बिल्किस बानो ने 13 मई के कोर्ट के आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नयी दिल्ली : 2002 के गुजरात दंगों की शिकार बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। बिल्किस ने 13 मई के कोर्ट के आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की है। इस आदेश के आधार पर बिल्किस को सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या का दोषी पाया गया। यह मामला आज मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उठाया गया। उन्होंने इस पर विचार कर सही बेंच के समक्ष रखने का आश्वासन दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच ने 13 मई को दोषियों में से एक राधेश्याम शाह की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि उसे 2008 में सजा मिली थी। इसलिए गुजरात में 2014 में बने नियम छोड़ने पर लागू नहीं होंगे बल्कि 1992 के नियम लागू होंगे।
15 अगस्त को गुजरात सरकार ने इसके आधार पर 14 साल की सजा पूरी कर चुके लोगों को रिहा कर दिया। 1992 के नियमों में आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों के लिए 14 साल बाद रिहाई का प्रावधान था, जबकि 2014 के नियम में मृत्युदंड के दोषियों को बाहर रखा गया था। बिलकिस बानो की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि जब मामला महाराष्ट्र में हो तो वहां नियम लागू होना चाहिए न कि गुजरात में। अब तक सुभाषिनी अली, मावी वर्मा, महुआ मोइत्रा समेत कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती दी थी। इस अर्जी पर सुनवाई चल रही है। अब बिलकिस बानो खुद कोर्ट पहुंची हैं और सुप्रीम कोर्ट के 13 मई के आदेश को वापस लेने की मांग की है।
2002 के गुजरात दंगों के दौरान, दाहोद जिले के रंधिकपुर गाँव की बिलकिस अपने परिवार के 16 सदस्यों के साथ, भागी के पास एक गाँव, छतपरवाड़ के खेतों में छिप गई।3 मार्च 2002 को, 20 से अधिक दंगाइयों ने उस पर हमला किया। 5 महीने की गर्भवती बिलकिस सहित कई और महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। इतना ही नहीं बिलकिस की 3 साल की बेटी समेत 7 लोगों की मौत हो गई थी। पीड़िता पर दबाव बनाने के लिए आरोपियों की शिकायत मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया। 21 जनवरी 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 2017 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा।