समुद्री सुरक्षा के लिए परिचालन गतिविधियों में तेजी ला रही हैं भारत-अमेरिका सेनाएं : ऑस्टिन

समुद्री सुरक्षा के लिए परिचालन गतिविधियों में तेजी ला रही हैं भारत-अमेरिका सेनाएं : ऑस्टिन
अमेरिकी संसद में मंदिरों पर हमले और हिंदूफोबिया की आलोचना करने वाला प्रस्ताव पेश

ज्यादातर भारतीयों ने 'मजबूत' नेता का समर्थन किया, सरकार के कामकाज पर संतोष जताया : अध्ययन

लंदन,
 भारत की ज्यादातर आबादी एक ''मजबूत'' नेता चाहती है और वह राष्ट्रीय सरकार के कामकाज से संतुष्ट है। दुनिया के तीन सबसे बड़े लोकतंत्र समेत 19 देशों में मतदाताओं को लेकर किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस' (इंटरनेशनल आइडिया) द्वारा बृहस्पतिवार को 'लोकतंत्र की धारणाएं : दुनियाभर में लोकतंत्र का आकलन किए जाने के बारे में एक सर्वेक्षण', नामक रिपोर्ट जारी की गयी। इंटरनेशनल आइडिया की स्थापना दुनियाभर में स्थायी लोकतंत्र का समर्थन करने के उद्देश्य से 1995 में की गयी थी।

भारत, अमेरिका, डेनमार्क, इटली, ब्राजील, पाकिस्तान और इराक समेत 19 देशों में सर्वेक्षण किया गया। ताइवान, चिली, कोलंबिया, द गाम्बिया, लेबनान, लिथुआनिया, रोमानिया, सेनेगल, सिएरा लियोन, सोलोमन आइलैंड्स, दक्षिण कोरिया और तंजानिया में भी सर्वेक्षण किया गया।

अध्ययन में कहा गया है कि जिन देशों में सर्वेक्षण किया गया, उनमें लोग अपनी सरकारों से आम तौर पर संतुष्ट होने के बजाए अधिक अंसतुष्ट दिखाई दिए। हालांकि, ''भारत और तंजानिया में लोग अपनी सरकारों के प्रति संतुष्ट दिखाई दिए।'' इसमें कहा गया है कि भारत और तंजानिया में क्रमश: 59 प्रतिशत और 79 प्रतिशत लोगों ने अपनी राष्ट्रीय सरकारों के प्रति संतोष या पूरी तरह संतोष जताया।

अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घरेलू स्तर पर स्वीकृति रेटिंग लंबे समय से 66 प्रतिशत या उससे अधिक पर बनी हुई है। इसमें कहा गया है कि कई भारतीय एक ''मजबूत'' नेता चाहते हैं। 95 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में कहा गया है, ''19 में से 8 देशों में अधिकतर लोग एक 'मजबूत नेता'' चाहते हैं। ऐसा कोई देश नहीं है जहां बहुसंख्यक उत्तरदाताओं के गैर-लोकतांत्रिक नेतृत्व के बारे में 'बेहद प्रतिकूल' विचार हों… उच्च स्तर के प्रतिनिधित्व वाले देशों में लोगों ने 'मजबूत नेता' का कम समर्थन किया लेकिन भारत और तंजानिया ने 'मजबूत नेता' का काफी समर्थन किया है।'' यह अध्ययन भारत में इस साल जनवरी में और अन्य देशों में पिछले साल किया गया।

अमेरिकी संसद में मंदिरों पर हमले और हिंदूफोबिया की आलोचना करने वाला प्रस्ताव पेश

वाशिंगटन,
 अमेरिका में हिंदुओं और हिंदू धर्म के योगदानों का उल्लेख करते हुए एक प्रमुख भारतीय-अमेरिकी सांसद ने 'हिंदूफोबिया', हिंदू-विरोधी कट्टरता, नफरत और असहिष्णुता की निंदा करते हुए प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया है।

