हक्‍कानी बनाम कंधारी गुट का विवाद गहराया, ISI के खेल से अफगानिस्‍तान में होगा तख्‍तापलट!

काबुल

अफगानिस्‍तान में साल 2021 में सत्‍ता में आए तालिबानी आतंकियों की सरकार के अंदर ही विवाद गहराता जा रहा है। तालिबान के हक्‍कानी और कंधारी गुट के अंदर तलवारें खिंच गई हैं। यह विवाद सत्‍ता के टकराव और वैचारिक मतभेदों की वजह से हो रहा है। तालिबानी सरकार का गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्‍कानी करीब 1 महीने से अफगानिस्‍तान से बाहर चल रहे हैं। यही नहीं उनके करीबी मुल्‍ला बरादर और अफगानिस्‍तान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्‍मद स्‍टानेकजई भी विदेश में ही रह रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि घोषित आतंकी हक्‍कानी की संयुक्‍त राष्‍ट्र से मिली छूट फरवरी महीने में ही खत्‍म हो गई है। इसके बाद भी वह दुबई में बने हुए हैं और बैठकें कर रहे हैं। राजधानी काबुल की बजाय कंधार शहर में रहने वाले तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबतुल्‍ला अखुंदजादा की खुलकर आलोचना करने के बाद उदारवादी स्‍टानेकजई भी इस समय यूएई भाग गए हैं।

बताया जा रहा है कि मुल्‍ला बरादर भी इसी तरह की वजहों से कतर पहुंचे हैं। तालिबान के सुप्रीम कमांडर और हक्‍कानी गुट के बीच विवाद की एक प्रमुख वजह लड़कियों की शिक्षा है। सीएनएन न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के बीच यह विवाद तब और गहराया जब आईएसआई समर्थित कंधारी गुट और हक्‍कानी को उनके अपने जिलों से हटा दिया गया और गवर्नर की नियुक्ति तक नहीं करने दी गई। यह विवाद तब गहरा रहा है जब कंधार में मौजूद हैबतुल्‍ला गुट पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी के प्रभाव में अपना प्रभुत्‍व बढ़ाने में जुट गई है।

हक्‍कानी की ताकत छीन रहा कंधारी गुट
वहीं हक्‍कानी गुट के बारे में कहा जाता है कि वे उदारवादी हैं और लड़कियों की शिक्षा समेत अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। कंधारी गुट चाहता है कि हक्‍कानी गुट की ताकत को कम किया जाए। कंधारी गुट ने महत्‍वपूर्ण सैन्‍य ठिकानों का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है और आत्‍मघाती बम हमलावरों के ट्रेनिंग अकादमी को कंधार शिफ्ट कर दिया गया है। यह सत्‍ता का टकराव दोनों गुटों के नेतृत्‍व में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। यह अब इस स्थिति में पहुंचता दिख रहा है जिसे सुधारा नहीं जा सकता है।

कंधारी गुट का आरोप है कि हक्‍कानी गुट एनजीओ के जरिए अंतरराष्‍ट्रीय सहायता के जरिए आने वाला पैसा बड़े पैमाने पर जमा कर रहा है। यही नहीं कंधारी गुट ने शरिया कानून को भी पूरी तरह से लागू नहीं किया है। यही नहीं कंधारी गुट ने हक्‍कानी को अपने जिले में ही अधिकारियों को नियुक्ति नहीं करने दे रहा है। कई सूत्रों का कहना है कि सिराजुद्दीन हक्‍कानी को कहा गया है कि वह अपनी अथॉरिटी को सौंप दें और लो प्रोफाइल होकर रहें। यही नहीं मीडिया में नहीं आएं और शरिया कानून को प्रभावी तरीके से लागू करें। तनाव के बीच हाल ही में सिराजुद्दीन हक्‍कानी के करीबी खलिल हक्‍कानी की हत्‍या कर दी गई। हैबतुल्‍ला अखुंदजादा आत्‍मघाती बम हमलावरों पर पूरा कंट्रोल करना चाहता है। वहीं हक्‍कानी अब यूएई में रहकर अपनी रणनीत‍ि बनाने में जुटा हुआ है।

India Edge News Desk

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