ई-कचरा पैदा करने में दुनिया में पांचवें नंबर पर है भारत, दुनिया में फेंक दिए जाएंगे 5.3 बिलियन फोन

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : ई-कचरा पैदा करने में भारत दुनिया में पांचवें नंबर पर है। देश में हर साल 10 लाख ई-कचरे का उत्पादन होता था। डिजिटल क्रांति के कारण बाजार में हर दिन नए स्मार्टफोन आ रहे हैं। यह सीधे हवा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक कचरे से निपटने वाले वेस्ट इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल भारत में जितने स्मार्टफोन हैं, उससे चार गुना दुनिया में ई-कचरा पैदा होगा। इसका मतलब है कि 5.3 बिलियन फोन कूड़ेदान के रूप में खत्म हो जाएंगे या फेंक दिए जाएंगे। यह रिपोर्ट WEEF वर्ल्ड ट्रेड स्टैटिस्टिक्स पर आधारित है।
पुराने फोन को डिस्पोज करने से पर्यावरण को नुकसान होता है इसलिए उन्हें रिसाइकिल करना सबसे अच्छा उपाय है। लेकिन जनता में इसके प्रति पर्याप्त जागरुकता नहीं है। इसलिए, कई उपभोक्ता नए फोन खरीदते हैं लेकिन पुराने फोन को पास ही रखते हैं या फेंक देते हैं। इससे ई-कचरा बढ़ता है। E West में सबसे ज्यादा कंप्यूटर का प्रतिशत यानि लगभग 70 प्रतिशत है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में कई महंगी धातुओं का उपयोग किया जाता है, और कांच प्रचुर मात्रा में होता है। इनमें से केवल 10 प्रतिशत ही एकत्र किया जाता है। एक खराब स्मार्टफोन में 60 प्रतिशत धातु होती है। आईफोन में सोना, चांदी, पैलेरियम जैसी महंगी धातुओं का इस्तेमाल होता है। लेकिन मूल रूप से जन जागरूकता की कमी के कारण इसका बहुत कम पुनर्चक्रण होता है।
आज दुनिया में 16 अरब मोबाइल फोन इस्तेमाल में हैं, जो दुनिया की आबादी के दोगुने से भी ज्यादा है। इनमें से एक तिहाई फोन का इस्तेमाल ही नहीं होता। चेतावनी दी गई है कि अगले 7-8 वर्षों में 7.4 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा बढ़ेगा और कहा जाता है कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होंगे।