प्रदेश के किसान उड़ाएंगे ड्रोन! सीहोर जिले में देश का पहला ‘एग्री ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर’ तैयार

 सीहोर

सीहोर के बुदनी नगर के केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान में देश का पहला ग्री ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर खोला जा रहा है। किसानों को खेती की सुरक्षा का ड्रोन के जरिए प्रशिक्षण देने के लिए इस संस्थान में ड्रोन सियुलेशन लैब बनकर तैयार हो गई है। एक ड्रोन भी लैब में आ गया है। बताया जा रहा है कि 25 मई को इसका शुभारंभ हो सकता है।

महिलाओं को भी दी जाएगी ट्रेनिंग
ड्रोन प्रशिक्षण सेंटर में किसानों को खेती के अत्याधुनिक उपकरणों के उपयोग और ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को खेती में उपयोग की जा रही हाईटेक पद्धतियों के बारे में प्रशिक्षित करना है। बताया जा रहा है कि इस सेंटर पर महिलाओं को भी ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे अपने परिवार में पुरुष किसानों के साथ तकनीकी का फायदा उठाकर खेती में हाथ बंटा सकें।

अफसर बता रहे हैं कि प्रशिक्षित किसान नई तकनीकों का प्रयोग कर अपनी आय को बढ़ा सकेंगे, जिससे वे खेती के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेंगे। किसानों के लिए ड्रोन खेती एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जो फसलों की निगरानी, छिड़काव और फसल निरीक्षण में मददगार है। इससे न केवल लागत कम होगी, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

ड्रोन के लिए उपयुक्त
बुदनी का केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान 1955 में बना था। यह ड्रोन उड़ाने के लिए उपयुक्त व ग्रीन जोन है। सुरक्षा कारणों से कहीं भी ड्रोन को उड़ाना मना है, लेकिन बुदनी का केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान इसके लिए उपयुक्त है। यह ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र 20 सीट का है। किसानों के प्रशिक्षण के लिए इसमें रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अपनाई जाएगी। 10वीं पास किसान ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण ले सकेंगे।
बुदनी में यह पूरा सेंटर ड्रोन इंस्ट्रक्टर राय सिंह गुर्जर, डायरेक्टर पीपी राव, ट्रेनिंग हेड अनिल कुमार उपाध्याय, वरिष्ठ कृषि अभियंता जीआर अंवालकर के मार्गदर्शन में तैयार किया जा रहा है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की टीम जल्द ही इसका निरीक्षण करेगी, उसके बाद यहां ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण देना शुरु हो जाएगा।
ड्रोन का कृषि में उपयोग

    फसल निगरानी ड्रोन का उपयोग फसलों की निगरानी करने, उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य की जांच करने में किया जा सकता है।
    ड्रोन का उपयोग सिंचाई प्रणाली की निगरानी करने और पानी की बचत करने में किया जा सकता है।
    ड्रोन का उपयोग कीटनाशक और उर्वरक छिडकाव में किया जा सकता है, जिससे समय और श्रम की बचत होती है।
    ड्रोन का उपयोग फसल कटाई में भी किया जा सकता है, खासकर उन फसलों के लिए जो ऊंचाई पर उगाई जाती हैं।
    मिट्टी की जांच ड्रोन का उपयोग मिट्टी की जांच करने और उसकी गुणवत्ता का विश्लेषण करने में किया जा सकता है।

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India Edge News Desk

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