अपने फैसलों के बारे में रात भर सोचते रहते हैं प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमण

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

रांची : देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमण ने शनिवार को कहा कि अधिकतर लोगों में यह गलत धारणा है कि न्यायाधीशों की जिंदगी बड़े ही आराम की होती है, जबकि वे अपने फैसलों के बारे में रात भर सोचते रहते हैं। रांची स्थित न्यायिक अकादमी में सत्यब्रत सिन्हा स्मारक व्याख्यान माला के उद्घाटन भाषण में न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘लोगों के मन में यह गलत धारणा है कि न्यायाधीशों की जिंदगी बड़े ही आराम की होती है, वे सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4.00 बजे तक अदालत में काम करते हैं और छुट्टियों का आनंद उठाते हैं।

लेकिन यह विमर्श असत्य है…जब न्यायाधीशों के आराम की जिंदगी जीने के बारे में असत्य विमर्श पैदा किया जाता है तो यह हजम हो पाना मुश्किल होता है।” उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की जिम्मेदारी बहुत ही कठिन है क्योंकि उनके फैसलों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा किसी आरोपी को सजा सुनाना, किसी बच्चे का संरक्षक अभिभावक तय करना, किसी किरायेदार या मकान मालिक के अधिकारों के बारे में फैसला सुनाना, जीवन बीमा के मुकदमे में किसी व्यक्ति या मनुष्य के जीवन के मोल का हिसाब लगाना… ये सब बहुत ही कठिन फैसले होते हैं, जिसका सीधा प्रभाव न्यायाधीशों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।” उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने फैसले के बारे में रात भर सोचते रहते हैं… और उच्चतम स्तर पर यह तनाव उतना ही अधिक होता है।’ न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘कई बार बड़े पारिवारिक कार्यक्रमों में भी हम नहीं शामिल हो पाते हैं। ”
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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