कश्मीर में पर्यटन उद्योग के पुन: पटरी पर, सभी होटल व हाउसबोट बुक
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
श्रीनगर : डल झील के किनारे शिकारे में सैर करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते पर्यटक, श्रीनगर एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़, गुलमर्ग में गंडोला में बैठने के लिए खड़े सैलानियों का जमावड़ा, रेस्तरां व ढाबों में खाने की मेज के लिए मारामारी, शालीमार-निशातबाग में परंपरागत कश्मीरी वेशभूषा में तस्वीरें खिंचवाते सैलानियों की भीड़ बहुत कुछ कहती है। यह बदलाव केवल कश्मीर में पर्यटन उद्योग के पुन: पटरी पर लौटने का ही नहीं बल्कि वादी में शांति, सुरक्षा और विश्वास के वातावरण की बहाली का एलान भी है।
गृह मंत्रालय को इन मुद्दों को लेकर बातचीत करने के मई माह तक का समय दिया गया था। मौजूदा वर्ष में पहली जनवरी से 15 मई तक करीब सात लाख सैलानी कश्मीर में आ चुके हैं। आलम यह है कि जून के अंत तक लगभग सभी होटल व हाउसबोट बुक हैं। मौजूदा मई के पहले सप्ताह के दौरान ही कश्मीर में करीब 35 हजार पर्यटक आ चुके हैं। कानपुर से आई अवंतिका यादव ने कहा कि हमें होटल बुक करने में ही दो दिन लग गए। हमारे उत्तर प्रदेश से भी यहां बहुत से लोग आए हैं। हम पहले सोच रहे थे कि यहां ज्यादा भीड़ नहीं होगी। यहां तो हर जगह ही सैलानी नजर आ रहे हैं। गाड़ी में पांच बच्चों समेत 12 यात्री सवार थे।
विदेश में भी कई जगह घूम चुका हूं। कश्मीर कभी नहीं आया था। जब मेरी पत्नी ने कहा कि इस बार कश्मीर चलते हैं तो मैंने मना कर दिया, मुझे लगता था कि कश्मीर में हालात खराब हैं। फिर हमारे एक पारिवारिक मित्र अजीत दास ने कहा कि कश्मीर में डरने वाला कुछ नहीं है। वह यहां मार्च में आए थे। नासिर स्थानीय स्तर पर एलइडी बल्ब तैयार कर पूरे प्रदेश में सप्लाई कर रहे हैं। कश्मीर न सिर्फ खूबसूरत है बल्कि यहां लोग भी बहुत सहृदय हैं। हमारे टैक्सी चालक ने भी हमें अपने घर में दावत पर बुलाया। अब यहां डर नहीं लगता है। अपनी मां को शिकारे में बैठा रहे अमित शर्मा ने कहा कि मैं कनाडा में रहता हूं। कुछ समय पहले अपनी मां से मिलने दिल्ली आया था, लेकिन गर्मी ने इतना सताया कि मां और बहन को लेकर यहां श्रीनगर पहुंच गया। गुलमर्ग और पहलगाम में हमें खूब मजा आया।
कई वर्ष से वेतन की समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकला है। दिल्ली के दिलशाद गार्डन निवासी सुरेश शर्मा ने कहा कि मैं कश्मीर में पहले भी घूमने आ चुका हूं। इस तरह की भीड़ नहीं देखी थी। पहले यहां हर जगह सुरक्षाबल नजर आते थे, अब अधिकतर सैलानी नजर आ रहे हैं। यहां किसी के चेहरे पर डर नजर नहीं आता। वहीं होटल व्यावसायी शौकत ने कहा कि इस समय शायद ही कोई होटल या हाउसबोट होगा जो आपको खाली मिलेगा। अगर खाली हुआ तो सिर्फ कुछेक घंटे बाद फुल हो जाएगा।
कुछ आतंकी और उनके साथ शहर में पनाह लेेने की कोशिश में है। हमें उम्मीद इस साल करीब 12 लाख पर्यटक आएंगे : पर्यटन विभाग के उपनिदेशक अहसान उल हक ने कहा कि पर्यटन उद्योग पटरी पर लौट आया है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल करीब 12 लाख पर्यटक आएंगे। इनमें हम श्री अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को नहीं गिन रहे हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के दिशा निर्देश में हमने देश विदेश में जम्मू कश्मीर में पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए जो अभियान चलाया, यह उसका ही परिणाम है। फिल्म नीति को लागू करने का भी हमें फायदा हुआ है। पर्यटन निदेशक डा. जीएन इट्टु़ ने कहा कि हमने पूरे प्रदेश में 75 नए टूरिस्ट सर्किट शुरू किए हैं, जो लोगों को यह पसंद आ रहे हैं।
आर्थिक मामलों के जानकार डा. शकील कलंदर ने कहा कि होटल व रेस्तरां के जरिए कश्मीर में करीब दो लाख लोग प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से रोजगार कमाते हैं। करीब 10 हजार टैक्सी व टैंपों चालक हैं। इस समय कश्मीर में टैक्सी, टैंपों आसानी से नहीं मिल रहा है। शाम को डल झील के किनारे सड़क पर ट्रैफिक जाम ही नजर आएगा। श्रीनगर एयरपोर्ट पर रोजाना 40-45 विमान आ रहे हैं और इतने ही विमान उड़ान भर रहे हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि करोड़ों लोग स्वस्थ रहने के लिए योग को अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं। कश्मीर को लेकर दुष्प्रचार अब नहीं : पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने पर कहा कि अलगाववादियों, आतंकियों और उनके समर्थकों के साथ साथ कुछ मीडिया चैनलों ने भी कश्मीर को लेकर देश दुनिया में भ्रम की स्थिति पैदा कर रखी थी। पांच अगस्त 2019 के बाद से यह दुष्प्रचार कमजोर हो रहा था और आज यह पूरी तरह समाप्त हो गया है।
(जी.एन.एस)