जबलपुर में धान खरीदी में बड़ा घोटाला, जिला प्रशासन ने नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक समेत 74 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज

जबलपुर
 जबलपुर जिले में धान की खरीदी, परिवहन और मिलिंग में फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है। कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर इस फर्जीवाड़े में शामिल 74 लोगों के खिलाफ जिले के 12 थानों में एफआईआर दर्ज की गई है।

इस पूरे खेल में 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर, 25 सोसाइटी के 44 कर्मचारियों समेत 74 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। मामला दर्ज होते ही पुलिस ने आरोपितों की खोजबीन शुरू कर दी है। कई जगह छापेमारी भी की गई।

जिला प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ 12 थानों में केस दर्ज कराया है। आरोपियों ने फर्जी आरो के जरिए फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। इन 74 लोगों में नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक दिलीप किरार, निगम के 13 कर्मचारी, 17 राइस मिल संचालक और 44 सोसाइटी व उपार्जन केंद्र के कर्मचारी शामिल हैं।

बता दें कि जिले में पहले से ही 3 लाख 81 हजार मैट्रिक टन धान खरीदी में अनियमितताएं पाई गई थीं। इस मामले में 22 लोगों पर पहले ही एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इनमें समिति प्रबंधक, खरीदी केंद्र प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर और वेयर हाउस संचालक शामिल थे।

जिला प्रशासन को जांच में हेरा फेरी मिली पाटन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक अजय बिश्नोई की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने मामले की जांच की थी। जांच में पता चला कि मिलरों ने धान का उठाव नहीं किया और दलालों के माध्यम से धान की हेराफेरी की। दरअसल, समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान के लिए जिले के बाहर के 17 राइस मिलर्स से एग्रीमेंट किया गया था। इन्हें धान का उठाव करना था।

फर्जी नंबर वाले वाहनों से किया परिवहन जांच टीम ने जब टोल नाकों से धान परिवहन में इस्तेमाल किए गए ट्रकों की लिस्ट मंगवाई तो पता चला कि जिन ट्रक नंबरों से धान का परिवहन होना था वो टोल नाकों से गुजरे ही नहीं। बल्कि फर्जी रजिस्ट्रेशन वाली गाड़ियों के जरिए धान का परिवहन हो गया।

टोल नाकों से 614 ट्रिप में 15 ट्रक ही गुजरे टीम ने जब पूरे प्रकरण की छान बीन की तो पता चला कि 1 लाख 31 हजार क्विंटल से अधिक धान का परिवहन फर्जी नंबर वाले वाहनों से किया गया। वहीं जांच में टोल नाकों के सीसीटीवी फुटेज और टोल पर्ची से पता चला कि रजिस्टर्ड नंबर वाले ट्रकों के 614 ट्रिप टोल नाकों से गुजरने थे, लेकिन महज 15 ट्रक ही इन टोल नाकों से गुजरे थे।

मोबाइल बंद कर फरार हो गए

इधर, सुबह से ही जिला प्रशासन की कार्रवाई को लेकर हड़कंप मचा रहा। इसकी भनक लगते ही मिलर्स, सोसाइटी प्रबंधक, कम्प्यूटर ऑपरेटर और कर्मचारी अपने मोबाइल बंद कर फरार हो गए। इस फर्जीवाड़े की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन से जुड़े कर्मचारियों ने मिलर, सोसाइटियों के साथ मिलकर कागजों पर धान चढ़ाई, परिवहन किया और फर्जी रिलीज ऑर्डर काटे। करीब 30 करोड़ 14 लाख की धान कागजों पर खरीद ली गई। इसमें से करीब 14 करोड़ की धान जबलपुर के बाजार में ही बेंची गई और शेष 16 करोड़ की धान को आनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया।
स्थानीय दलालों को बेची धान

