राजिम विधानसभा से रोहित साहू देंगे विधायक अमितेश शुक्ला को टक्कर, जानिए पूरा समीकरण
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने टिकट वितरण पर बाजी मार ली है।भाजपा ने राजिम विधानसभा से रोहित साहू को उम्मीदवार बनाया है। 2018 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अमितेश शुक्ला ने भारतीय जनता पार्टी के संतोष उपाध्याय को 58132 वोटों के अंतर से हराकर सीट जीती थी।
राजिम: आगामी विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ में वापसी की उम्मीद कर रही भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को 21 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जहां वह 2018 में कांग्रेस से हार गई थी। सूची में 16 नए चेहरे हैं जबकि पांच उम्मीदवार पूर्व विधायक हैं . सूची में पांच महिलाएं शामिल हैं।
90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गई है। भाजपा ने जिन 21 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से दस अनुसूचित जनजाति (एसटी) और एक अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं। ये सभी 21 सीटें फिलहाल सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास हैं।
कांग्रेस के अमितेश शुक्ला ने भारतीय जनता पार्टी भारी अंतर से हराकर सीट जीती थी
राजिम छत्तीसगढ़ का एक विधानसभा क्षेत्र है. 2018 में, यह निर्वाचन क्षेत्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीता था। राजिम छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले के अंतर्गत आता है। 2018 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अमितेश शुक्ला ने भारतीय जनता पार्टी के संतोष उपाध्याय को 58132 मतों के अंतर से हराकर सीट जीती थी।
राजिम विधानसभा क्षेत्र महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार चुन्नी लाल साहू ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के धनेंद्र साहू को हराकर महासमुंद लोकसभा (एमपी) सीट से 90511 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
राजिम विधानसभा चुनाव परिणाम (2018):-
Candidate’s Name | Party | Level | Votes | Vote Rate % | Margin |
---|---|---|---|---|---|
Amitesh Shukla | INC | Winner | 99,041 | 56.00% | 58,132 |
Santosh Upadhyay | BJP | Runner Up | 40,909 | 23.00% | |
Rohit Sahu | JCC(J) | 3rd | 23,776 | 14.00% | |
None Of The Above | 4th | 4,844 | 3.00% | ||
Vishwanath Sonwani | IND | 5th | 1,474 | 1.00% | |
Bhushan Sahu | Bhartiya Shakti Chetna Party | 6th | 1,136 | 1.00% | |
Tejram Sahu Vidrohi | Communist Party Of India (Marxist-leninist) Red Star | 7th | 934 | 1.00% | |
Pardeshi Ram Dhruw | Gondvana Gantantra Party | 8th | 769 | 0.00% | |
Devraj Thakur | IND | 9th | 662 | 0.00% | |
Raja Thakur | AAP | 10th | 610 | 0.00% | |
Ganesh Soni Urf Baba | IND | 11th | 574 | 0.00% | |
Gopal Jethi | IND | 12th | 420 | 0.00% | |
Falendra Kumar Sahu | Pichhara Samaj Party United | 13th | 404 | 0.00% |
राजिम विधानसभा चुनाव परिणाम (2013):-
Candidate’s Name | Party | Level | Votes | Vote Rate % | Margin |
---|---|---|---|---|---|
Santosh Upadhyay | BJP | Winner | 69,625 | 47.00% | 2,441 |
Amitesh Shukla | INC | Runner Up | 67,184 | 45.00% | |
Dr. Shweta Sharma | IND | 3rd | 6,139 | 4.00% | |
Laxmi Upadhyay | GGP | 4th | 1,610 | 1.00% | |
Comrade Tejram Vidrohi | CPIM | 5th | 1,026 | 1.00% | |
Rajesh Sinha | BSP | 6th | 760 | 1.00% | |
Mukesh Pande | NCP | 7th | 714 | 0.00% | |
Chandrahas Sinha | IND | 8th | 638 | 0.00% | |
Bhuneshwar Yadav | RABP-ABBR54 | 9th | 575 | 0.00% | |
Praveen Dewangan | SP | 10th | 550 | 0.00% | |
Devnath Sahu | CSM-ABBR52 | 11th | 382 | 0.00% |
राजिम सीट पर क्या फिर दोहराया जाएगा इतिहास?
