रोहतांग दर्रे में सैर-सपाटे को पहुंचे सैलानियों ने उठाया बर्फबारी का आनंद

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

मनाली : 13050 फुट ऊंचे रोहतांग दर्रे में रविवार को मौसम खराब होने से बर्फ के हल्के फाहे गिरे। वहीं निचले इलाकों में अंधड़ के साथ हल्की बारिश की फुहारें पड़ीं, ऐसे में बिगड़े मौसम में रोहतांग सैर-सपाटे को पहुंचे सैलानियों ने बर्फबारी का आनंद उठाया। वहीं लाहौल-स्पीति में भी ऊंचे इलाकों में हल्का हिमपात हुआ। इसके चलते कुल्लू व लाहौल में तापमान गिर गया है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल रोहतांग दर्रे के साथ-साथ मनाली-लेह मार्ग पर बारालाचा दर्रे में भी पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी है। यहां रोहतांग की भांति बादल छाते ही पर्यटक बर्फ के फाहों से रू-ब-रू हो रहे हैं। यहां पहुंचकर पर्यटक भी हैरान हैं कि एक ओर जहां से वे आ रहे हैं वहां का तापमान 40 डिग्री के पार है और दूसरी तरफ बारालाचा दर्रे में उनका स्वागत माइनस तापमान में हो रहा है।

मई महीने में भी जमी सूरजताल की झील बयां कर रही है कि यहां सर्दियों के क्या हालत रहे होंगे। झील का पानी अभी भी जमा हुआ है जिसे देख पर्यटक हैरान हैं। सूरज ताल झील समुद्र तल से 16300 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। सूरज झील को सूर्य देवता की झील भी कहा जाता है। बारालाचा दर्रे के ठीक नीचे इस तेजस्वी झील को देखने के लिए इन दिनों पर्यटकों का तांता लगा हुआ है। इस झील को लेकर ऐसी मान्यता भी है कि यहां डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है। लाहौल के इतिहासकार चंद्र मोहन परशीरा ने कहा कि सूरजताल झील बहुत से लोगों को अपनी तरफ आकॢषत करती है इसलिए इस झील को आध्यात्मिक माना जाता है। यह झील ज्यादा लोकप्रिय इसलिए भी है कि यह मनाली-लेह मार्ग के रास्ते में आती है, जो ट्रैकिंग और बाइक ट्रिप के लिए बेहद लोकप्रिय है। सूरजताल झील साहसी और अध्यात्मिक दोनों लोगों के लिए बेहद खास है।

इन पर्यटन स्थलों में वाहन चालक भी पर्यटकों को सेवाएं देने में प्राथमिकता दे रहे हैं। रोहतांग दर्रे के जाने के लिए परमिट की जरूरत है जो पैसे खर्चने के बाद बड़ी मुश्किल से मिल रहा है। दूसरी ओर बारालाचा जाने के लिए कोई परमिट की जरूरत नहीं है। बर्फ भी अभी आसानी से देखने को मिल रही है। पर्यटन निगम ने भी बारालाचा दर्रे के लिए 3 बसें शुरू की हैं। हर रोज 120 पर्यटक पर्यटन निगम की बसों में 900 रुपए किराया देकर घूमने का आनंद ले रहे हैं। पर्यटन निगम के डीजीएम बलवीर ओकटा ने बताया कि हर रोज 3 बसें बारालाचा दर्रा तक भेजी जा रही हैं।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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