चामलियाल मेला : लगातार पांचवीं बार दरगाह के लिए पाकिस्तान की ओर से भेजी जाने वाली विशेष चादर नहीं आई

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

श्रीनगर : बाबा चामलियाल मेले को खास बनाती है, वह है इस शुभ मौके पर भारत-पाक के बीच होने वाला मिलाप। भले कुछ घंटों के लिए ही सही परंतु सरहद को पार कर कुछ पाकिस्तानी नागरिक पाक रेंजर्स के साथ भारतीय सरहद में प्रवेश करते हैं, हमारी मेहमाननवाजी कबूल करते हैं। सीमा पार पाकिस्तानी श्रद्धालुओं द्वारा प्यार से भेजी गई विशेष चादर को बीएसएफ को सौंपते हैं। बीएसएफ के अधिकारी भी पूरे सम्मान व श्रद्धा के साथ चादर को बाबा दलीप सिंह की मजार पर चढ़ाते हैं। बदले में पाकिस्तानी श्रद्धालुओं के लिए दरगाह से शरबत और शक्कर भेजी जाती है। यह मिलाप ही इस मेले को ऐतिहासिक बनाता है।

पाकिस्तानी रेंजरों ने चामलियाल मेले में शिरकत न कर मेले की पुरानी परंपरा को खत्म कर दिया। हालांकि पिछले दो वर्ष 2020 तथा 2021 में विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते मेला रद कर दिया गया था। दो वर्षों के लंबे अरसे के बाद बाबा चामलियाल जी का वार्षिक मेला उत्साह एवं गर्मजोशी के साथ शुरू तो हुआ। लेकिन मेले की पुरानी मीठी यादों को ताजा करने की जो श्रद्धालुओं ने उम्मीदें लगा रखी थी, वे धरी की धरी रह गई।

यह लगातार पांचवीं बार है जब दरगाह के लिए पाकिस्तान की ओर से भेजी जाने वाली विशेष चादर नहीं आई। बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजरों को मेले में शामिल होने का न्यौता भेजा था परंतु देर रात तक पाकिस्तानी रेंजरों ने इसे स्वीकार नहीं किया। पाकिस्तान के लोग तक इस बार भी शक्कर व शरबत से वंचित रह गए। हालांकि सीमा के उस पार पाकिस्तान में लगने वाले मेले में शामिल सैकड़ों लोग दरगाह की तरफ देख दुआ मांगते साफ नजर आ रहे थे।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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