प्रेग्नेंसी के दौरान मसूड़ों से खून आने से हैं परेशान, जानिए क्या ये है सामान्य

प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का विशेष समय होता है, जिसमें शरीर में कई शारीरिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें गम ब्लीडिंग भी एक आम समस्या है। गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना सामान्य होता है, लेकिन यह समस्या होने पर ध्यान देना जरूरी है ताकि इसे नियंत्रित किया जा सके और इससे होने वाली अन्य समस्याओं से बचा जा सके।

गर्भवती महिलाओं में मसूड़ों की सूजन एक आम समस्या है, जिसे गर्भावस्था जिंजिवाइटिस कहते हैं। यह स्थिति आमतौर पर गर्भावस्था के दूसरे या तीसरे महीने से शुरू होती है और यदि सही तरीके से इलाज नहीं किया गया तो यह समस्या प्रसव के बाद भी जारी रह सकती है।

गर्भावस्था के दौरान गम ब्लीडिंग के सामान्य कारण
हार्मोनल परिवर्तन:
गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मसूड़े संवेदनशील हो जाते हैं। यह संवेदनशीलता मसूड़ों में सूजन और खून बहने का कारण बन सकती है।

दांतो की सफाई की कमी:
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाएँ थकावट या अन्य कारणों से अपनी ओरल हाइजीन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पातीं। यह दांतों और मसूड़ों पर प्लाक जमने का कारण बनता है, जिससे मसूड़ों में संक्रमण और खून बहना शुरू हो सकता है।

कमजोर इम्यून सिस्टम:
प्रेग्नेंसी के दौरान इम्यून सिस्टम भी थोड़ा कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कमजोर इम्यूनिटी मसूड़ों में बैक्टीरिया के जमाव को बढ़ावा देती है, जिससे खून आ सकता है।

पोषण की कमी:
विटामिन सी और कैल्शियम की कमी से भी मसूड़े कमजोर हो सकते हैं, जिससे गम ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान सही आहार न लेने से मसूड़ों की सेहत पर असर पड़ता है।

गम ब्लीडिंग से बचाव के लिए ये उपाय अपनाएं
अच्छी ओरल हाइजीन बनाए रखें:
गर्भावस्था के दौरान दिन में कम से कम दो बार माइल्ड टूथपेस्ट और सॉफ्ट-ब्रिसल वाले ब्रश से दांतों को साफ करें। ब्रश करने के बाद माउथवॉश से कुल्ला करें, जो मसूड़ों में बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने में मदद करता है। फ्लॉसिंग भी बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे दांतों के बीच फंसे खाने के कण निकल जाते हैं।

नियमित डेंटल चेकअप कराएं:
गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास जाकर चेकअप कराना चाहिए। इससे किसी भी ओरल समस्या का समय रहते पता चल सकेगा और उसका इलाज हो सकेगा। यदि आप गम ब्लीडिंग की समस्या महसूस कर रही हैं, तो डेंटिस्ट से सलाह लें।

स्वस्थ आहार का सेवन करें :
विटामिन सी युक्त फलों और सब्जियों का सेवन करें, जैसे संतरा, नींबू, आंवला आदि। इसके अलावा कैल्शियम से भरपूर चीजें जैसे दूध, पनीर और हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाने से मसूड़ों की सेहत बेहतर होती है। इस दौरान अपने डॉक्टर से आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट्स के बारे में भी सलाह लें।

अत्यधिक शुगर के सेवन से बचें :
ज्यादा मीठा खाना दांतों और मसूड़ों पर प्लाक की समस्या बढ़ा सकता है, जिससे गम ब्लीडिंग हो सकती है। इसलिए मिठाइयों और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें और खाने के बाद दांतों की सफाई करें।
 
खूब पानी पिएं:
गर्भावस्था के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। पानी पीने से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा, मुँह सूखने से भी बैक्टीरिया का खतरा बढ़ता है, जिससे मसूड़ों में संक्रमण हो सकता है।

गर्म नमक के पानी से कुल्ला करें:
मसूड़ों की सूजन और खून बहने पर गर्म पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर कुल्ला करना फायदेमंद हो सकता है। यह एक प्राकृतिक उपाय है जो मसूड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है।

प्रेग्नेंसी के दौरान गम ब्लीडिंग एक सामान्य समस्या हो सकती है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सही देखभाल, नियमित डेंटल चेकअप और संतुलित आहार की मदद से इस समस्या से बचा जा सकता है। यदि समस्या गंभीर हो जाए तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें ताकि भविष्य में कोई अन्य जटिलता न हो। मसूड़ों की अच्छी सेहत के लिए स्वच्छता और पोषण पर ध्यान देना गर्भावस्था के दौरान विशेष रूप से आवश्यक है।

 

India Edge News Desk

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