पन्ना के बाद अब सतना के सरभंगा और परसमनिया को मिलेगा कंजर्वेशन रिजर्व का दर्जा

सतना 

 केन- बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project) में पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया का 25 फीसदी हिस्सा डूब क्षेत्र में आ जाएगा। ऐसे में वहां निवास करने वाले टाइगर अपना इलाका निर्धारित करने के लिए नेचुरल जेनेटिक कॉरीडोर में मूव करेंगे। अन्य वन्य प्राणी भी यहां से विस्थापित होंगे। इन सब स्थितियों को देखते हुए ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप प्लान तैयार किया गया है। ऐसे में वन्य प्राणियों के मूवमेंट को देखते हुए मझगवां सहित सरभंगा वन्य क्षेत्र को अभी से संरक्षित करना होगा। लिहाजा वन विभाग अब इसकी तैयारियों में जुट गया है।

बैठक में बनी सहमति
जानकारी के अनुसार, 20 जून को पन्ना में एपीसीसीएफ वन्य प्राणी एल. कृष्णमूर्ति की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई थी। इसमें कई जिलों के डीएफओ सहित अन्य वन अधिकारी मौजूद रहे। इस बैठक में टाइगर विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में टाइगर को फिर से बसाने वाले वन्य प्राणी विशेषज्ञ और पन्ना टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर आर श्रीनिवास मूर्ति भी मौजूद रहे। इस दौरान सतना डीएफओ से सरभंगा अभयारण्य के संबंध में जानकारी ली गई।

जिस पर चर्चा के बाद तय किया गया कि इन स्थितियों में सरभंगा में कन्जर्वेशन रिजर्व (Conservation reserve) बनाया जा सकता है। इसमें स्थानीय निवासियों के वनाधिकारों पर कोई विशेष पाबंदियां व बाध्यताएं नहीं होती है। उधर नागौद विधायक नागेन्द्र सिंह ने भी वाइल्ड लाइफ क्षेत्र को संरक्षित करने पत्र लिखा था। इन सबको को देखते हुए सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता में कलेक्टर सभागार में बैठक आयोजित की गई।

सांसद ने कहा तैयार करें प्रस्ताव
सभी को सुनने के बाद सांसद ने कहा कि 15 अगस्त को ग्राम सभाएं करवाएं। इसके साथ ही सरभंगा और परसमनिया कन्जर्वेशन रिजर्व के लिए वन विभाग प्रस्ताव तैयार करे। इसे सीएम के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

क्या है कन्जर्वेशन रिजर्व ?
संरक्षण रिजर्व (कन्जर्वेशन रिजर्व) एक प्रकार का संरक्षित क्षेत्र है जो वन्यजीवों और जैव विविधता के संरक्षण के लिए बनाया जाता है। यह क्षेत्र आमतौर पर राष्ट्रीय उ‌द्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के बीच बफर जोन या गलियारे के रूप में काम करते हैं, जिससे वन्यजीवों को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने में मदद मिलती है। संरक्षण रिजर्व, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 36ए के तहत अधिसूचित किए जाते हैं।

वनमंडलाधिकारी मयंक चांदीवाल ने संरक्षण रिजर्व पर बताया कि धारा 13 (2) के तहत राज्य शासन किसी विशेष क्षेत्र को स्थानीय जनों की मांग और आवश्यकता होने पर कन्जर्वेशन रिजर्व के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित वन (रिजर्व फारेस्ट) और जल क्षेत्र को छोड़कर संरक्षण रिजर्व अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित कर सकता है। इसमें स्थानीय निवासियों के वनाधिकारों पर कोई विशेष पाबंदिया या बाध्यतायें नहीं होती है।

रिजर्व बनने के बाद क्या होंगे बदलाव
अभ्यारण्य के रूप में घोषित होने पर उस क्षेत्र के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से विशेष सहायता मिलेगी जो मौजूदा मिल रही सहायता के अतिरिक्त होगी। इस दौरान नागौद विधायक नागेन्द्र सिंह ने भी परसमनिया वन्य क्षेत्र के संरक्षण को लेकर इसे भी कन्जर्वेशन रिजर्व में शामिल करने की बात कही। बैठक में विचार-विमर्श के पश्चात निर्णय लिया गया कि सरभंगा और परसमनिया में कन्जर्वेशन रिजर्व के लिए वन विभाग प्रस्ताव तैयार करे। इसका प्रस्तावित क्षेत्र 537 वर्ग किलोमीटर का बताया गया है।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button