दिल्ली दंगा: अब उमर खालिद को होगा 19 मई का इंतजार
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद द्वारा फरवरी 2020 में दंगों के पीछे कथित साजिश से संबंधित UAPA मामले में जमानत को लेकर एक याचिका को 19 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। अदालत ने प्रभावी निर्णय के लिए खालिद के साथ अभियोजन पक्ष को सभी प्रासंगिक दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति दे दी। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने इसी मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई भी 24 मई तक के लिए स्थगित कर दी। निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के खिलाफ खालिद की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि 19 मई को आगे की सुनवाई की जाएगी।
इस बीच पक्षकारों को एक सप्ताह के भीतर अपील के प्रभावी निर्णय के लिए प्रासंगिक सभी दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर रखने की स्वतंत्रता है। खालिद, इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के ‘‘मास्टरमाइंड” होने के आरोप में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया। दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे। संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी। निचली अदालत ने खालिद और इमाम की जमानत याचिकाओं को क्रमश: 24 मार्च और 11 अप्रैल को खारिज कर दिया था।
खालिद ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी है कि उसके भाषण में हिंसा का आह्वान नहीं किया गया। इन्हीं भाषण के आधार पर खालिद के खिलाफ आरोप लगाए गए। सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप का सामना कर रहे इमाम ने इस आधार पर अपनी रिहाई का अनुरोध किया है कि किसी भी स्वीकार्य सामग्री के अभाव में निचली अदालत ने गलत तरीके से उसे दंगा भड़काने की साजिश का हिस्सा पाया। इमाम की दलील है कि उसके खिलाफ UAPA के तहत किसी भी ‘आतंकवादी कृत्य’ के लिए मामला नहीं बनता। खालिद और इमाम के अलावा, कार्यकर्ता खालिद सैफी, JNU की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता, जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर, आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य पर भी मामले में कड़े कानून के तहत मामला दर्ज किया गया।
(जी.एन.एस)