Water Sharing Agreement: राजस्थान व मप्र के बीच एमओयू, पानी के बंटवारे को लेकर समझौता
MP में सात सिंचाई परियोजनाओं का होगा निर्माण, नौ जिलों में 3.37 लाख हेक्टेयर में होगी सिंचाई
दिल्ली, Water Sharing Agreement: पार्वती, कालीसिंध और चंबल परियोजनाओं को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद रविवार को खत्म हो गया. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ बैठक की और दोनों मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंचे, जहां कार्यालय में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में दोनों राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. श्रम शक्ति भवन में जल शक्ति मंत्रालय का त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये।
इसके तहत अब एकीकृत पार्वती, कालीसिंध एवं चंबल परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जायेगी. मध्य प्रदेश में सात सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया जाएगा. इससे नौ जिलों में 3.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी.
किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प के तहत दोनों राज्यों के बीच समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प के तहत दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ है. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और 30 लाख किसान परिवारों को सिंचाई और नौ जिलों की आबादी को पीने का पानी मिलेगा। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो अभियान शुरू किया था. वर्ष 2003 में एक योजना बनी और नदी जोड़ो अभियान चलाया गया। यह परियोजना दोनों राज्यों के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
प्रस्तावित छोटे बांधों के निर्माण पर भी सहमति बनी
मध्य प्रदेश की आपत्ति को दूर करने के लिए राजस्थान अपनी ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) में 75 प्रतिशत निर्भरता की राष्ट्रीय गाइडलाइन का पालन करने पर सहमत हो गया है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में पीकेसी (पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना) गांधी सागर बांध के अपस्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर प्रस्तावित छोटे बांधों के निर्माण पर भी सहमति बनी है।
अनुमानित लागत 22 हजार करोड़ रुपये
इस प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार 90 फीसदी और मध्य प्रदेश व राजस्थान अपनी-अपनी सीमा में बनने वाले प्रोजेक्ट की लागत का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा देंगे. मध्य प्रदेश में परियोजना की अनुमानित लागत 22 हजार करोड़ रुपये होगी.
दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते के अनुसार संशोधित पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना में कुंभराज कॉम्प्लेक्स, सीएमआरएस कॉम्प्लेक्स, लखुंदर बैराज, रणजीत सागर परियोजना और ऊपरी चंबल बेसिन में सात सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया जाएगा।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच था विवाद
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के लिए बांध के निर्माण और पानी के वितरण को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद था। राजस्थान सरकार का आरोप है कि 2005 में हुए समझौते के मुताबिक बांध बनना था, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी. ऐसे में राजस्थान सरकार ने ईआरसीपी को अपने खर्च पर पूरा करने का फैसला किया और जब बांध का निर्माण शुरू हुआ तो मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.