर का 49.07% हासिल किया और इस प्रक्रिया में भाजपा के देव लाल दुग्गा को हराया।
इस बीच मंडावी जी ने कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभाई। 2013 और 2018 आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। वह आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एआईसीसी के सदस्य रहते हुए छत्तीसगढ़ की पहली कांग्रेस सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके थे। कांग्रेस सरकार की प्रदेश में दूसरी पारी में छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में सुशोभित थे और उस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन भी कर रहे थे।
मनोज मंडावी को खेलों के प्रति अधिक लगाव था। विभिन्न खेलों में स्थानीय टीमों का मंडावी प्रतिनिधित्व भी कर चुके थे। उनमें विधानसभा उपाध्यक्ष बनने के बाद भी क्रिकेट की दीवानगी इस कदर थी कि जब भी कोई मैच होता था तो सब काम छोड़कर मैच देखने में जुट जाते थे।
इसके अलावा वह बहुत धार्मिक व्यक्ति थे। इन्हें धर्म में बहुत आस्था थी। धरम करम पर बहुत ही ज्यादा भरोसा करते थे इसलिए इनके करीबी कई बार इन्हें धर्मांध भी कहने से नहीं चूकते थे। उनके स्वभाव को कई लोग उग्र भी कहते थे परंतु कम बात करना और स्पष्ट वादिता इनकी पूंजी थी। जातिगत राजनीति से दूर रहते हुए नियम कानून से बंधे रहना इनकी कमजोरी भी थी। आमतौर पर क्षेत्र के लोगों से प्यार से मिलते थे और इन लोगों में राजनीतिक भेदभाव नहीं करते थे।