छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त होने में 18 महीने बाकी, बस्तर पहुंचे सीआरपीएफ के और 4 हजार जवान

रायपुर
 देश से नक्सलियों का सफाया तय है। लंबे समय से चले अभियान में नक्सलियों का दबदबा खत्म हो चुका है, अब वक्त है अंतिम प्रहार का। केंद्रीय गृह मंत्री ने इसकी मियाद भी तय कर दी है- मार्च 2026। मोदी सरकार ने फैसला कर लिया है कि मार्च 2026 के बाद देश में नक्सलवाद नाम की कोई चीज नहीं रहेगी। यही वजह है कि इस समय सीमा पर खरे उतरने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों ने कमर कस ली है। योजना के मुताबिक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अतिरिक्त 4,000 कर्मियों को छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में तैनात कर दिया है। यह वामपंथी उग्रवाद का आखिरी किला कहा जा सकता है।

बस्तर पहुंचीं सीआरपीएफ की और चार बटालियनें

माओवादियों के आखिरी गढ़ को ढहाने के लिए सीआरपीएफ की चार बटालियनों को हाल ही में झारखंड और बिहार में अपने स्टेशन छोड़ने का आदेश दिया गया था। पिछले कुछ वर्षों में यहां खुफिया सूचनाओं पर आधारित काउंटर ऑपरेशन चलाए गए जिस कारण वामपंथी उग्रवाद से काफी हद तक निपटा जा सका है। अब झारखंड-बिहार में सफलता पा चुके सैनिकों में से 4,000 कर्मियों को दक्षिण बस्तर भेज दिया गया है जिससे वहां माओवादियों से लड़ने वाली बड़ी संख्या में बटालियनों की ताकत काफी ज्यादा बढ़ गई है।

नक्सलियों का काम तमाम करने में एफओबी की भी भूमिका

झारखंड से तीन बटालियनें दक्षिण बस्तर लाई गई हैं जबकि बिहार से एक बटालियन पहुंच रही है। सीआरपीएफ ने उन जगहों पर 100 से अधिक अग्रिम परिचालन बेस (एफओबी) स्थापित किए हैं, जो कभी माओवादियों के गढ़ थे और शासन-प्रशासन के लिए दुर्गम थे। सीआरपीएफ के एक सूत्र ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया कि दक्षिण बस्तर में इस साल अब तक 10 एफओबी स्थापित किए गए हैं। एक बार जब एफओबी स्थापित हो जाते हैं तो प्रशासन आसपास के गांवों में सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए आगे बढ़ता है।

आखिरी सांसें गिन रहा है वामपंथी उग्रवाद

यह रणनीति काम कर रही है। स्थानीय लोगों ने विकास और सामाजिक क्षेत्र के लाभों का स्वाद चखा है। इस वजह से वो वामपंथी उग्रवादियों के प्रभाव से दूर होने लगे हैं। शाह ने हाल ही में रायपुर की यात्रा के दौरान देश में नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए मार्च 2026 को अंतिम समय सीमा घोषित किया था। इसके लिए उन्होंने 'मजबूत और निर्मम' कार्य योजना की आवश्यकता पर जोर दिया था। मोदी सरकार 3.0 के पहले संसद सत्र में लोकसभा में नक्सलवाद पर एक आया था। गृह मंत्रालय की तरफ से आए इसके उत्तर के अनुसार, देश में वामपंथी हिंसा की घटनाओं में 2010 के उच्च स्तर से 73% की कमी आई है। नागरिकों और सुरक्षा बलों के बीच होने वाली मौतों में भी 2010 की तुलना में 2023 में 86% की कमी आई है।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button