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की राजिम विधानसभा सीट पर्यटन के लिहाज से काफी मशहूर जगह है. राजनीतिक लिहाज से देखें तो ये सामान्य सीट है।
इस सीट पर पिछले चार चुनावों में दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. ख़ास बात ये है कि कोई भी पार्टी लगातार यहां जीत दर्ज नहीं कर पाई है..।
तीर्थ नगरी राजिम का नहीं हो पाया बहुमुंखी विकास:
इस विधानसभा से आने वाले नेताओं की पूछ परख बढ़ जाती है, लेकिन चुनाव बीतने और सरकार बननेके बाद राजिम विधानसभा की तस्वीर बदलती नहीं दिखती। आईए जानते हैं इस बार कैसा हैराजिम विधानसभा का हाल, गरियाबंद जिला मुख्यालय का शहर राजिम विधानसभा में आता है. वहीं इसकी अंतिम सीमा महानदी के बीच स्थित है. नदी के उस पार अभनपुर विधानसभा का नया पारा आता है। वहीं पैरी नदी के दूसरी तरफ कुरूद विधानसभा लगता है।
राजिम विधानसभा के मुद्दे और समस्याएं :
कृषि प्रधान इलाका होने के कारण इस क्षेत्र में किसानों से जुड़ी समस्याएं और मुद्दे चुनाव में हावी रहते हैं, लेकिन अब यहां की जनता उद्योग को लेकर भी सरकार से सवाल पूछ रही है, क्योंकि उद्योग नहीं होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए दूसरे जिले या राज्य में पलायन करना पड़ता है। राजिम को तीर्थस्थल घोषित करने के बाद करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए हैं, लेकिन तीर्थ नगरी के लोगों की समस्याओं को नहीं सुना गया, इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी,शिक्षा और उद्योगों की कमी का मुद्दा राजिम विधानसभा में जमकर उठेगा।
मतदाताओं की स्थिति :
इस विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 20 हजार 713 है. जिसमें 109201 पुरुष और 111510 महिला मतदाता हैं. विधानसभा में 274 मतदान केंद्र हैं.जिनमेंसे 27 केंद्रों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है.इस बार करीब 20 हजार लोग पहली बार वोट डालेंगे। 80 वर्ष से अधिक मतदाताओं की संख्या 4018 है। विधानसभा में 1000 महिलाओं पर 1020 पुरूष हैं. 2018 के चुनाव में 82.86 प्रतिशत वोटिंग इस विधानसभा में हुई थी।
क्या है विधानसभा में जातिगत समीकरण ?
इस विधानसभा में जातीय समीकरण की बात करें तो सबसे ज्यादा मतदाता साहू समाज से हैं.साहू समाज के बाद सिन्हा समाज से जुड़े लोग इस विधानसभा में निवासरत है. कुल मिलाकर पिछड़ी जाति के वोटर्स यहां प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं। इसके बाद आदिवासी और सामान्य वर्ग के वोटर्स आते हैं. सूत्रों के हिसाब से रोहित साहू को टिकट देकर बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ पकड़ मजबूत कर ली है।
साल 2018 में चुनावी नतीजे :
राजिम के पिछले चुनाव नतीजों की बात करें तो कांग्रेस ने अमितेश शुक्ल को टिकट दिया था. वहीं बीजेपी की ओर से संतोष उपाध्याय ने कमान संभाली थी, चुनाव हुए तो अमितेश शुक्ल ने संतोष उपाध्याय को 58 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी. अमितेश शुक्ल को 99041 मत मिले थे. वहीं संतोष उपाध्याय को 40909 वोट मिले थे. 58132 वोटों से बीजेपी को ये सीट गंवानी पड़ी थी. 2013 के चुनाव में इस सीट से संतोष उपाध्याय विधायक बने थे।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों से जनता मायूस :
राजिम विधानसभा हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. लेकिन यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सके हैं. इस विधानसभा में ना तो कोई बड़ा उद्योग लगा ना ही रोजगार के साधन बनाए गए. इस विधानसभा की ज्यादातर आबादी खेती किसानी पर निर्भर है. चुनाव के दौरान किसानों से जुड़े मुद्दों को ही तवज्जो दी जाती है. इस विधानसभा में कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी
का कब्जा रहा है. लेकिन जब बात उद्योग की आती है तो दोनों ही दलों के जनप्रतिनिधियों के पास ठोस जवाब नहीं होता।