Hasdeo Forest News: आदिवासियों पर अत्याचार के मामलों की जांच के लिए बनी कांग्रेस की टीम ने शनिवार को प्रभावित इलाके का दौरा किया.
टीम ने हसदेव में ग्रामीणों से बातचीत की. जांच टीम का अनुमान है कि परसा और केटे एक्सटेंशन खदानों के लिए 9 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे.
कोरबा: हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदानों के लिए वनों की कटाई और ग्रामीण आदिवासियों पर अत्याचार के मामलों की जांच के लिए गठित कांग्रेस टीम ने शनिवार को प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया. पूर्व मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह के नेतृत्व में जांच टीम ने साल्ही, हरिहरपुर, घाटबर्रा और फतेहपुर के लोगों से बात की.
ग्रामीणों ने जांच टीम को बताया कि प्रभावित गांव के लोग अपनी जमीन नहीं देने पर आमादा हैं
वे जंगल और जमीन बचाने के लिए पिछले 675 दिनों से हरिहरपुर और घाटबर्रा गांवों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्राम हरिहरपुर में धरने पर बैठे ग्रामीणों के प्रतिनिधि रामलाल करियाम साल्ही, इंद्रकुंवर मदनपुर, उमेश्वर साल्ही, संपतिया हरिहरपुर ने ग्रामीणों की ओर से एक स्वर में कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र की प्रस्तावित सभी 23 कोयला खदानों को निरस्त किया जाए।
आपको बता दें कि परसा खदान के लिए ग्रामीणों की सहमति नहीं है
वन अधिकार पट्टे के लिए 27 जनवरी 2018 को ग्राम सभा की बैठक आयोजित की गई थी। ग्राम सभा के प्रस्ताव 1 से 21 में खदान का कोई जिक्र नहीं था। ग्राम सभा की समाप्ति के बाद उदयपुर के विश्राम गृह में तत्कालीन कलेक्टर एवं पुलिस अधिकारियों ने सरपंच/सचिव पर दबाव बनाकर एजेंडे की सहमति प्राप्त कर ली। खदान क्रमांक 22 में अलग से लिखा एवं हस्ताक्षरित किया गया। फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव को लेकर उदयपुर थाने से लेकर राज्यपाल तक शिकायत की गई है |
घाटबर्रा में सामुदायिक वन अधिकार का पट्टा मिला था
उसे निरस्त कर दिया गया। मामला कोर्ट में विचाराधीन है. यहां वनों की कटाई को लेकर एक विशेष ग्राम सभा आयोजित की गई। ग्रामीणों के विरोध के कारण इसे रद्द कर दिया गया. आरोप है कि बाद में घर-घर जाकर रजिस्टर लिया गया और हस्ताक्षर लिए गए। जब घाट बर्रा के अधिकांश लोगों ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया तो फर्जी हस्ताक्षर बनाये गये।
कृष्णा प्रसाद का आरोप है कि उनके भाई धनीराम आत्मज संतराम की 15-16 साल पहले मौत हो गई थी
रजिस्टर में उनके हस्ताक्षर भी हैं. ऐसे कई नाम हैं जिनकी मृत्यु ग्राम सभा से पहले ही हो चुकी है लेकिन उनके हस्ताक्षर कार्यवाही रजिस्टर में हैं।जांच टीम के संयोजक पूर्व मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह ने ग्रामीणों के हवाले से बताया कि कंपनी के लोगों का कहना है कि उन्हें नये खुले परसा खदान के लिए वन कटान की मंजूरी मिल गयी है, लेकिन संबंधित कागजात कभी नहीं दिखाया गया. इसको लेकर ग्रामीणों में संशय है। स्थिति यह है. ग्रामीण डरे हुए हैं, उन्हें लग रहा है कि अडानी कंपनी प्रशासन के साथ मिलकर कभी भी जंगल काटना शुरू कर सकती है. एक अनुमान के मुताबिक परसा और केटे एक्सटेंशन खदान के लिए कुल 9 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे.