छत्तीसगढ़ में बड़ा उलटफेर, रिकाउंटिंग के बाद डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव 94 वोटों से हारे
अंबिकापुर सीट टीएस सिंह देव का गढ़ मानी जाती थी लेकिन बीजेपी ने यहां सेंध लगा दी है. टीएस सिंह देव की हार कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है
अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ में जैसे-जैसे वोटों की गिनती बढ़ती जा रही है, उसी रफ्तार से चौंकाने वाले नतीजे भी सामने आ रहे हैं. दरअसल, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव चुनाव हार गए हैं. वह अंबिकापुर सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार थे. बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल ने उन्हें चुनाव में हरा दिया है. कांग्रेस ने दोबारा गिनती की मांग की. दोबारा गिनती के बाद भी टीएस सिंह देव हार गए. हालांकि हार का अंतर जरूर कम हुआ. वह महज 94 वोटों से हार गए |
हार की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन वह
बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल से 8 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैंटीएस सिंहदेव कांग्रेस के अकेले बड़े नेता नहीं हैं जो चुनाव हारे हैं, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज चित्रकोट से और मंत्री अमरजीत भगत सीतापुर से हार गए हैं. इन दोनों की हार हुई है |
अंबिकापुर 2008 से कांग्रेस का गढ़ रहा है
वहीं, अगर टीएस सिंहदेव के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्हें सीएम की रेस में माना जा रहा था। टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ में ‘बाबा’ के नाम से मशहूर हैं. अंबिकापुर कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. 2003 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो यह सीट हमेशा कांग्रेस के कब्जे में रही है. परिसीमन से पहले आरक्षित अंबिकापुर सीट पर 2003 में बीजेपी के कमलभान सिंह ने कमल खिलाया था. 2008 में परिसीमन के बाद अंबिकापुर सामान्य सीट बन गई. 2008, 2013 और 2018 में लगातार तीन बार इस सीट से टी.एस.जीतते आ रहे थे लेकिन इस बार मामला उलटा पड़ गया है |
नामांकन दाखिल करते समय
टीएस सिंहदेव के पैर छुए थे राजेश अग्रवाल 2018 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। राजेश अग्रवाल टीएस सिंहदेव के करीबी माने जाते हैं। वहीं नामांकन दाखिल करने के दौरान भी दोनों की मुलाकात हुई थी, राजेश अग्रवाल ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया था. उस दिन दोनों काफी करीब से मिलते नजर आए. राजेश अग्रवाल लखनपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं।