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रायपुर पुलिस की ट्रांसजेंडर सिपाही की कहानी

ताने सुने, घरों में नाच-गाना किया, जेंडर न पता चले इसलिए नौकरियां बदलीं; लेकिन शिक्षा को हथियार बनाया

रायपुर : छत्तीसगढ़ पुलिस में 13 ट्रांसजेंडर्स की भर्ती कॉन्स्टेबल पद पर हुई है। इसके बाद इन ट्रांसजेंडर पुलिसकर्मियों को राज्य के अलग-अलग जिलों में तैनाती दी गई है। इनमें से एक ट्रांसजेंडर कॉन्स्टेबल निशु से खास बातचीत की। जिसमें उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी कई कहानियों को शेयर किया।

रायपुर के पुरानी बस्ती थाना में कॉन्स्टेबल पोस्ट में तैनात निशु क्षत्रिय ने कहा कि समाज में ट्रांसजेंडर को हमेशा हीन भावना से देखा जाता रहा है। हमें भी नाकारा गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन ने हमारे अंदर काबिलियत देखी। फिर उन्होंने हमें मौका देने का सोचा। जिसकी बदौलत आज हम इस जगह पर पहुंचे हैं।

कुछ लोगों ने खूब ताने मारें, फिर गुरुओं के साथ रहने लगी :

निशु ने बताया कि बचपन से ही उसने बहुत संघर्ष किया है। निशु क्षत्रिय के पिता सरकारी नौकरी में थे। मां हाउस वाइफ है। निशु को मिलाकर घर में 5 बहनें और 1 बड़ा भाई है। उन्होंने बताया कि पेरेंट्स ने मुझे खुले दिल से हमेशा अपनाया। लेकिन समाज के कुछ लोग मेरे पेरेंट्स को भड़काने में लगे रहे। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की परवरिश करोगे तो समाज और बिरादरी में आपकी क्या इज्जत रहेगी! उन लोगों ने मुझे भी बहुत ताने मारे।

उसके बाद मैं अपने गुरुओं के पास रहने लगी। फिर वही से ही मैंने जीवन से जुड़ी बहुत सी चीज सीखी। पढ़ाई का महत्व समझा। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि हमारी जिंदगी में बहुत सी चुनौतियां होती हैं। हमें दो वक्त की रोटी के लिए लोगों के घरों में जाकर नाच गाना करना पड़ता है। लेकिन मैंने शिक्षा को अपना हथियार समझा। पढ़ाई की और आगे बढ़ी।

जेंडर का राज न खुल जाए, करके काम बदलती रही :

निशु ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि पहले मैं कपड़ा मार्केट में काम करती थी। फिर फैंसी स्टोर में काम किया। कुछ महीने शहर के फूड कैफे में भी काम किया। मैंने कपड़े और फैंसी दुकान पर अपने जेंडर के बारे में चर्चा तक नहीं की। मैं नहीं बताना चाहती थी कि मैं एक ट्रांसजेंडर हूं। जिससे वे मुझे काम में नही रखते। रोजी-रोटी का सवाल था। कुछ दिनों बाद जब दुकान मालिक इसे भांपते तो मैं काम छोड़ देती।

एसएसपी ने बधाई दी तो कॉन्फिडेंस बढ़ गया :

निशु ने कहा कि पोस्टिंग होने के बाद रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने सभी ट्रांसजेंडर्स को अपने ऑफिस बुलाया। उन्होंने हमें बधाई देते हुए बेहतर तरीके से काम करने के लिए मोटिवेट किया। हमारी भी कोशिश है कि हम भी अनुशासन और मर्यादा में रहकर हमेशा समाज के हित में काम करेंगे। हम ट्रांसजेंडर्स की जिंदगी में बदलाव के लिए ये कदम पुलिस प्रशासन ने बढ़ाया है। अब हम भी भविष्य में आने वाले ट्रांसजेंडर्स के लिए एक सीख बनना चाहेंगे।

ट्रांसजेंडर्स कॉलम से फॉर्म भरा और सिलेक्ट हुए :

उन्होंने बताया कि इस सफलता के लिए मितवा समिति की विद्या राजपूत ने हमेशा सपोर्ट किया है। वे भी इस समुदाय से है। उन्होंने वकालत की है। वे लगातार मंत्रालय समेत सरकारी दफ्तरों में ट्रांसजेंडर्स की पुलिस में भर्ती के लिए कोशिश करती रही। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज 13 ट्रांसजेंडर्स की पुलिस विभाग में भर्ती हुए हैं। हमने ट्रांसजेंडर के कॉलम से फॉर्म भरा और सिलेक्ट हुए।

छत्तीसगढ़ पुलिस ने की 2021 में भर्ती :

दरअसल, छत्तीसगढ़ पुलिस के आरक्षकों की भर्ती पोस्ट में 23 ट्रांसजेंडर्स के आवेदन आये थे। जिसमें से 2021 में 13 ट्रांसजेंडर कॉन्स्टेबलों की भर्ती की गई थी। इनकी करीब डेढ़ साल की फिजिकल और अन्य ट्रेनिंग के बाद इन्हें अलग-अलग जिलों में अब पोस्टिंग दी गई है। इनमें से 8 रायपुर में,1 धमतरी,2 राजनांदगांव,1 सूरजपुर तो वही एक को कोरबा में तैनात किया गया है।

India Edge News Desk

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