ग्वालियर, उज्जैन, मुरैना, मंडला, मनेरी आदि स्थानों के मिलर्स द्वारा सोसाइटी से धान उठाने के बजाए स्थानीय दलालों को बेची गई। इन्होंने कागजों पर ट्रक से धान का फर्जी परिवहन दिखाया, जबकि न तो इन ट्रक का टोल कटा और न ही टोल कैमरे में दिखे।

जांच समिति ने यह गड़बड़ी पकड़ने के लिए धान का परिवहन करने वाले ट्रक का एनएचएआइ के टोल नाके से मूवमेंट की जांच की। परिवहन विभाग की सहायता से ट्रक की श्रेणी प्रकार और लोडिंग क्षमता की जांच में गड़बड़ी सामने आई और ट्रक यहां से गुजरे नहीं।

अधिकारियों-कर्मचारियों और मिलर्स की सांठगांठ आई सामने

जांच समिति ने जब पूरे फर्जीवाड़े के तार जोड़े तो कई अधिकारी, कर्मचारियों और मिलर्स की सांठगांठ सामने आई। इस दौरान 17 मिलर्स ने धान का परिवहन करने के बजाए उसे जबलपुर में ही बेच दिया। इसमें मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन के अधिकारी से लेकर ऑपरेटर और केंद्र प्रभारी व कंप्यूटर ऑपरेटर सीधे तौर पर शामिल रहे।

18 में से 17 राइस मिलर संचालक ने पूरा परिवहन का फर्जी रिकार्ड तैयार किया। इसके साथ ही 25 सोसायटियों यानी उपार्जन केंद्र द्वारा राइस मिलर संचालक और मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कारपोरेशन जबलपुर के कर्मचारियों के साथ मिलकर अन्य जिलों में धान बेचने का रिकार्ड तैयार कर उसे कागजों पर दिखाया गया। इन पर अधिनियम 1955 की सुसंगत धाराओं के तहत 12 आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं।

571 ट्रक फर्जी धान दिखाई

    17 मिलर ने यह फर्जीवाड़ा किया, इन्होंने टोल पर 571 ट्रक की फर्जी जानकारी दिखाई।
    धान ले जाने वाले जिन वाहनों का उपयोग किया गया, उन ट्रकों में कार के नंबर दिखाए गए।
    ऑनलाइन पोर्टल में 324 डीओ जारी हुए, जिसमें 14 हजार मीट्रिक टन धान थी।
    जांच टीम ने मोहतरा टोल, बहोरीपार टोल, सालीवाड़ा टोल और शहपुरा टोल की जांच की।

17 मिलर्स के साथ दलालों ने खेला फर्जीवाडे़ का खेल

जबलपुर की 25 सोसायटियों ने कम्प्यूटर ऑपरेटर के साथ मिलकर बड़ा खेल खेला। उन्होंने उपार्जन केंद्र के प्रभारी और उससे जुड़े वेयरहाउस संचालक के साथ मिलकर उपार्जन केंद्र ने जिस धान को आनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया, लेकिन भौतिक तौर पर वह है ही नहीं।

इनका फर्जी वाहन में परिवहन दिखाया। नागरिक खाद्य आपूर्ति निगम को जिन वाहनों के परिवहन की जानकारी भेजी गई, वह ट्रक की नहीं बल्कि कई कारों की थी। इतना ही नहीं फर्जीवाड़े में जबलपुर के दलाल भी शामिल रहे, जिन्होंने अन्य जिलों के मिलर्स को यहां लाया और फिर विभाग के बाबू और कर्मचारियों से लेकर सोसायटी प्रबंधक के साथ बैठक करवाई।

इन्हें प्रति धान बोरे के करीब एक हजार रुपये का कमीशन भी मिला, ताकि काम आसानी से हो सके। इस कमीशन की कई लोगों में बंदरबाट हुई। गौर करने वाली बात यह है कि इनमें कई उपार्जन समिति से जुड़े लोग भी शामिल हैं, जिन्हें अभी तक जांच के दायरे से बाहर रखा गया है, लेकिन इनकी भी गोपनीय जांच चल रही है।

India Edge News Desk

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