हिंदू शरणार्थियों की उनकी उंगली पर जैसे ही भारतीय होने की स्याही लगी तो चेहरे खिलने के साथ ही आंसू छलक उठे

नई दिल्ली
लोकतंत्र के महापर्व में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों ने भी बुधवार को दिल्ली में वोट की आहुति दी। उनकी उंगली पर जैसे ही भारतीय होने की स्याही लगी तो चेहरे खिलने के साथ ही आंसू छलक उठे। इन शरणार्थियों ने भारत की नागरिकता मिलने के बाद पहली बार दिल्ली चुनाव में वोट डाला है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर से वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश के महाकुम्भ में मार्च में वह दिल्ली आए थे। किसी कारण वह महाकुम्भ में नहीं पहुंच सके। इस दौरान उन्होंने तय कर लिया था कि जो यातनाएं पाकिस्तान में सही थी वह अब नहीं सहेंगे और दोबारा नहीं लौटेंगे। उन्होंने भारत सरकार को उस समय अपना वीजा अवधि आगे बढ़ाने की मांग करते हुए पत्र लिखे। भारत में ठहरने के लिए जंतर-मंतर पर कई दिनों तक प्रदर्शन भी किया। इसके बाद मजनू का टीला में वर्ष 2013-2014 से हिंदू शरणार्थी यहां रह रहे हैं।

दो सौ लोग मतदाता हैं
हिंदू शरणार्थी धर्मबीर बागड़ी ने कहा कि हम बहुत समय से मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे थे। चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र में मजनू का टीला कैंप में 1009 लोग रह रहे हैं। इनमें से 200 लोगों को अब तक नागरिकता मिल गई है। बुधवार को मतदान का अधिकार मिलने के बाद हमें उम्मीद है कि सभी शरणार्थियों को नागरिकता मिल जाएगी। जल्द ही केंद्र सरकार से मिलकर आभार व्यक्त करेंगे।

रामचंद्र बोले- भारत मां ने हमें अपना लिया
हिंदू शरणार्थी रामचंद्र ने कहा, गर्व है कि भारत मां ने हमें अपना लिया है। कई शरणार्थियों ने बुधवार को मजनू का टीला के एक सरकारी स्कूल में स्थित मतदान केंद्र में जाकर वोट डाले। पाकिस्तान में न ही सरकार और न ही कोर्ट हिंदुओं के अधिकारों के लिए कोई कदम उठाता है। वहां हमारी बात तक नहीं सुनी जाती थी। वर्ष 1947 से 2013 तक हमारी पिछली पीढ़ियों ने जो यातनाएं झेली, वह अब हम कभी नहीं झेलेंगे। मतदान के अधिकार से हमें सबसे ज्यादा खुशी है।

समस्याओं के समाधान की उम्मीद जगी
नैनावंती ने बताया कि कैंप में बीते 11 वर्षों से सभी परिवार काफी संघर्षपूर्ण जीवन जी रहे थे। बीते वर्ष एक विभाग से कैंप को तोड़ने को लेकर कार्रवाई के लिए पत्र भी प्राप्त हुआ था। हालांकि, यह मामला अब न्यायालय में विचाराधीन है। हमें उम्मीद है कि अब हमारे मुद्दों और समस्याओं का उचित समाधान होगा।

बदलाव महसूस हुआ
फरीदाबाद से मजनू का टीला के मतदान केंद्र पर मैंना वोट डालने पहुंची। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह अनुभव बिल्कुल नया था। जब मैं मतदान केंद्र में गई तो मुझे नहीं पता था कि वोट कैसे देना है या कौन सी पार्टी किसका प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन जब बटन दबाया तो मुझे बदलाव महसूस हुआ कि आखिरकार अब मुझे आवाज मिली। हिंदू शरणार्थी रेशमा ने कहा कि मेरी उम्र 50 साल है। मैंने जीवन में पहली बार मतदान किया है। मैंने केवल एक उम्मीदवार को चुनने के लिए, बल्कि अपने परिवार के भविष्य के लिए मताधिकार का इस्तेमाल किया।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button