युवा रिसर्च में ऐसा विषय चुने जिसका लाभ समाज के अंतिम और गरीब व्यक्ति को भी मिल सके : डॉ. संजय तिवारी

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

भोपाल : विज्ञान किसी भी राष्ट्र की समृद्धि का मानक है यदि भारत को एक समृद्धशाली राष्ट्र बनाना है तो वैज्ञानिक राष्ट्र बनाना होगा। हम विज्ञान को उत्सव के रूप में मनाएंगे तो भारत को विश्वगुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता। भारत सबसे युवा देश है और देश के नव निर्माण में युवा वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। युवाओं से आग्रह है कि वे रिसर्च में ऐसा विषय चुने जिसका लाभ समाज के अंतिम और गरीब व्यक्ति को भी मिल सके। म.प्र. भोज यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. संजय तिवारी ने यह बात एसएटीआई कॉलेज में तीन दिवसीय 38वीं म.प्र. युवा वैज्ञानिक कांग्रेस साइंस फेस्टिवल के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही।

डॉ. तिवारी ने विज्ञान और इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आईटी, स्पेस, मैकेनिकल सहित सभी विश्व स्तरीय कंपनियों में भारतीय युवा प्रमुख जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। इनोवेशन ही है जो हमारे ज्ञान को धन में बदल सकता है। डॉ. तिवारी ने सर सी.वी. रमन के अनुसंधान का उल्लेख करते हुए कहा कि युवा वैज्ञानिकों को दूरदर्शिता के साथ अपने स्वयं के आइडिया के साथ आगे आना चाहिए और उसे अंत तक ले जाना चाहिए।

एनआईटीटीटीआर भोपाल के डायरेक्टर डॉ. सी.सी. त्रिपाठी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद वह संस्था है जो 38 वर्षों से युवा वैज्ञानिकों की खोज कर रही है। अब यह काम लगभग हर प्रदेश में होने लगा है। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से कहा कि वे अपने दिल की आवाज सुनें, मानवता की सेवा के लिए अनुसंधान करें और उसे प्रोडक्ट बनाने से पूर्व उसका पीछा न छोड़े।

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि इंटरनेट पर जितना कंटेन्ट मौजूद हैं उसमें से सिर्फ 0.2 प्रतिशत ही हिंदी में है। इसलिए जरूरी है कि युवा वैज्ञानिक अपनी मातृभाषा में रिसर्च पेपर लिखें और विश्व में भारतीय भाषाओं का मान बढाएँ। डॉ. कोठारी ने संस्था के कार्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारी संस्था युवा वैज्ञानिकों को 6 माह की फैलोशिप उपलब्ध कराती है, जिससे वे रिसर्च को बिना रूकावट पूरा कर सकें। अगले वर्ष हम इसरो और अमेरिका की नासा के साथ मिलकर निसर्ग उपग्रह लांच करने वाले है। इसी कार्यक्रम के लिए एमपीसीएसटी ने एक वेबसाइट बनाई है जो सारी जानकारी उलपब्ध कराएगी। युवा वैज्ञानिक हमारी संस्था से जुड़ कर नासा तक अपनी रिसर्च प्रस्तुत कर सकते हैं।

एसएटीआई के संचालक डॉ. आर.के. पंडित ने कहा कि अब समय बदल गया है। इसी कारण हम यहाँ हैं और हर क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि हमें किसी भी हाल में आत्म-निर्भर रूपी मंत्र को नहीं भूलना है। आत्म-निर्भर होने के लिए विज्ञान ही हमें लक्ष्य तक पहुँचाएगा।

समपान समारोह के विशेष अतिथि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के मेम्बर डॉ. एन.पी. शुक्ला ने कहा कि विज्ञान को उत्सव की तरह मनाएँ। विज्ञान को या रिसर्च को भारतीय भाषाओं में कम्प्यूटराइज्ड करना चाहिए।

एमपीसीएसटी भोपाल के पूर्व डायरेक्टर जनरल एवं बरकतरउल्लाह यूनिवर्सिटी भोपाल के पूर्व कुलपति प्रो. प्रमोद के वर्मा ने कहा कि रिसर्च एक सफर है जो स्वयं से शुरू होकर आइडिया, इनोवेशन, इन्क्यूबेशन और इम्प्लिमेंटेशन से होता हुआ प्रोडक्ट तक पहुँचता है। हमें अपनी रिसर्च में एन्वायरमेंट, एनर्जी, इकोनॉमिक्स और इथिक्स का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आर.एस. भारद्वाज ने 3 दिवसीय आयोजन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मनोज राठौर ने विजेता युवा वैज्ञानिकों और विज्ञान मॉडल विजेताओं की घोषणा की।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button