कांग्रेस का वोट मात्र 0.49%गिरा; बीजेपी के वोटों में 7.53 %की बढ़ोतरी हुई, जिससे उसे 54 सीटें ज्यादा मिल गईं.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट बैंक भले ही थोड़ा कम हुआ हो लेकिन बीजेपी को मिले बंपर वोटों से उसे नुकसान हुआ है. वोटिंग में जो भी बढ़ोतरी हुई, उसका फायदा बीजेपी को हुआ है. सपा, बसपा और आप अपना खाता भी नहीं खोल सके. दो दशक में यह पहली बार है कि एसपी-बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली है.

भोपाल: मध्य प्रदेश की जनता ने विधानसभा चुनाव में साफ कर दिया कि अब यहां दो दलीय राजनीति ही चलने वाली है. उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती सीटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का जो प्रभाव था, उसे भी जनता ने खत्म कर दिया है. उत्तर प्रदेश की ये दोनों पार्टियां एक-एक सीट के लिए तरस गईं. इतना ही नहीं नई राजनीति की बात करने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) अपना खाता भी नहीं खोल पाई |
230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में बीजेपी को 163 वोट मिले.
राज्य भर में, भाजपा को 48.55% वोट मिले, जो 2018 के 41.02 से 7.53% अधिक है। इससे भाजपा की सीटों में भारी उछाल आया और अब वह आसानी से सरकार बनाने की स्थिति में है। वहीं, कांग्रेस के वोट प्रतिशत की बात करें तो 0.49 %की मामूली गिरावट आई है। भाजपा को मिले अधिक वोट और इस आंशिक गिरावट के कारण कांग्रेस की सीटें घटकर 66 रह गईं। सबसे आश्चर्यजनक स्थिति उत्तर प्रदेश की प्रमुख पार्टियों – समाजवादी पार्टी औरपार्टी और बहुजन समाज पार्टी. पिछले दो दशकों से सीमावर्ती इलाकों में अपनी मौजूदगी बनाए रखने वाली ये पार्टियां इस बार अपना खाता भी नहीं खोल पाईं. जिस तरह 2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव और उससे पहले भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ था |
उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी नतीजे आ गए हैं. खास बात यह है कि पिछले चुनाव में दो सीटें जीतने वाली बसपा चार सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। कुछ हद तक उन्होंने अपनी उपस्थिति का एहसास भी कराया. समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी उस स्थिति तक भी नहीं पहुंच सकीं. सपा के अखिलेश यादव और आप के दो मुख्यमंत्रियों- भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल ने विंध्य में जगह बनाने की भरसक कोशिश की थी। कई रोड शो भी किए, लेकिन वह न तो वोट प्रतिशत बढ़ा सके और न ही उमड़ी भीड़ को सीटों में तब्दील कर सके।
बीजेपी को ऐतिहासिक वोट
मध्य प्रदेश में बीजेपी को कुल 48.55 %यानी मिले. 2.11 करोड़ वोट. वहीं, कांग्रेस को 40.40% यानी मिले. 1.75 करोड़ वोट. पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस को मिलने वाले वोट बढ़े हैं. कम नहीं हुआ है. प्रतिशत जरूर कुछ कम हुआ है. इससे पहले 1977 की जनता लहर में जनसंघ को 47.28 %वोट मिले थे. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 48.87% वोट मिले.
सैलाना में हुआ चमत्कार -रतलाम के सैलाना में
भारतीय आदिवासी पार्टी के कमलेश्वर डोडियार चुनाव जीत गए हैं। 2018 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इस बार उन्होंने भारतीय आदिवासी पार्टी का बैनर थामकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उनके अलावा न तो कोई स्वतंत्र पार्टी चुनाव जीत सकी और न ही किसी छोटी पार्टी को एक भी सीट मिली.