आरक्षण का रंगदार असर ,महिला बराबरी की नजीर बनी जतारा सीट
जिले की इकलौती सुरक्षित विधानसभा जतारा की चुनावी तस्वीर की प्रमुख दो दलों से महिला उम्मीदवारों ने अपनी ताकतवर हाजरी से रंगदार बना दिया है।

टीकमगढ़: जिले की इकलौती सुरक्षित विधानसभा जतारा की चुनावी तस्वीर की प्रमुख दो दलों से महिला उम्मीदवारों ने अपनी ताकतवर हाजरी से रंगदार बना दिया है।
राजनीति में महिलाओं को बराबरी का हक मिले
इसकी वकालत तो सभी दल करते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने रिजर्व सीट पर अपनी महिला उम्मीदवारी तय कर ये साबित कर दिया, कि विकास में पुरुषों के साथ महिलाओं का भी बराबरी का हक है।
भाजपा से चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक हरि शंकर के खाते में एक जीत और एक हार जुड़ी है। इसबार वे फिर चुनावी दंगल में असफल दांव लगाते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस से महिला उम्मीदवार किरण अहिरवार लोकसभा का चुनाव हार जाने के बाद
विधानसभा के चुनाव में ताल ठोककर अपनी जमीन तलाशने में कोई चूक नहीं कर रही हैं।पड़ोसी राज्य में सत्ता पर काबिज रही सपा ने आर. आर. वंसल को उतारकर अपनी दमदार हाजरी से लोगों को चौकन्ना कर दिया है।कभी भाजपा में अपनी जगह तलाशती अनीता प्रभुदयाल खटीक ने जातिगत समीकरणों पर समझ बनाते हुए अच्छा खासा दखल दे दिया है।
सही कसर भाजपा के रमेश प्रजापति ने निर्दलीय कूद कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है।
2013 में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल करके ये दिखा दिया था कि बदलाव किया जा सकता है। उसी उम्मीद में कांग्रेस की किरण अहिरवार लोगों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
सपा के वंसल ने उत्तर प्रदेश सूबे के मुख्यमंत्री रहे
अखिलेश की सभा कराकर यादव वोट की अपनी ताकत दिखाई हैं। जबकि लगातार क्षेत्र में दिखने बाली भाजपा से मोहभंग कर अनीता प्रभुदयाल ने आम आदमी पार्टी से चुनावी दंगल में अपने दांव दिखाना शुरू कर दिया है।
फिलहाल जतारा में सभी दल अपने-अपने रंग दिखा कर हालात पर
काबू पाने में कोई चूक नहीं करना चाहते हैं। हालिया तौर पर सब एक दूसरे में उलझे हैं, नतीजा क्या होगा….? इस पर राजनीति के जानकार भी अभी कयास लगाये जाने की कोशिश में जुटे दिखाई दे रहे हैं।