चीन का नया दांव, कम्बोडिया में बना रहा है नौसैनिक अड्डा

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
कंबोडिया : समुद्र पर राज करने की महत्वकांशा रखने वाले चीन ने नया दाव चलते हुए कंबोडिया में नौसैनिक अड्डा बनाना शुरू कर दिया है। दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर पर कब्जे की योजना के तहत कंबोडिया में चीन के पैसे से नौसैनिक अड्डा बनाने के प्रॉजेक्ट की शुरुआत की गई। चीन के इस प्रोजेक्ट से अमेरिका और भारत की टेंशन बढ़ा दी है। अमेरिका को डर सता रहा है कि इस नौसेनिक अड्डे का इस्तेमाल चीन की सेना कर सकती है। कंबोडिया में बन रहा यह नौसैनिक अड्डा भारत के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है। इस अड्डे से भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह की दूरी मात्र 1200 किमी है।
हालांकि कंबोडिया और चीन दोनों ने ही नौसैनिक अड्डे के आरोप को खारिज कर दिया है। कंबोडिया ने कहा कि इस नौसैनिक अड्डे का विकास कोई रहस्य नहीं है। इस निर्माण कार्य के शुरू होने के दौरान कंबोडिया के रक्षा मंत्री टीआ बान्ह और चीन के राजदूत वांग वेनटिआन मौजूद थे। इस नौसैनिक बेस पर युद्धपोतों की मरम्मत, ड्राई डॉक, बालू को समुद्र से हटाया जाएगा ताकि बड़े-बड़े युद्धपोत भी वहां पर लंगर डाल सकें। चीन ने इसके लिए बड़ी-बड़ी मशीनों को नेवल बेस पर तैनात किया है।
चीनी राजदूत वांग ने कहा, ‘यह किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाकर नहीं किया गया है। यह दोनों ही सेनाओं के लिए मददगार होगा और इससे व्यवहारिक सहयोग हो सकेगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को अच्छे से पूरा किया जा सकेगा।’ कंबोडिया के रक्षा मंत्री ने कहा कि यह पूरा प्रॉजेक्ट चीन की आर्थिक मदद से अंजाम दिया जा रहा है। इसमें एक अस्पताल को अपग्रेड करना, सैन्य उपकरणों का दान और कंबोडिया के 8 युद्धपोतों को रिपेयर करना शामिल है।
बता दें कि यह अफ्रीका के जिबूती के बाद चीन का विदेश में दूसरा नौसैनिक अड्डा होगा। इससे पहले कंबोडिया के रिआम अड्डे पर बनाई जा रही नई सुविधाओं को ‘खासतौर’ पर चीन की नौसेना के लिए किया जा रहा है। यह नौसैनिक अड्डा हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से बेहद अहम थाइलैंड की खाड़ी में स्थित है। इसके ठीक दूसरी तरफ थाइलैंड है और उसके बाद अंडमान सागर स्थित है। अंडमान में ही भारत की तीनों सेनाओं की संयुक्त कमान स्थित है।
इस नौसैनिक अड्डे से अमेरिका और कंबोडिया के बीच रिश्ते कई वर्षों से तनावपूर्ण बने हुए हैं। अमेरिका को भय है कि इसे चीनी नौसेना के इस्तेमाल के लिए बदला जा सकता है। वह भी तब जब चीन सैन्य अड्डों के नेटवर्क से अपने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को बढ़ाने में लगा हुआ है। अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा है कि अमेरिका और इलाके के अन्य देशों ने इस प्रॉजेक्ट में पारदर्शिता की कमी, प्रकृति और दायरे को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगर चीन की नौसेना कंबोडिया के रिआम बेस पर मौजूद रहती है तो यह कंबोडिया की स्वायत्तता और क्षेत्रीय सुरक्षा को कमजोर करेगा।
(जी.एन.एस)