जयपुर में स्ट्रीट डॉग समस्या पर बड़ा आंदोलन, मानवीय व वैज्ञानिक समाधान की उठी मांग

जयपुर
अल्बर्ट हॉल पर शनिवार को आयोजित एक बड़ी सार्वजनिक सभा में सैकड़ों नागरिक, सामुदायिक नेता और पशु-पर्यावरण संगठनों ने भाग लिया। सभा का उद्देश्य सुरक्षित और साझा सड़कों के लिए मानवीय तथा वैज्ञानिक समाधान की मांग करना था। यह आयोजन सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट में हाल ही में हुई सुनवाइयों के बाद हुआ, जिनमें सार्वजनिक स्थानों से स्ट्रीट डॉग्स को हटाने का मुद्दा उठाया गया था।
वक्ताओं ने कहा कि कुत्तों को हटाने से न तो काटने की घटनाएं घटती हैं और न ही रेबीज़ पर नियंत्रण होता है, बल्कि स्थिति और बिगड़ सकती है। शोध और अनुभव बताते हैं कि सबसे सुरक्षित शहर वही होते हैं, जहां बड़े पैमाने पर नसबंदी और टीकाकरण, जनजागरूकता, प्रभावी कचरा प्रबंधन और रेबीज़ उपचार की आसान पहुंच सुनिश्चित की जाती है।
आरटीआई से मिले आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में जयपुर में रेबीज़ से एक भी मौत दर्ज नहीं हुई है। इसी बीच मिशन रेबीज़ और हेल्प इन सफरिंग जैसे संगठनों ने एक बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत अगले एक वर्ष में 40,000 कुत्तों को टीका लगाने का लक्ष्य है। नगर निगम के अनुसार, शहर में करीब 50,000 स्ट्रीट डॉग्स हैं, यानी लगभग सभी को कवर किया जा सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जयपुर किसी संकट में नहीं बल्कि रेबीज नियंत्रण का मॉडल बनने की राह पर है।
सभा में यह भी बताया गया कि कुत्तों को हटाने से “वैक्यूम इफेक्ट” पैदा होता है, यानी हटाए गए क्षेत्रों में नए और बिना टीकाकरण वाले कुत्ते आ जाते हैं, जिससे काटने का खतरा और बढ़ जाता है। वहीं, आश्रयों में बंद करने से बीमारियां और मौतें बढ़ती हैं तथा यह एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम, 2023 का उल्लंघन भी है।
जयपुर नगर निगम ने नागरिक समूहों को भरोसा दिलाया कि कुत्तों को उठाने का कोई आदेश फिलहाल जारी नहीं किया गया है। सभा ने मांग की कि अदालतों के आदेशों पर रोक लगाई जाए और इसके बजाय वैज्ञानिक तरीकों से अगले 12 महीनों में कम से कम 70% कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण का लक्ष्य पूरा किया जाए। अभियानकर्ताओं ने यह भी कहा कि इस पहल को सफल बनाने के लिए जनता को रेबीज़ के बाद उपचार की सार्वभौमिक पहुंच, प्रभावी कचरा प्रबंधन और समुदाय में मानवीय शिक्षा को भी जोड़ा जाए।
सभा में बोलते हुए संताना ने कहा, “जन सुरक्षा और करुणा साथ-साथ चल सकती हैं। जयपुर ने पहले ही दिखा दिया है कि नसबंदी और टीकाकरण से सड़कें सुरक्षित हो सकती हैं। कुत्तों को हटाने से समस्या नहीं घटती, बल्कि नई समस्याएं खड़ी होती हैं। हमें वैज्ञानिक और मानवीय समाधान को ही आगे बढ़ाना चाहिए। सभा ने संकल्प लिया कि नागरिक और संगठन मिलकर स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत 2030 तक जयपुर को रेबीज़ मुक्त बनाने में सहयोग करेंगे।