मूसेवाला की हत्या के बाद घर में ही दुबके रहे लोग

अवधेश कुमार

पंजाब में शुभदायक सिंह सिद्धू मूसेवाला की दिनदहाड़े हत्या सन्न करने वाली घटना है। पंजाब के मानसा में उनके पैतृक गांव मूसा के पास हत्यारों ने केवल दो मिनट में शरीर में इतनी गोलियां मारी की पोस्टमार्टम में ही 24 गोलियां निकली। हत्यारे भी वहां दो ही मिनट रुके । दो गाड़ियों ने मूसे वाला की कार को ओवरटेक किया। इससे पहले उन्होंने मूसेवाला की गाड़ी के पिछले टायर पर गोली मारी जिससे संतुलन बिगड़ गया। मूसेवाला ने कार को संभालने की कोशिश की लेकिन उनमें से 7 लोग उतरे और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे । हमलावरों ने ऐसा डर का माहौल बनाया कि लोग घरों में घुसने को विवश हो गए। विडंबना देखिए कि गांव के लोगों ने मुसेवाला को घायल स्थिति में अस्पताल ले जाने का भी साहस नहीं दिखाया। एक अनजान व्यक्ति ने मोटरसाइकिल से मूसेवाला को अस्पताल पहुंचाया। आखिर क्यों? इसकी चर्चा इसलिए आवश्यक है ताकि समझा जाए कि पंजाब के अंदर अपराधियों और गैंगस्टरों ने कैसी स्थिति पैदा कर दी है। गांव में जाने-माने शख्स की शाम 5:30 बजे के आसपास हत्या होती है, हत्यारों के डर से लोग घरों में दुबके रहते हैं और उनके चले जाने के बाद भी लंबे समय तक घर से निकलने का साहस नहीं करते।

अभी तक की जानकारी यही है कि तिहाड़ जेल में बंद कुख्यात अपराधी लॉरेंस ने कनाडा में बैठे गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर मूसावाला की हत्या को अंजाम दिया। लॉरेंस गैंग ने हत्या की जिम्मेदारी ली है। लॉरेंस गैंग और गोल्डी बरार ने कहा है कि हमने मोहाली में विक्की मिट्ठू खेरा की हत्या का बदला लिया है । इसके अनुसार मूसेवाला भी उसके विरोधी गैंग से जुड़ा था। इस पर अंतिम मत देना कठिन है। ज्ञानी दविंदर बंबीहा समूह ने कहा कि मूसे वाला उनसे जुड़ा नहीं था लेकिन उनके साथ नाम जोड़ा जा रहा है तो वे इसका बदला लेंगे। जाहिर है, इससे पंजाब में नए गैंगवार की भी संभावना बढ़ी है ।

आम आदमी पार्टी कह रही है कि उनके पास बुलेटप्रूफ कार और दो गैंगमैन थे लेकिन वह न उस कार से गए न गैंगमैन को साथ लेकर। वह नहीं बता रही कि बुलेटप्रूफ कार सरकार ने नहीं दिया था, उनका अपना था। दो दिन पहले उनकी सुरक्षा हटा दी गई थी। आम आदमी पार्टी की समस्या है कि वह स्वयं को क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी साबित करने के लिए ऐसे छोटे- छोटे कदम उठाकर प्रचार करती है जिनमें किसी तरह के परिश्रम की आवश्यकता नहीं हो। उसने पंजाब में 424 लोगों की सुरक्षा हटाने या घटाने का प्रचार किया और सूची जारी कर दी। सरकारी सुरक्षा की समीक्षा और समय-समय पर सुरक्षा में कमी या बढ़ोतरी स्वाभाविक प्रक्रिया होती है। किंतु आप की भगवंत मान सरकार अपने एजेंडे के अनुसार काम कर रही है। चुनाव में उसने वीआईपी संस्कृति और नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था को मुद्दा बनाया था और धराधर सुरक्षा घटाकर या हटाकर उसने वाहवाही लूटने के लिए इसका प्रचार कर दिया। विडंबना यह है कि उनके स्वयं के नेताओं की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा में पंजाब के कमांडो भारी संख्या में है। यहां तक कि राज्य सभा सांसद बने राघव चड्ढा के पास भी पंजाब की सुरक्षा है। आम आदमी पार्टी का यह वक्तव्य सामान्य लग सकता है कि हत्या पर राजनीति न हो किंतु यह तो पूछा जाएगा कि अपने नेताओं की सुरक्षा में बढ़ोतरी या जिनको सुरक्षा खतरा नहीं है उन्हें सुरक्षा देना तथा दूसरों की सुरक्षा में कटौती या वापस लेना राजनीति की किस नैतिकता के तहत आता है? अगर आप की दिल्ली सरकार के लोगों या उनके सांसदों की सुरक्षा को खतरा होगा तो दिल्ली पुलिस है। गृह मंत्रालय समीक्षा करके सुरक्षा प्रदान कर सकती है। इसकी जगह पंजाब की सुरक्षा लेना आपत्तिजनक है।

कोई नहीं कहेगा कि आप या भगवंत मान सरकार ने इरादतन ऐसी स्थिति पैदा की जिसमें मूसेवाला की हत्या हो जाए। कोई सरकार अपने शासनकाल में हत्याएं नहीं होने देना चाहेगा। पर तिहाड़ जेल से जो मोबाइल नंबर सामने आया है। क्या उसका आज पता चला है? नहीं । इसका पता दिल्ली पुलिस को पहले ही चला । वास्तव में मूसावाला की हत्या के षड्यंत्र का पता दिल्ली में कुछ समय पहले गिरफ्तार हुए शाहरूख से मिला। शाहरुख ने दिल्ली में बताया था कि गोल्डीबरार और लॉरेंस कोई बड़ी साजिश रच रहे हैं। शाहरुख ने स्वयं मूसेवाला की हत्या के लिए रेकी भी की थी। ध्यान रखिए कि हत्याकांड में इस्तेमाल बोलेरो वही है जिसका इस्तेमाल शाहरुख ने साथियों के साथ मूसेवाला की रेकी के लिए किया था। दिल्ली पुलिस को जब इतनी जानकारी थी तो उसने पंजाब से यह जानकारी साझा नहीं किया होगा ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है। जरा सोचिए , शाहरुख बता रहा है कि उसकी गोल्डी बरार से सिग्नल ऐप पर बात होती थी। लॉरेंस के भी सिग्नल ऐप पर बात होने का शक पुलिस जता रही है। शाहरुख का फोन दिल्ली पुलिस के पास है । जाहिर है , उसे जितनी जानकारियां मिली अवश्य ही पंजाब पुलिस को साझा किया होगा क्योंकि इस तरह हत्या की साजिश की जानकारी कोई पुलिस अपने पास बंद करके नहीं रखती । दिल्ली पुलिस ने उससे सूचनाएं साझा नहीं की तो पंजाब पुलिस इसकी जानकारी दे। पंजाब पुलिस को यह भी बताना चाहिए कि उसकी सुरक्षा समीक्षा में मूसावाला के जीवन पर खतरे की आशंका आई थी या नहीं? नहीं आई तो यह खुफिया विफलता है। दिल्ली पुलिस की जानकारी के बाद तो मूसेवाला की सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए थी। जब गिरफ्तार अपराधी कह रहा है कि उसने स्वयं रेकी की और तिहार में बंद गैंगस्टर के अलावा कनाडा के गैंगस्टर से उसकी बातचीत होती थी तो फिर उसने जिन लोगों के नाम लिए उम्र में जिनका अपराधिक रिकॉर्ड है या संदिग्ध है सबकी गिरफ्तारी की कोशिश होनी चाहिए। नहीं हुई तो जाहिर है इसे या तो गंभीरता से नहीं लिया गया या फिर ऐसा करने के अन्य कारण थे । वे क्या कारण हो सकते हैं?

पंजाब सुरक्षा की दृष्टि से हमेशा संवेदनशील प्रदेश रहा है। सीमा पार से अलगाववाद आतंकवाद को बढ़ावा देने की हर संभव कोशिशें हो रही हैं। पिछले एक वर्ष में काफी संख्या में हथियार और संदिग्ध आतंकवादी पकड़े गए हैं। पुलिस के पास सारी खुफिया सूचनाएं मौजूद हैं। जिस प्रदेश में भारी मात्रा में ड्रग और हथियार आ रहे हैं वहां अपराधी भी भारी संख्या में पैदा हुए होंगे। पंजाब में कई कारणों से अपराधी समूहों के बीच हिंसक टकराव की खबरें भी सामने आती रही है। ऐसे प्रदेश की सरकार को सुरक्षा के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील होना चाहिए। क्या आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान उतने ही गंभीर और संवेदनशील हैं जितना होना चाहिए? मूसेवाला की पृष्ठभूमि क्या थी यह बहस का विषय हो सकता है, पर किसी भी तरह की व्यक्ति को सरेआम गोली मारना सरकार द्वारा कानून के राज के दावे की धज्जियां उड़ाता है। गाहे-बगाहे कहा जा रहा है कि मूसेवाला कोई नेता नहीं थे बल्कि वे तो हाल में ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। पिछले वर्ष 3 दिसंबर 2021 को वे पार्टी में शामिल हुए थे। मानसा से उन्होंने 20 फरवरी के विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में अपनी चुनावी पारी की शुरुआत की थी। उन पर गन कल्चर यानी बंदूक संस्कृति को अपने गाने के माध्यम से बढ़ावा देने का आरोप था। वे संजू में अपने गीत से हिंसा और बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देने के मुकदमे का भी सामना कर बात कर रहे थे। 2020 में पंजाब पुलिस की शूटिंग रेंज में गोली चलाते मूसे वाला का वीडियो वायरल हुआ था । वायरल वीडियो में सिद्दू मूसेवाला बंदूक दिखा रहे थे । वे एके-47 राइफल के साथ ट्रेनिंग लेते भी दिख रहे थे । निस्संदेह उनका यह पक्ष विवादास्पद था । बावजूद अपनी अनूठी रैंप शैली के साथ गायन व अभिनय में जगह बनाने वाले मूसेवाला लीजेंड ,डेविल, जस्ट सुनो ,जट दा मुकाबला, हथियार जैसे हिट गाने के कारण लोकप्रिय भी थे। दो फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया था। हमारे आपके लिए उनके विचारों से सहमत होना शायद संभव ना हो लेकिन इस तरह की हत्या अंदर से हिला देने वाली है। एक जाने पहचाने चेहरे की सुरक्षा के प्रति राज्य को हर दृष्टि से संवेदनशील होना चाहिए। मूसे वाला की हत्या बता रही है कि पंजाब की भगवंत मान सरकार को आंतरिक सुरक्षा को लेकर ज्यादा गंभीर होने की आवश्यकता है। वास्तव में किसी भी पंजाब सरकार के लिए मादक पदार्थ, अपराधियों की बढ़ती संख्या तथा उनके बीच आपसी मुठभेड़ से लेकर सीमा पार के खतरों को लेकर राजनीति से परे जागरूक एवं दृढ़ संकल्पित होने की आवश्यकता है। उम्मीद करनी चाहिए कि इस दुखद घटना के बाद आम आदमी पार्टी, मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार आत्ममंथन कर सुरक्षा के प्रति शत-प्रतिशत गंभीर और जिम्मेदार बनने की कोशिश करेगी।

India Edge News Desk

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