अजय चंद्राकर: कई खूबियों वाला राष्ट्रवादी व्यक्तित्व
जन्मदिन पर विशेष लेख
कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके कामों और गुणों का बखान करने के लिए विशेषण छोटे पड़ जाते है पूर्व में भी हमने ऐसी कई हस्तियों से व्यक्तियों से अवगत कराया है । ये लोग कर्मयोगी होते हैं और लीक पर चलने के बजाय नये मानक रचते हैं। हमारी कहानी के हीरो ऐसी ही एक शख्सियत हैं। वह सियासत की दुनिया में अपनी भूमिका का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं। उनके व्यक्तित्व में कई खूबियां हैं, सीने पर कई तमगे और खाते में कई सुनहरी उपलब्धियां। कई चीज़ें हैं, जिनकी बदौलत यह शख्स औरों से अलहदा और अलग (और बिलाशक औरों से ऊंची) पायदान पर खड़ा नज़र आता है। इस शख्स का नाम है अजय चंद्राकर। वह छत्तीसगढ़ सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वर्तमान में विधायक हैं एवं वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं।
अजय चंद्राकर का जीवन महान उपक्रमों की लड़ी है। उनके खाते में कई उपलब्धियां शामिल हैं। अजय चंद्राकर के कामों को देखें। वे चमत्कृत करते हैं और मुग्ध भी। असफलता उनके शब्दकोश में नहीं है। वे तदबीर के धनी हैं। वे बरबस नवयुग के भगीरथ प्रतीत होते हैं। वे अभिकल्पन, नियोजन और क्रियान्वयन तीनों में लासानी रहे हैं। वे छत्तीसगढ़ में नवाचार के प्रणेता कहे जा सकते हैं। अजय चंद्राकर जमकर ज़ुबानी तीर चलाते हैं विधानसभा में विपक्ष भी इनका लोहा मानते हैं । पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक अजय चंद्राकर कुरूद के एक किसान परिवार में जन्में अजय चंद्राकर रमन सरकार में केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वे रमन सरकार के सबसे विवादास्पद मंत्री माने जाते थे।
उनके विभागों में भ्रष्टाचार के साथ-साथ उनके व्यवहार व बोलचाल के तरीकों पर विपक्ष बराबर हमले करते रहा। उनके कई बयानों पर पूरे प्रदेश में हडकंप मच चुका है। श्री चंद्राकर ने विपक्ष के ऐसे हमलों को ज्यादा तवज्जों न तब दी और न आज देते हैं। वे कहते हैं कि राजनीतिक जीवन में आरोप-प्रत्यारोप तो लगते रहते हैं, वर्किंग डिपार्टमेंट के मंत्रियों पर शुरू से आरोप लगते रहे हैं। लेकिन उनके खिलाफ जितने भी आरोप लगाए गए हैं उनमें से किसी को सही साबित करने के लिए विपक्ष के पास एक भी सबूत नहीं मिला था। उन पर लगे सभी आरोप तथ्यहीन तथा भ्रामक प्रचार था। हां निजी जीवन पर की जाने वाली छींटाकशी उन्हें व्यथित जरूर करती है। वे कहते हैं कि मैं अपने आंदोलन, संघर्ष और पार्टी द्वारा दिए गए अवसरों की वजह से यहां तक पहुंचा हूं। रही बात मेरे बयानों की तो मैंने जो पूर्व भूपेश बघेल सरकार से दस गुना ज्यादा काम करने का दावा किया था उस पर आज भी क़ायम है जब वह रमन सरकार के मंत्री थे, तब उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि एक ही दिन में तीन विश्वविद्यालयों के लिए नियमों और विनियमों का पारित होना है जो भारत में पहली बार हुआ था उनके लिए एक और बड़ी उपलब्धि पंचायती राज अधिनियम में संशोधन था, जिसने साक्षरता जैसे क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया, जिससे उन्हें कानूनी समर्थन मिला। इसके साथ ही पंचायत राज अधिनियम की स्वीकृति के बाद महिलाओं को पंचायत में 50% आरक्षण प्राप्त हुआ। अंबिकापुर में एसआईआरडी,एनआईटी, ओपन स्कूल, बिजनेस एजुकेशन डि वीजन, क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र और एक सैन्य स्कूल की स्थापना के साथ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सफलता देखी गई। छत्तीसगढ़ राज्य की प्रगति में अजय चंद्राकर का योगदान एआईईईई के लिए आईआईएम पत्राचार के चालू होने के साथ जारी रहा। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र को चमकदार पक्की सड़कों के साथ विकसित करने और नए स्कूलों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने शिक्षा के उन्नयन और नए स्कूलों की स्थापना के माध्यम से राज्य की विभिन्न समस्याओं का सफलतापूर्वक निवारण किया। उनका पिंड देशभक्ति, ईमानदारी, दूरदृष्टि और प्रगतिशीलता के अविनाशी तत्वों से बना है।
अजय चंद्राकर एक उत्साही पर्यावरणविद् हैं। अपने कुल क्षेत्रफल के लगभग 44% के हरे-भरे जंगल से आच्छादित है छत्तीसगढ़ से आने वाले विधायक चंद्राकर पेड़ लगाने और घटते वन भंडार की देखभाल करने की वकालत करते हैं। कई अवसरों पर उन्होंने पौधे लगाने की पहल की है। स्कूल और कॉलेज के छात्रों को उत्साहपूर्वक इसका पालन करने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। उनका मानना है कि हमने कई पेड़ों की हत्या की हैं अब वक्त आ गया है कि इसे खाई को संतुलित करने के लिए, हमें बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान में भाग लेने की आवश्यकता है। कुरूद क्षेत्र की नहरें विशाल हैं। मित्र मंडली के साथ नहरों के विराट फालों में नहाने का सुख उन्हें आज भी भुलाये नहीं भूलता। जो देहाती बच्चे बड़े नहर के गोदगोदा में गिर रहे पानी के भीतर जाकर छुपने का सुख जानते हैं वही नहर में नहाने का आनंद समझ सकते हैं।
पानी उपर से जब नीचे गिरता है तब बीच धारा और दीवार के बीच जगह बच जाती है जहां घटों खड़ा रहा जा सकता है। पानी की पदेर्दारी क्या है यह नहर में नहाकर की समझा जा सकता है। पर्दे के अंदर शरीर और संवेदना की अनगिनत कथाएं होती हैं। हर देहाती नौजवान जो बाद में शहर आकार बस जाता है, जब कभी नहरों के करीब पहुंचता है – नहर के कगारों में सर पटकती फिर रही नाजुक कहानियां उसे कई दशक पीछे ले चलती हैं।
जब वह मंत्री थे, सिरपुर को विश्व धरोहर स्थल देने में सबसे आगे थे। उन्होंने पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को राज्य की विभिन्न परंपराओं, रीति-रि वाजों और इतिहास पर स्थानीय भाषा में और छत्तीसगढ़ी में भी दस्तावेज तैयार करने के लिए कहा था। वह सालाना सिरपुर में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्सवों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे हैं।
अजय चंद्राकर इस बात की पुरजोर वकालत करते हैं कि छत्तीसगढ़ में पर्यटन उद्योग के विकास से राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी और यह उन्हें नक्सलियों के प्रभाव से बचाएगा। । अजय चंद्राकर खुद को एक रूढ़िवादी, राष्ट्रवादी हिंदू के रूप में मानते हैं, जो स्वामी विवेकानंद की विचारधाराओं का पालन करते हैं, जो उनके भाषणों और विधानसभा में दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों और उनके निजी जीवन में बहुत स्पष्ट है। ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’, स्वामी विवेकानंद द्वारा लोकप्रिय कथा उपनिषद का यह नारा अजय चंद्राकर का आदर्श वाक्य और मार्गदर्शक सिद्धांत है।
छत्तीसगढ़ स्थित कुरुद में एक उल्लेखनीय व्यक्तित्व कालीराम चंद्राकर के घर में 24 जून 1963 को अजय चंद्राकर का जन्म हुआ। अपने समय के बेहद अध्ययनशील जनप्रतिनिधि श्री भागवत चंद्राकर अजय जी के चाचा हैं। उनके पुरखे अर्जुनदा गांव से आकर कुरुद की नयी जमीन पर बसे थे। अजय चंद्राकर का निर्वाचन क्षेत्र और निवास स्थान कुरुद में है लेकिन परिवार का पुश्तैनी गांव अर्जुनदा है। कह सकते हैं कि अपूर्व मेधा का यह व्यक्ति बचपन में शेष बच्चों की तरह बेहद तेज और शरारती था। घर का माहौल धार्मिक था। अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक पारिवारिक वातावरण के कारण, अजय का मन आध्यात्मिकता और धार्मिक सिद्धांतों में गहराई से निहित रहा। घर पर, वह नियमित रूप से पवित्र भजनों के जाप के साक्षी बने रहते थे। अपने धार्मिक स्वभाव के कारण अजय को रामायण, महाभारत जैसी पौराणिक कथाओं को सुनने में बहुत आनंद आता था और उन्हें सुनाने का बहुत शौक था। यही कारण है कि वह हमेशा प्रतिभाशाली कथाकारों की संगति का आनंद लेते हैं और उनका दिल से सम्मान करते हैं।
अजय चंद्राकर की अधिकांश शिक्षा उनके पैतृक कुरुद में हुई। अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने बिलासपुर के एसबीआर कॉलेज से स्नातक किया। अपनी शिक्षा के दौरान ही छात्र अजय ने अपार नेतृत्व गुण दिखाना शुरू किया था। अपने स्कूल के दिनों में ही अजय ने तत्कालीन मंत्री से साहस सहित ‘कुछ’ मांगा था। मंत्री ने भी खुशी-खुशी उनकी बात मान ली थी। संभव है, इस घटना ने अजय चंद्राकर के व्यक्तित्व को एक नए रूप में ढाला हो। उन्होंने स्कूल में ही सीख लिया था कि किसी और की मेहनत की नकल करके पास होने से अच्छा है कि फेल हो जाए। भले ही दूसरे लोग किसी बात को गलत कहें, लेकिन सच्चाई के पक्ष में और दृढ़ रहने का साहस हर एक में होना चाहिए। एक छात्र के रूप में भी अजय सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों में बहुत सक्रिय थे और यही कारण है कि वे छात्र राजनीति में एक तेजतर्रार के रूप में सभी के लिए जाने जाते हैं स्वामी विवेकानंद से प्रभावित अजय की विचारधारा एक राष्ट्रवादी की रही है। सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं में सक्रियता के कारण उन्हें छात्र राजनीति में फायरब्रांड के रूप में जाना जाता है वे छात्र जीवन से ही उत्कृष्ट वक्ता हैं। उनके भाषणों और प्रदर्शनों में भारी भीड़ जुटती है।
उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने एमए (हिंदी साहित्य) किया। कुछ वर्षों तक अध्ययन करने के बाद अजय चंद्राकर रायपुर आए और दुर्गा कॉलेज में दाखिला लिया। हमेशा एक स्व-शिक्षक, अजय ने हिंदी साहित्य में एमए पूरा किया और बाद में विष्णु प्रभाकर के नाटकों को अपने शोध के लिए विषय के रूप में चुना, लेकिन उन दिनों प्रचलित राजनीतिक आंदोलन बढ़ने से उनकी प्रगति में बाधा उत्पन्न हुई। लेकिन आगे चलकर उनकी अध्ययनशील दक्षता उनकी प्रसिद्धि का माध्यम और पहचान बनी।
अजय के जीवन में तब नया अध्याय शुरू हुआ, जब अजय को लगा कि बड़े पैमाने पर लोगों की मदद करने के लिए उन्हें राजनीति में उतरना होगा। राजनीति ही एकमात्र ऐसा माध्यम था जो नीतियों, विचारों और उनके प्रयासों के लाभों को देश की जनता की अधिक तम संख्या तक पहुंचने की अनुमति देती थी। अपनी काबिलियत से अजय चंद्राकर को भाजपा की नजरों में उभरते देर नहीं लगी।
1998 में अजय चंद्राकर भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन्हें आवंटित टिकट के आधार पर पहली बार विधायक बने। विधानसभा में प्रवेश के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेकिन इससे पहले भी वह कई राजनीतिक आंदोलनों और आंदोलनों के प्रमुख रहे थे। 1987 में, उन्होंने एक आंदोलन में भाग लेने के लिए 7 दिन जेल में भी बिताए। वह 7 दिन की इस कस्टडी को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानते हैं। 2003 में, वह पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री के साथ-साथ संसदीय मामलों के मंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार का हिस्सा बने। 2004 में, उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, तकनीकी शिक्षा, और जनशक्ति योजना विभाग मिले। 2007 में मंत्रिमंडल में फेरबदल के कारण वे उच्च शिक्षा मंत्री बने।
