किसी का अपमान करना लोकतंत्र की लड़ाई कैसे हुई?

विजय सहगल

23 मार्च 2023 को काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में वायनाड से सांसद श्री राहुल गांधी को देश की एक पिछड़ी जाति ‘मोदी’ को अपमानजनक गाली देने के मानहानि मामले में सूरत, (गुजरात) के एक न्यायालय ने दो वर्ष की सजा दी जिसके कारण उन्हें लोकसभा की सदस्यता से वंचित होना पड़ा हालांकि न्यायालय ने उसके आदेश के विरुद्ध ऊंची अदालत में ले जाने हेतु कुछ ही मिनटों में उनको जमानत भी दे दी। सवाल ये उठता है कि राहुल गांधी ने 2019 में किसी जाति विशेष के लाखों लाख व्यक्तियों को अपने भाषण में ‘चोर’ कह अपमानजनक टिप्पणी से क्यों आहत किया?

इस हेतु हम सब को अपने-अपने बचपन में झांकना होगा जब स्कूल में पढऩे वाले अपने सहपाठियों और मित्रों से किसी बात पर मतभेद या झगड़ा हो जाने पर सारे लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिये किसी भी हद तक असंयत हो, गाली गलौज, अनर्गल मिथ्या आरोप और रिश्तों को तार-तार करने वाले बयानों से बाज नहीं आते थे। इस दौरान कभी कभी अकारण ही मारपीट भी कर देते थे। हफ्ते दस दिन के बाद फिर खेलने और आपसी बातचीत में बड़े ही सहज और मिलनसार हो जाते थे। बचपन से किशोर अवस्था में से होकर जब हम सभी मित्र अपनी युवावस्था में ंमिले तो अपनी बेवकूफी और मूर्खता पर खूब हँसते थे क्योंकि समय के अनुसार हमारी सोच और आपसी व्यवहार, वर्ताव में परिपक्वता आ चुकी थी जो समय के साथ जीवन में होने वाले बदलाव मे ंस्वाभाविक थी पर बड़ा खेद और अफसोस है कि समय के साथ जो गंभीरता और प्रौढ़ता अधिकतर लोगों में आ जाती है, वो परिपक्वता जीवन के 52 वसंत देखने के बाद भी श्री राहुल गांधी में आज तक नहीं आ पायी। इसका एक मात्र कारण उच्च धनाढ्य कुल में चाँदी की चम्मच लेकर पैदा हुए, बड़े नाजों नखरे में पले पढे बच्चों में होना स्वाभाविक था पर यदि अधिकतर भारतीय मध्यमवर्गीय परिवारों में पले बढ़े बच्चों की तरह हम बच्चों की ढिठाई पर हमारे माँ बाप की तरह राहुल के परिवार के लोगों ने उनके भी कान खींचे होते या एकाध चपत लगाई होती तो शायद उनका ऐसा स्वभाव न होता।

राजनीति में राजनैतिक दलों और उनके नेताओं में मतभेद होना स्वभाविक है। दलों की अपने नीतियों और कार्यक्र मों में मतांतर होना साधारण बात है। इन विषयों पर वाद-विवाद, मतभेद या असहमति होना भी लाजमी है पर इन विचार-विभिन्नता के चलते हम किसी विपक्षी के लिंग, जाति, धर्म या संप्रदाय पर कटाक्ष कर शब्दों के माध्यम से उसको अपमानित या तिरस्कृत करें तो ये न केवल नैतिक दृष्टि से अपितु कानूनी आधार पर भी अनैतिक है।, अपराध है। अन्यथा सूरत के न्यायालय द्वारा उनको बार बार शब्दों, भाषणों या व्यवहार से किसी पिछड़ी जाति को अपमानित करने, गाली देने के अपराध पर उनसे क्षमा-याचना के सुझाव को बारंबार नजर अंदाज करना उनकी हठधर्मिता और अपने आपको औरों से श्रेष्ठ सावित करने की उनकी मानसिकता का ही परिचायक नहीं तो और क्या था?

ऐसा नहीं था कि सूरत के माननीय न्यायाधीश का क्षमा-याचना प्रस्ताव स्वीकारने का सुझाव उनका पहला प्रस्ताव होता? इससे पूर्व 2०18 में ‘राफेल’ लड़ाकू विमान के मुद्दे पर उन्होने सुप्रीम कोर्ट में क्षमा याचना कर मामले से छुटकारा पाया था। ‘चौकीदार चोर है’ के अपने वक्तव्य पर भी 2०19 में राहुल गांधी ने माफी मांगी थी। कदाचित सूरत कोर्ट में भी यदि राहुल माफी मांग लेते तो शायद उन्हे संसद की सदस्यता से वंचित न होना पड़ता और न ही उनकी इतनी फजीती होती। अपने अहंकार और श्रेष्ठता के भाव से ग्रसित होने के कारण वीर सावरकर और संघ सहित अन्य मानहानि के ऐसे मामलों में देश के विभिन्न न्यायालयों में उनके विरुद्ध वाद लंबित है जिनका समाधान होना अभी शेष है।