कांग्रेस सदस्य थानेदार द्वारा  पेश किए गए प्रस्ताव को सदन की निरीक्षण और जवाबदेही समिति के पास भेजा गया है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका में सकारात्मक योगदानों के बावजूद हिंदू-अमेरिकियों को अपनी विरासत और प्रतीकों के बारे में रूढ़िवादिता और दुष्प्रचार का सामना करना पड़ता है तथा वे स्कूलों और कॉलेज परिसरों में छेड़छाड़ के साथ ही भेदभाव, घृणा भाषण तथा पूर्वाग्रह से प्रेरित अपराधों का सामना करते हैं।

प्रस्ताव में कहा गया है कि संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की घृणा अपराध सांख्यिकीय रिपोर्ट के अनुसार, मंदिरों और व्यक्तियों को निशाना बनाने वाले हिंदू विरोधी घृणा अपराध हर साल बढ़ रहे हैं जबकि इसके साथ ही अमेरिकी समाज में 'हिंदूफोबिया' (हिंदू विरोधी या हिंदुओं के प्रति घृणा की भावना) दुर्भाग्यपूर्ण रूप से बढ़ रहा है।

इसके अनुसार, अमेरिका ने 1900 के बाद से दुनिया के सभी हिस्सों से 40 लाख से अधिक हिंदुओं का स्वागत किया है जिसमें विभिन्न नस्ल, भाषा और जातीय पृष्ठभूमि के हिंदू शामिल हैं। प्रस्ताव के अनुसार, अमेरिका की अर्थव्यवस्था के प्रत्येक आयाम और प्रत्येक उद्योग में हिंदू-अमेरिकियों के योगदान से देश को काफी फायदा हुआ है।

'फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज' के नीति एवं रणनीति प्रमुख खांडेराव कांड ने कहा कि इस साल की पहली तिमाही में श्रद्धालुओं को डराने के लिए अमेरिका में मंदिरों में चोरी के साथ ही तोड़फोड़ की घटनाओं में अचानक वृद्धि हुई है।

 

समुद्री सुरक्षा के लिए परिचालन गतिविधियों में तेजी ला रही हैं भारत-अमेरिका सेनाएं : ऑस्टिन

वाशिंगटन
 अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सांसदों से कहा कि भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाकर, दोनों देश व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अधिक स्थिर शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

उन्होंने रक्षा विभाग के वार्षिक बजट पर इस सप्ताह कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों को बताया कि अमेरिका और भारत की सेनाएं हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए परिचालन गतिविधियों में तेजी ला रही हैं।

ऑस्टिन ने कहा, ''भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाकर, हम व्यापक हिंद-प्रशांत में अधिक स्थिर शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इस बजट अनुरोध के साथ, हम अपनी प्रमुख रक्षा साझेदारी के तहत अमेरिका-भारत संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं।''

रक्षा मंत्री ने कहा, ''हमारी सेनाएं हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अभ्यासों, सूचना-साझा करने और अन्य परिचालन गतिविधियों में तेजी ला रही हैं।''

ऑस्टिन ने कहा, ''हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अमेरिका-भारत की बढ़ती साझेदारी हमारे सहयोगियों और साझेदारों के व्यापक नेटवर्क खासतौर से ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच चतुष्कोणीय सुरक्षा संवाद के प्रयासों का समर्थन करे।''

हिंद-प्रशांत पर कांग्रेस की एक अलग सुनवाई में अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन सी एक्विलिनो ने सांसदों से कहा कि क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों के बीच मजबूत अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत के लिए आवश्यक है।

एक्विलिनों ने सांसदों से कहा कि 2021 में भारत के साथ अपने लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने एक भूमि सीमा कानून पारित किया, ''जिसमें दावा किया गया कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता पवित्र और अटूट है'' और इसमें सीमा सुरक्षा में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की अधिक संलिप्तता के लिए एक कानूनी रूपरेखा प्रदान की गयी है।

 

India Edge News Desk

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