2008 के विधानसभा चुनाव में उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण हार का सामना करना पड़ा। लेकिन, उनकी प्रतिभा, वाक्पटुता, बोलचाल और ज्ञान को पहचानते हुए; पार्टी ने उन्हें राज्य वित्त आयोग का प्रमुख बनाया। अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद, उन्हें पार्टी के उपाध्यक्ष और आधिकारिक प्रवक्ता होने की दोहरी जिम्मेदारियों के लिए चुना गया था। भारतीय जनता पार्टी देश के कल्याण को हर चीज से पहले रखती है, और यही कारण है कि अजय चंद्राकर भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बने।
2013 में फिर चुनाव लड़े और मंत्री बने। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण विभाग बनाए गए। 5 साल तक संसदीय कार्यमंत्री का भी कार्यभार मिला। कुछ समय के लिए छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी मिला था। 1998, 2003, 2013 2018 और 2024 में विधानसभा सभा सदस्य चुने गए।वर्तमान में राष्ट्रीय कार्य कारणी का सदस्य बनाया गया है ।
कुरुद निर्वाचन क्षेत्र में अजय चंद्राकर का योगदान बहुत बड़ा है, बुनियादी सुविधाओं के मामले में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास में भारी निवेश और अपने निर्वाचन क्षेत्र के दूरस्थ क्षेत्र में उपन्यास प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के साथ उन्होंने कई काम किए हैं। संभवत: राजनीति उनके लिए पेशा नहीं, मिशन है। तभी वे विविध उपक्रमों का सूत्रपात करते दिखायी देते हैं। लिटमस टेस्ट के बहुतेरे मौके आये। वे खरे उतरे।
दरअसल वे काम के मामले में अम्लीय हैं और व्यवहार में क्षारीय। उनके व्यक्तित्व में ग़ज़ब की ब्लेंडिंग हैं। जब वे पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए, तो उन्हें अन्य सभी विधानसभा सदस्यों में सबसे अधिक अध्ययनशील माना जाता था। आज भी अजय चंद्राकर को पढ़ने-लिखने का जोश और ज्ञान की अथक भूख है। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद, स्व-अनुशासित अजय अभी भी पढ़ने के लिए समय निकालते हैं। उनके अब तक के जीवन-वृत्त को समेटें तो कह सकते हैं कि उन्होंने चोखा धंधा किया और खरी राजनीति। वे पलायन में नहीं, बल्कि जूझने में यक़ीन रखते हैं। दिलचस्प बात है कि इस विनम्र राजनेता का यक़ीन सुनो और भूल जाओ में नहीं है।
अच्छी तरह से तैयार की गई दाढ़ी, तेज आवाज, तेज निर्णय लेने के कौशल और स्पष्ट स्वभाव के लिए जाने जाने वाले अजय चंद्राकर अपना जीवन पूरी तरह से जीते हैं। वह खुशमिज़ाज नेता हैं। व्यवहार में शालीन।
विधान सभा में उन्होंने इसलिए प्रशंसा अर्जित की कि वे व्यक्तियों के बजाय मुद्दों को तरजीह देते हैं। उन्होंने हमेशा जीवन की विषमताओं और कटुता का बहादुरी से सामना किया है। प्रफुल्लता के राजा होने के कारण वे बेहद सादा जीवन जीते हैं। मुस्कान के साथ जीवन की कठिनाइयों का सामना करना एक बहादुर का गुण माना जाता है, और अजय चंद्राकर में निश्चित रूप से यह गुण कूट-कूटकर भरा है। उनका हृदय अपने मित्रों के लिए उदारता और गरीबों और निराश्रितों के लिए करुणा का असीम सागर है। अजय चंद्राकर दृढ़ इच्छाशक्ति के नेता हैं। किन्हीं अर्थों में जिद्दी। वे जो ठान लेते हैं, उसे करके छोड़ते हैं। चीज़ों को अधबीच में छोड़ना उनकी आदत में नहीं है।
वस्तुत: चंद्राकर प्रयोगधर्मी नेता हैं। उनका पिण्ड ग्राम्य किसान का है और मिज़ाज आंत्रप्रेन्योर का। वे नतीजे में यक़ीन रखते हैं और अपना मगज फ़िजूल की बातों में खपाने के बजाय युक्तियां खोजने में लगाते हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो साधारण ग्रामीण जीवन के बेहद शौकीन हैं और अपना अधिकांश समय गांव के लोगों के बीच निर्वाचन क्षेत्र में बिताना पसंद करते हैं। कुरुद का पुत्र होने के कारण उन्होंने न केवल अपने समुदाय को पूरा सम्मान दिया है, लेकिन समानता के साथ अन्य समुदायों के अधिकारों का भी सम्मान किया है। यह चंदूलाल चंद्राकर की विशिष्ट शैली है।