दिनांक 3 अप्रैल 2023 को सूरत के न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सेशन कोर्ट से मिली जमानत के बाद उनका यह कहना कि ‘यह मित्रकाल के विरुद्ध लोकतंत्र को बचाने लड़ाई है’, और ‘सत्य ही मेरा अस्त्र’, उनका घमंड, दंभ, और एक बचकानी हरकत ही कहा जायेगा अन्यथा देश की एक पिछड़ी जाति को गाली देना, उसके लाखों लाख सदस्यों को अपमानित करने से ‘कौन से लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई’ माननीय ‘आर्य श्रेष्ठ’ श्री राहुल गांधी लड़ रहे है? अपने आपको ‘श्रीमद्भगवत गीता’ का पाठक बताने वाले ‘श्रेष्ठी’ राहुल गांधी क्या बताएँगे कि किसी जाति विशेष को आवेश और अशांत मन से ‘मान भंग’ करना कौन सी ‘धर्म’ या ‘शास्त्र विहित लड़ाई’ है? समाज के एक दबे कुचले वर्ग को ‘चोर’ कह अपमानित कर, वे, ‘सत्य’ के कौन से ‘अस्त्र’ को परिभाषा करना चाहते है? किसी जाति विशेष को गाली निकालना ‘लोकतंत्र की लड़ाई’ या ‘सत्य का अस्त्र’ नहीं अपितु उनको बचपन में मिले उनके कुसंस्कार और कालांतर में पुख्ता हुआ उनका अहंकार, हठधर्मिता, उद्दंडता और अशिष्टता ही है?

कांग्रेस के प्रौढ़ और परिपक्व अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खडग़े भी न जाने किस भीष्म प्रतिज्ञा के वशीभूत हस्तिनापुर के राज सिंहासन के प्रति बचनबद्ध हो, काँग्रेस का हित त्याग, श्री राहुल गांधी द्वारा एक जाति विशेष के अपमान और तिरस्कार रूपी हठधर्मिता के साथ खड़े है? तब फिर काँग्रेस के दूसरे चाटुकार नेताओं से कैसे अपेक्षा की जा सकती है कि वे राहुल गांधी को सद््मार्ग की राह दिखाने की हिमाकत कर सकें। चाहिये तो ये था कि काँग्रेस के प्रति सच्ची निष्ठा, समर्पण और वफादारी रखने वाले राजनैतिक युद्धाभिलाषी वरिष्ठ नेतागण मिल बैठ, राहुल गांधी को, उनके द्वारा, समाज के पिछड़ी जाति को कोसने के कृत्य पर क्षमा याचना करा एक अविवादित विषय को विवादित बनाने के मामले को रफा दफा कर काँग्रेस की नीतियों और कार्यक्र मों के बलबूते जनता के समक्ष अपना पक्ष रख लोकतांत्रिक तरीके से अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा की लड़ाई लड़ते लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि काँग्रेस रूपी कुएं में मानों भांग पड़ी है जिसके जल का सेवन कर सारे कोंग्रेसी नशे में मस्त हो, काँग्रेस का अच्छा-बुरा त्याग सिर्फ और सिर्फ एक व्यक्ति श्री राहुल गांधी के अनुचित और उच्छृंखल आचरण के बावजूद, उनके प्रति अपनी प्रतिवद्धता, भक्ति और अनुराग जताने की दौड़ और चाटुकारिता, चापलूसी में दूसरों से ज्यादा श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में लगे है।

एक वक्तव्य में श्री राहुल गांधी को मैंने कहते सुना है कि उन्होने भगवश्वीता पढ़ी है, तब सालों साल के संस्कार, सोच और धृति (धारण शक्ति) से मजबूत हुई उनकी बुद्धि के बारे मेंश्रीमद्भगवत गीता से एक श्लोक को मैं उद्धृृत कर रहा हूँ जो कदाचित उनके स्वभाव पर सटीक बैठता है जिससे वे सहमत हों या न हों पर उससे वे भलीभांति परिचित अवश्य होंगे: –

अधर्मं धर्ममिति या मन्यते तमसाऽऽवृता।
सर्वार्थान्विपरीतांक्क बुद्धि: सा पार्थ तामसी ।।अध्याय 18 ,श्लोक 32।। अर्थात

हे अर्जुन! जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को (भी), ‘यह धर्म है’ ऐसा मान लेती है तथा (इसी प्रकार अन्य) सम्पूर्ण पदार्थ को भी विपरीत मान लेती है, वह बुद्धि तामसी है।

श्री राहुल जी द्वारा न केवल देश की एक पिछड़ी जाति को समूहिक रूप से गाली दे, अपमानित करने के ‘अधर्म’ को ही ‘श्रेयस्कर’ धर्म बतलाना अपितु उसको न्यायोचित ठहराने का कुत्सित प्रयास करना ही, न्यायालय मेंउनके आपराधिक कृत्य में सजा का कारण बना, फिर श्री राहुल गांधी से उम्र की इस दहलीज पर अपने स्वभाव में बदलाव की अपेक्षा कैसे की जा सकती है।

India Edge News Desk

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