नहीं रहीं भरथरी व पंथी कलाकार अमृता बारले, लंबे समय से थीं बीमार
सीएम भूपेश बघेल ने जताया दुख, मिनीमाता राज्य अलंकरण सम्मान से सम्मानित, भरथरी और पंथी में देशभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली कलाकार अमृता बारले का निधन
दुर्ग : मिनीमाता राज्य अलंकरण सम्मान से सम्मानित, भरथरी और पंथी में देशभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली कलाकार अमृता बारले का निधन हो गया। वे 65 वर्ष की थी और बीते कुछ दिनों से बीमार थी। उन्होंने 70 के दशक में कई छत्तीसगढ़ी गीत गाए थे जो काफी मशहूर हुए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अमृता बारले के निधन पर दुख जताया।
नौ साल की उम्र से ही कला यात्रा शुरू हो गई थी :
बतादें कि अमृता बारले का जन्म ग्राम बठेना विकासखंड पाटन में 1958 में हुआ था। वे नौ साल की उम्र से ही उनकी कला यात्रा शुरू हो गई थी। छत्तीसगढ़ के विख्यात लोक गायक बैतल राम साहू के साथ कई लोक गीत गाए। इसमें तोला बंदत हंव बाबा, जय सतनाम, कइसे करों मैं मया के बखान, मैं तो जीयत हांवों जोड़ी मोर तोरे च खातिर एवं मोर बासी के खवाइया कहां गए रे आदि हैं।
इसमें से कइसे करों मैं मया के बखान गीत मुंबई में लता मंगेशकर के स्टूडियो में गाया था। अमृता बारले अपने माता पिता के साथ ही रहती थी। वर्तमान में वे अपने भाई लखन लाल के घर आशीष नगर रिसाली में निवासरत थी। उनका स्वास्थ्य खराब होने की वजह से शंकराचार्य अस्पताल जुनवानी में बीते आठ अक्टूबर को भर्ती कराया गया था। अंतिम संस्कार 13 अक्टूबर को होगा। उनके निधन से भिलाई- दुर्ग के कलाकार स्तब्ध हैं।
भरथरी विधा को दुनियाभर में नई पहचान दिलाने वाली, मिनीमाता राज्य अलंकरण सम्मान से सम्मानित राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध, भरथरी एवं पंथी कलाकार आदरणीय अमृता बारले दीदी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ।