डूटा ने दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विरोधी मॉडल का विरोध करने और पत्रों को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध मार्च निकाला

नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ( डूटा ) के आह्वान पर दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री सुश्री आतिशी द्वारा दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों, जो पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित हैं, के खिलाफ नारे लगाए गए  तथा उनके द्वारा लगाए गए गलत आरोपों को निराधार बताया है । डूटा ने वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का विरोध करने के लिए शुक्रवार को कुलपति कार्यालय से दिल्ली विधानसभा तक विशाल विरोध मार्च निकाला। इस विरोध मार्च में प्रोफेसर वीएस नेगी , डॉ.सुनील शर्मा , डॉ.हंसराज सुमन , डॉ.चमन सिंह , प्रोफेसर पंकज गर्ग , डॉ.एसके सागर , डॉ.के एम वत्स आदि के अलावा 12 कॉलेजों के शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया ।

विरोध मार्च से पूर्व डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार अब इन कॉलेजों को पूरी तरह से वित्तपोषित करने की अपनी  जिम्मेदारी से भाग रही है। प्रोफेसर भागी ने आगे कहा कि चालू वित्तीय वर्ष — 2024–2025 में पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के लिए 12  कॉलेजों को अनुदान सहायता आज तक जारी नहीं की गई है।  ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार सुश्री आतिशी के पत्रों के अनुसार अपनी स्थिति को दोहरा रही है, जिसमें कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2024- -25 के लिए अनुदान सहायता जारी नहीं की जाएगी। शिक्षकों ने दिल्ली की आप सरकार की उच्च शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ नारे लगाए और छात्रों और जनता को दिल्ली सरकार की कारगुजारियों से परिचय कराया  साथ ही यह भी बताया कि दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों को अंबेडकर विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने की धमकी के बारे में शिक्षकों व जनता को बताया । उन्होंने यह भी बताया कि आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने इन 12 कॉलेजों के अनुदान में देरी या कटौती करके उन्हें मंत्री द्वारा उनके पत्र में दिए गए दो विकल्पों में से किसी एक पर सहमत करने के लिए दबाव बनाने की रणनीति का सहारा लिया है।

प्रोफेसर भागी ने अपने संबोधन में शिक्षकों को यह भी बताया कि दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री ने दावा किया है कि 939 अस्वीकृत शिक्षण पद हैं। इस पत्र के अनुसार कार्यरत स्थायी और तदर्थ शिक्षकों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया है। डूटा सुश्री आतिशी के उस बयान की निंदा करता है और दोनों पत्रों को पूरी तरह से खारिज करता है ।  डूटा अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने कहा, " ये पत्र, साथ ही फंड में कटौती और इन कॉलेजों को वित्तीय रूप से बीमार घोषित करना, इन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को डॉ. भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय और कौशल विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने के लिए सहमत करने की रणनीति के अलावा और कुछ नहीं है। उनका कहना है कि सरकार इन कॉलेजों को डिग्री प्रदान करने वाले स्वायत्त कॉलेज के रूप में चाहती है। इसका मतलब है कि इन सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों को स्व-वित्तपोषित संस्थानों में बदल दिया जाएगा। आप सरकार चाहती है कि छात्रों के फंड शुल्क से वेतन का भुगतान किया जाए, जो कि डूटा को स्वीकार्य नहीं है।

प्रोफेसर भागी का कहना है कि अनियमित फंडिंग/फंड कटौती के कारण वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी हुई है। इसके अलावा, सेवानिवृत्त और मृत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभ, चिकित्सा बिल प्रतिपूर्ति, बच्चों की शिक्षा भत्ता, 7वें वेतन संशोधन और पदोन्नति के कारण बकाया, एलटीसी आदि जैसे कर्मचारियों के अन्य वैधानिक बकाया या तो अवैतनिक हैं या 1 से 3 साल की देरी से भुगतान किए जाते हैं। इन्होंने  इन कॉलेजों के कर्मचारियों को अपने वेतन और अन्य बकाया जारी करने के लिए विभिन्न अवसरों पर दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया है। दिल्ली सरकार ने बहुत ही असंवेदनशील तरीके से काम किया है, माननीय न्यायालय ने सरकार को अनुदान जारी करने का निर्देश दिया जब इन्होंने अनुदान जारी किया , क्या हर बार शिक्षक न्यायालय का दरवाजा खटखटाये ?
 
प्रोफेसर भागी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन कॉलेजों के एडहॉक शिक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कई वर्षों तक इन कॉलेजों में पढ़ाया है और अब सुश्री आतिशी द्वारा उनकी नियुक्तियों और पदों को अवैध घोषित करना उन्हें स्वीकार्य नहीं है। दिल्ली सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए डीयू के शिक्षकों ने केजरीवाल सरकार से तुरंत अनुदान जारी करने की मांग की और कहा कि वे तुरंत पूरा अनुदान, स्वीकृत शिक्षण पद जारी करें और स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करें।

 

India Edge News Desk

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