वे भी लाख प्रयत्न के बावजूद जातीय संगठन से जुड़े ध्वजधारकों के प्रभाव में कभी नहीं आये। बल्कि कई अवसरों पर वे झिड़क भी देते थे कि संकीर्णता ठीक नहीं है। सांसद सबका होता है। सबसे प्राप्त वोट से जीतने के बाद जातिवादी पहल शोभा नहीं देता। मगर है यह कठिन साधना। इसे चंदूलाल चंद्राकर के बाद श्री अजय चंद्राकर ने सफलतापूर्वक साधा है।
अजय चंद्राकर पारिवारिक रिश्तेदारी के कलात्मक फंदों को भी तोड़ने में सफल रहे हैं। परिवार का वास्ता देकर वरिष्ठ जनों ने भी अगर अजय चंद्राकर को प्रभावित करने का प्रयास किया तो उन्हें रंचमात्र सफलता नहीं मिली। इस दृष्टि से एक किस्सा चंद्राकर पट्टी में बहुत मशहूर है। अजय चंद्राकर परिवार के एक कांग्रेसी बुजुर्ग ने उन्हें कुछ पढ़ाने का प्रयत्न किया। कुछ देर हां-हूँ कहने के बाद अजय जी ने लगभग उखड़ते हुए कहा कि अब मैं भी काफी उम्र का हो गया हूँ। आप निरा बच्चा ही मत समझिए। ऊंच नीच मैं भी खूब समझता हूँ। अपनी अपनी यात्रा है। आप अधिक पढ़ाने का प्रयत्न मत करिए। बुजुर्ग उनके अंदाज से हक्के-बक्के रह गये। खिचखिची दाढ़ी वाले अजय चंद्राकर यूं तो अट्टहासों के लिए भी मित्रों में बेहद लोकप्रिय हैं मगर मंद मंद मुस्कारने की अपनी विशेष अदा से वे माहौल को तनावमुक्त बनाये रखते हैं।
अनुशासन प्रिय अजय चंद्राकर को गुस्सा दबाना पड़ता है। गुस्से को बार-बार दबाने का प्रयत्न अंतत: शरीर पर असर दिखाता है। खेल एवं मंच के प्रेमी अजय चंद्राकर किशोरावस्था में दुबले पदले थे, आज भी शारीरिक सधाव के प्रति सचेत हैं लेकिन स्वास्थ्य थोड़ा ढ़ीला भी हुआ है।
श्री. चंद्राकर अपनी विशेष, शांत मुस्कान के लिए भी प्रसिद्ध हैं, जो हमेशा माहौल को हल्का करती है, जिससे वातावरण तनाव मुक्त हो जाता है। अखिल भारतीय कविता सम्मेलनों और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के एक गौरवशाली आयोजक के रूप में
वे शुरू से ही स्थानीय मीडिया के साथ स्वतंत्र रूप से बातचीत करते रहे हैं।
अजय चंद्राकर को उनके कामों के चलते ढांचागत विकास का पुरोधा माना जा सकता है। उनकी सोच का फलक कृषि से लेकर आधुनिक संरचनाओं तक को समेटता है। उनका दृढ़ विश्वास है, कि जो खुद पर जितना भरोसा करता है, उतना ही महान इंसान बनने की क्षमता रखता है। उनका यह भी कहना है कि इस तरह के लोगों के साथ विनम्रता से पेश आना चाहिए और ढीठ लोगों के साथ दृढ़ता से पेश आना चाहिए।
अजय चंद्राकर का विवाह श्रीमती प्रतिभा चंद्राकर के साथ 14 फरवरी 1997 को हुआ था। उनका एक पुत्र है। अजय चंद्राकर भाजपा के खांटी मेंबर हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रांगण में उनकी दीक्षा हुई है। उसकी रीतियों-नीतियों में उनकी अगाध आस्था है। अजय चंद्राकर नम्रता से कहते हैं कि आज उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया है वह सब पार्टी और कुरुद के लोगों के बिना शर्त प्यार के कारण है। उनके विचार के अनुसार, भारत में पंचायती राज और लोकतंत्र कोई नई अवधारणा नहीं है; वे भारत की प्राचीन प्रणाली का एक हिस्सा हैं।
अजय चंद्राकर को इस नाते सराहा जा सकता है कि वे परम्परा की जड़ता में यक़ीन नहीं रखते। वे अद्यतन (अपडेटिंग) की प्रक्रिया में यक़ीन रखते हैं। इस नाते वे विचलन, परिष्कार और आधुनिकता के हिमायती कहे जा सकते हैं। वे अतीतजीवी नहीं, वरन भविष्योन्मुखी व्यक्तित्व हैं। साथ-साथ अपनी परंपराओं और आदर्शों में विश्वास रखने वाले चंद्राकर एक महान राजनीतिक सुधारक हैं और श्रमिक वर्ग के प्रति सहानुभूति रखते हैं।
वह उनके जीवन को बेहतर बनाने में उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वह नम्रता से कहते हैं कि आज उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया है वह सब पार्टी और कुरुद के लोगों के बिना शर्त प्यार के कारण है।