प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों की पुनर्स्थापना के लिए जी-जान से जुटी हुई है योगी सरकार

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

लखनऊ : कोरोना काल में भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आई भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों की पुनर्स्थापना के लिए प्रदेश की योगी सरकार जी-जान से जुटी हुई है। उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी की साल 2023-24 के लिए 11 अरब से अधिक रुपयों की कार्ययोजना को दो दिन पहले ही शासी निकाय ने अनुमोदन प्रदान कर दिया है। इसके बाद प्रदेश के आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर के कायाकल्प के दरवाजे खुल गये हैं। इसमें जहां कई जिलों में नये आयुर्वेदिक अस्पताल, मेडिकल कॉलेज बनने का रास्ता साफ हो गया है, वहीं होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति पर भी भारी-भरकम धनराशि खर्च हो सकेगी।

1138.5 करोड़ रुपए से आयुष का होगा कायाकल्प
योगी सरकार आयुष में शामिल आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए बीते 28 मार्च को अपनी 24वीं बैठक में कुल 1138.516 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना को अनुमोदित करते हुए शासी निकाय के सामने अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया था। इसमें आयुष सेवाओं के लिए 507.28 करोड़, फ्लैक्सी पूल के लिए 216.82 करोड़ रुपए, आयुष शिक्षा के लिए 209.37 करोड़ रुपए, स्टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट के लिए 9.6 करोड़ रुपए और अन्य देनदारियों के 195.42 करोड़ रुपए को शासी निकाय ने अनुमोदित कर दिया है।

आयुर्वेद के लिए 626 करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार
योगी सरकार प्रदेश में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए इस साल लगभग 626 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके अंतर्गत मौजूदा 552 हेल्थ केयर सेंटर्स पर 15 करोड़ से ज्यादा, 250 नये आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी पर 25 करोड़ से अधिक खर्च होंगे। इसके अलावा प्रदेश में मौजूद 4, 15 और 25 बेड के तकरीबन दो हजार आयुर्वेद सेंटरों और मेडिकल कॉलेज में जरूरी दवाओं को सुनिश्चित करने के लिए 73 करोड़ से अधिक धनराशि खर्च की जाएगी। वहीं चित्रकूट, सीतापुर, अलीगढ़, मुरादाबाद, एटा, भदोही, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद में 50 बिस्तरों वाले 8 आयुर्वेदिक अस्पताल के निर्माण के लिए सरकार 120 करोड़ रुपए खर्च करेगी। साथ ही उन्नाव, श्रावस्ती, हरदोई, गोरखपुर, संभल और मीरजापुर में निर्माणाधीन 50 बेड वाले आयुर्वेदिक अस्पतालों के बकाये 16 करोड़ से अधिक की धनराशि को खर्च करने की संस्तुति प्राप्त हो चुकी है। इसी प्रकार शामली, बाराबंकी, आजमगढ़ और उन्नाव में तीस बिस्तरों वाले इंटीग्रेटेड आयुष अस्पतालों के लिए 42 करोड़ रुपए का रास्ता साफ हो गया है।

यूनानी चिकित्सा के लिए 92 करोड़ रुपए होंगे खर्च
योगी सरकार इस साल प्रदेश में यूनानी चिकित्सा को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए 92 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च करेगी। इसमें कुशीनगर में यूनानी मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 70 करोड़ रुपए, मौजूदा 49 यूनानी हेल्थ केयर सेंटर्स के लिए 13 करोड़, यूनानी डिस्पेंसरियों में दवाओं को सुनिश्चित करने के लिए तकरीबन 2.2 करोड़ रुपए, 4 और 15 बिस्तरों वाले 181 यूनानी अस्पतालों के लिए 9 करोड़ रुपए से अधिक, दो यूनानी मेडिकल कॉलेज में दवाओं को सुनिश्चित करने के लिए 30 लाख रुपए, मौजूदा 25 यूनानी डिस्पेंसरियों के पुनर्निर्माण के लिए 7.5 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। ऐसे ही हापुड़, गौतमबुद्ध नगर, शामली, मैनपुरी, मथुरा, झांसी, चित्रकूट, इटावा, महाराजगंज में यूनानी मोबाइल मेडिकल यूनिट के लिए 84 लाख रुपए योगी सरकार खर्च करेगी। शासी निकाय की ओर से अनुमोदन प्राप्त हो गया है।

*होम्योपैथी पर 270 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करेगी सरकार*
प्रदेश में होम्योपैथी चिकित्सा को सुदृढ़ करने के लिए योगी सरकार इस साल 270 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करेगी। शासी निकाय से अनुमोदन मिलने के बाद अब 230 होम्योपैथिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए 6.2 करोड से अधिक, जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए तकरीबन 25 करोड़ रुपए, पुराने और जर्जर हो चुके होम्योपैथिक डिस्पेंसरियों के कायाकल्प के लिए 41 करोड़ रुपए से अधिक, बिजनौर और गाजीपुर में 50-50 बिस्तरों वाले दो डिस्पेंसरी के निर्माण के लिए 30 करोड़ रुपए, प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में होम्योपैथी मोबाइल यूनिट के लिए 75 लाख रुपए योगी सरकार की ओर से खर्च किये जाएंगे। वहीं प्रदेश के 1594 होम्योपैथी डिस्पेंसरियों और 9 होम्योपैथी कॉलेज को स्वच्छ-सुंदर बनाने के लिए योगी सरकार 57 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके अलावा होम्योपैथी शिक्षा को मजबूती देने के लिए सरकार 104 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करेगी। इसके अतिरिक्त अन्य मदों में भी करोड़ों रुपए के खर्च को शासी निकाय से अनुमोदन प्राप्त हो चुका है।

India Edge News Desk

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