इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति में सुर्खियां बटोर रही है अयोध्या
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
मुंबई : प्रभु श्रीराम की अयोध्या लंबे समय से भारत की राजनीति के केंद्र में रही है। लेकिन इन दिनों वही अयोध्या महाराष्ट्र की राजनीति में सुर्खियां बटोर रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अयोध्या के विवादित ढांचे को ढहाने का श्रेय शिवसैनिकों को देकर खुद को असली हिंदू सिद्ध करने का प्रयास करते रहते हैं, तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दावा कर चुके हैं कि ढांचा ढहने के दिन, यानी छह दिसंबर, 1992 को वह स्वयं अयोध्या में मौजूद थे। उस दिन उन्होंने शिवसेना के किसी नेता को अयोध्या में नहीं देखा। इन दिनों इन दोनों से अलग महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे भी अयोध्या जाने की योजना बना रहे हैं। जबकि कई लोग खुद को मुंबई के उत्तरभारतियों का हितैषी बताते हुए इन दिनों राज ठाकरे की प्रस्तावित अयोध्या यात्र का विरोध करते दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि वर्षो पहले मुंबई में उत्तरभारतियों को राज ठाकरे के हिंसक आंदोलन का शिकार होना पड़ा था।
दरअसल, अगले कुछ महीनों में ही महाराष्ट्र के कई प्रमुख नगर निगमों के चुनाव होने हैं। इनमें मुंबई महानगरपालिका भी शामिल है, जहां पिछले 30 वर्षो से शिवसेना सत्ता में है। कहा जाता है कि शिवसेना की जान मुंबई महानगरपालिका में ही बसती है। लेकिन मुंबई महानगरपालिका के पिछले चुनाव में भाजपा उनसे सिर्फ दो सीट पीछे रही थी। इस बार भाजपा शिवसेना को मुंबई महानगरपालिका की सत्ता से हटाने के लिए पूरा दम लगा रही है। शिवसेना के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने से लेकर समाज के अलग-अलग वर्गो को जोड़ने की कोशिश भाजपा द्वारा की जा रही है।
बीते दिनों ऐसा ही एक कार्यक्रम गोरेगांव उपनगर में ‘हिंदीभाषी महासंकल्प सभा’ के रूप में हुआ, जहां देवेंद्र फडणवीस सहित सभी भाजपा नेताओं ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। वास्तव में जब से नवनीत राणा एवं उनके विधायक पति रवि राणा को मुख्यमंत्री के निजी निवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा के बाद राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, तब से हनुमान चालीसा भी उद्धव ठाकरे को चिढ़ाने का एक माध्यम सी बन गई है। उद्धव ठाकरे इस चिढ़ से ही पीछा छुड़ाने के लिए बार-बार यह कहते सुनाई देते हैं, उन्हें हिंदुत्व किसी से सीखने की जरूरत नहीं है। उद्धव ठाकरे यह दावा करके कांग्रेस-राकांपा जैसे सेक्युलर दलों के साथ सरकार चलाते हुए भी शिवसेना का हिंदुत्ववादी चेहरा लगाए रखना चाहते हैं।
इन दिनों राज ठाकरे की सक्रियता भी उद्धव ठाकरे की मुसीबत बढ़ानेवाली लग रही है। क्योंकि जो शिवसैनिक हिंदुत्व के प्रति उद्धव ठाकरे की उदासीनता के कारण भाजपा के साथ नहीं जाना चाहते, वे राज ठाकरे के साथ जा सकते हैं। हाल ही में मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने के लिए राज ठाकरे द्वारा चलाया गया आंदोलन ऐसे शिवसैनिकों को काफी आकर्षित कर रहा है। इसी बीच राज ठाकरे ने भी अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने की घोषणा कर दी है। जिसे लेकर मुंबई से उत्तर प्रदेश तक एक तबका राज ठाकरे का विरोध कर रहा है। उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह ने कहा है कि राज ठाकरे के अयोध्या आने पर वह उनका विरोध करेंगे।
मुंबई भाजपा के भी एक प्रवक्ता संजय ठाकुर ने यह कहते हुए राज ठाकरे की अयोध्या यात्र का विरोध किया है कि उन्हें अयोध्या जाने से पहले उत्तरभारतियों के साथ उनके लोगों द्वारा किए गए र्दुव्यवहार लिए माफी मांगनी चाहिए। जबकि देवेंद्र फडणवीस ने राज ठाकरे की प्रस्तावित अयोध्या यात्र का स्वागत करते हुए कहा है कि हर सनातनी हिंदू को अयोध्या में रामलला के दर्शन का अधिकार है। मुंबई से लेकर उत्तर प्रदेश तक भाजपा का ही एक वर्ग यह जानते हुए भी राज ठाकरे की अयोध्या यात्र का विरोध कर रहा है कि महाराष्ट्र में राज ठाकरे के उभार से भाजपा को ही फायदा पहुंच सकता है। जबकि मुंबई के जिस उत्तरभारतीय समाज का हितैषी बनकर यह वर्ग राज ठाकरे का विरोध कर रहा है, वह रविवार को भाजपा के ही एक वरिष्ठ हिंदीभाषी नेता आरयू सिंह द्वारा आयोजित ‘हिंदीभाषी महासंकल्प सभा’ में हनुमान चालीसा का पाठ करता दिखाई दे रहा था और राज ठाकरे के मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के आंदोलन से भी खुश नजर आ रहा था।
(जी.एन.एस)