ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट में ट्रेनों की धुलाई शुरू, सालाना 1.28 करोड़ लीटर पानी की होगी बचत
यह प्लांट 24 कोच की ट्रेन को करीब 15 मिनट में साफ कर देता है। स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट पारंपरिक धुलाई की तुलना में केवल 20 प्रतिशत पानी का उपयोग करता है।
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रायपुर. रायपुर न्यूज़ दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अपने यात्रियों को नई और उन्नत सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है। ये सुविधाएं यात्रा को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ संक्रमण मुक्त रखने में भी मदद करेंगी। दरअसल, रेलवे ने अपने पारंपरिक धुलाई के तरीकों को खत्म कर दुर्ग और बिलासपुर में ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट की सुविधा शुरू की है. इस स्वचालित कोच वॉशिंग प्लांट को स्थापित करने के पीछे का उद्देश्य ट्रेनों को कुशलतापूर्वक और शीघ्रता से साफ करना है। ऐसा ही नागपुर डिविजन के गोंदिया कोचिंग डिपो में ऐसी आटोमेटिक कोचिंग वाशिंग प्लांट स्थापित किया गया है।
रेल मंडल के अधिकारियों ने बताया कि बिलासपुर मंडल के कोचिंग डिपो में सबसे पहले मानव रहित कोच वाशिंग प्लांट लगाया गया है, जिससे पानी, समय और जनशक्ति की बचत हुई है। इस आधुनिक कोच वॉशिंग प्लांट की मदद से न केवल पानी की बचत हो रही है, बल्कि ट्रेन के कोचों की धुलाई भी अच्छे तरीके से हो रही है, जिससे कुछ ही घंटों में कोच चमकने लगेंगे। अभी तक ट्रेन के एक कोच को धोने के लिए 1500 लीटर पानी की जरूरत होती थी, लेकिन ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट सिर्फ 300 लीटर पानी में ही पूरे कोच को धो देता है।
इस 300 लीटर पानी में 80 प्रतिशत पुनर्चक्रित पानी भी होता है और प्रति कोच प्रतिदिन धोने के लिए केवल 60 लीटर ताजे पानी की आवश्यकता होती है। इससे 96 फीसदी पानी की बचत होती है यानी सालाना 1.28 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकता है. यह प्लांट रोजाना करीब 300 कोचों की सफाई कर सकता है. प्लांट से पहले दर्जनों लोग एक ट्रेन को धोने में घंटों लगा देते थे। लेकिन अब स्वचालित यंत्रीकृत सफाई व्यवस्था पर आधारित यह प्लांट घंटों का काम मिनटों में कर देता है।
15 मिनट में 24 डिब्बों की ट्रेन की धुलाई
यह प्लांट 24 डिब्बों की ट्रेन की सफाई करीब 15 मिनट में कर देता है। स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट पारंपरिक धुलाई की तुलना में केवल 20 प्रतिशत पानी का उपयोग करता है, जबकि जब ट्रेन को इस 20 प्रतिशत पानी से धोया जाता है, तो इसका लगभग 80 प्रतिशत पानी पुन: उपयोग किया जाता है। इसके लिए प्लांट में पानी को साफ करने की भी व्यवस्था है. यह संयंत्र काफी हद तक समय बचाने और जनशक्ति को कम करने में सक्षम है।
ऐसे होती है धुलाई और सफाई ट्रेन गुजरने पर प्लांट सबसे पहले एक केमिकल का छिड़काव करता है
इसके बाद वह ट्रेन के कोच को बड़े ब्रश और पानी की मदद से साफ करते हैं. इस प्लांट में मैनुअल कुछ भी नहीं है बल्कि ट्रेन के ऊपर हाई प्रेशर से ठंडा और गर्म पानी डाला जाता है. प्लांट को चलाने के लिए हमेशा कर्मचारियों को रखना ज़रूरी नहीं है। जैसे ही कोई ट्रेन आती है तो इस सिस्टम को खुद ही पता चल जाता है कि ट्रेन आ रही है और मशीन अपने आप चालू हो जाती है। दुर्ग कोचिंग डिपो में स्थापित प्लांट में मात्र सातसात से आठ मिनट में एक पूरी ट्रेन की धुलाई हो जाती है। इस तरह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अपने तीनो मंडलों के कोचिंग डिपो में यह आटोमेटिक प्लांट स्थापित कर लिया है।