मध्य प्रदेश में चार माह में चिह्नित हो जाएंगे राम वन गमन पथ के सभी स्थल

भोपाल
 मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ के कम ज्ञात स्थलों को चिह्नित करने के लिए राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में लंबे समय से शोध कर रहे डॉ. राम अवतार शर्मा के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। उन्होंने बताया कि चार माह में प्रदेश के कम ज्ञात स्थलों को चिह्नित कर शासन को रिपोर्ट सौंप देंगे।

उनके साथ चार से पांच लोगों का दल भ्रमण कर प्रदेश में ऐसे स्थलों को चिह्नित और प्रमाणित करने की कोशिश करेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ का पूरा मार्ग तय हो जाएगा। उन्होंने मंडला और बालाघाट के कुछ स्थलों को भी नए सिरे से इसमें जोड़ा है। सभी स्थलों का पर्यटन, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से विकास किया जाएगा।

अभी तक प्रदेश के 11 जिलों के 25 स्थलों को राम वन गमन पथ से जोड़ा गया है। ये वे स्थान हैं जहां वनवास के समय भगवान श्रीराम गए थे। इनमें सतना में चित्रकूट सहित कई स्थल पहले से श्रीराम के प्रवास के लिए जाने जाते हैं। कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां माना जाता है भगवान राम गुजरे थे या रुके थे पर वे प्रसिद्ध नहीं हैं यानी कम ज्ञात हैं। उनसे जुड़े प्रमाण भी कम मिलते हैं, इस कारण उन्हें खोजा जा रहा है।

बता दें, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव राम वन गमन पथ निर्माण को लेकर सक्रिय हैं। वह इसके लिए बनाए गए न्यास के अध्यक्ष भी हैं। बजट में राम वन गमन पथ के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रविधान इस वर्ष किया गया है।
अभी तक इन स्थलों को किया चिह्नित

सतना जिले के चित्रकूट में स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सिलहा गांव में सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, रक्सेला गांव में सीता रसोई और रामसेल। पन्ना में पहाड़ी खेरा गांव में बृहस्पति कुंड, सारंगधर गांव में सुतीक्ष्ण आश्रम, बड़े गांव में अग्निजिह्वा आश्रम और सलेहा में अगस्त्य आश्रम, मैहर जिले में राम जानकी मंदिर, कटनी जिले के भरभरा में शिव मंदिर, जबलपुर जिले में पिपरिया के पास रामघाट, नर्मदापुरम में पासी घाट और माच्छा के राम मंदिर, बालाघाट जिले में राम पायली, मंडला में सीता रपटन, उमरिया जिले में राम मंदिर दशरथ घाट और मार्कंडेय आश्रम, शहडोल के गंधिया और अनूपपुर के कनवाई में स्थित सीतामढ़ी।

48 वर्षों से श्रीराम से जुड़े तीर्थों पर शोध कर रहे डॉ. राम अवतार शर्मा

आयकर विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रह चुके डॉ. राम अवतार शर्मा 48 वर्षों से श्रीराम से जुड़े तीर्थों पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने 290 स्थलों को राम तीर्थ के रूप में खोजा है। इनकी अनुशंसा पर केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों के पर्यटन विभाग ने अपने मानचित्र पर इन स्थलों को दिखाया और विकास योजनाएं बनाईं।

सीएम ने कहा कि मार्गों का विकास तो होगा ही उससे ज्यादा जरूरी है कि पहले मार्ग पर आने वाले श्रीराम से जुड़े स्थलों को विकसित किया जाए। पहले चित्रकूट का समग्र विकास अयोध्या की तर्ज पर किया जाए। कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी जोर दिया। समग्र विकास की कार्ययोजना तैयार कर अगली बैठक में पेश करने को कहा। न्यास की बैठक हर तीन माह में होगी। सीएम ने कहा कि राम से जुड़ी स्मृतियों का सालभर प्रचार किया जाएगा। जिला पर्यटन परिषद और अन्य विभागों को इसके लिए कार्ययोजना बनाने को कहा।

ऐसे जुटाएंगे राशि

इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्लान के तहत पहले चित्रकूट सहित चार नगरों को नामांकित किया। 500 करोड़ की योजना में पहले फेज में चित्रकूट नहीं था। एशियन डेवलपमेंट बैंक से मिली राशि में अभी 100 करोड़ रुपए बचे हैं। सीएम ने प्रपोजल को रिवाइज करने को कहा। एडीबी से राशि मांगेंगे। पुरानी शेष राशि और नई राशि मिलाकर 400 करोड़ से चित्रकूट का विकास होगा।

मप्र में राम वन गमन पथ के चार रूट

प्रदेश में राम वन गमन पथ के लिए 1450 किमी लंबो चार रूट प्रस्तुत किए। इनमें 632 किमी नेशनल हाइवे, 493 किमी म.प्र. सड़क विकास निगम, 47 किमी लोनिवि, 184 किमी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और 93 किमी की क्षेत्रीय सड़क शामिल होंगी। इनका उन्नयन होगा।

तैयार करें स्थल विकास के प्रस्ताव

बैठक में श्रीराम से जुड़े 23 स्थलों की जानकारी रखी गई। सीएम ने कहा कि राम पर शोध करने वाले विद्वानों की समिति बनाकर पहले स्थल का निर्धारण करवा लें, ताकि स्थलों को लेकर विवाद की स्थिति न बने। अगली बैठक में इन स्थलों को विकसित करने के प्रोजेट रखे जाएं, लेकिन सबसे पहले चित्रकूट के समग्र विकास का रोड मैप तैयार किया जाए।

India Edge News Desk

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