दलाई लामा बोले, सदियों पुरानी तिब्बती बौद्ध संस्था उनकी मृत्यु के बाद भी जीवित रहेगी

धर्मशाला
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को घोषणा की कि उनकी मृत्यु के बाद भी दलाई लामा की संस्था चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि गदेन फोडरंग ट्रस्ट को ही उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार होगा। गदेन फोडरंग ट्रस्ट की स्थापना तिब्बती संस्कृति को संरक्षित करने और तिब्बती लोगों के साथ-साथ अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए की गई थी, चाहे उनकी राष्ट्रीयता, धर्म या पृष्ठभूमि कुछ भी हो।

धर्मशाला के पास मैकलियोडगंज में तीन दिवसीय बौद्ध धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान दलाई लामा ने यह महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, “24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की बैठक में मैंने तिब्बत के अंदर और बाहर रहने वाले तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और तिब्बत से जुड़े लोगों के सामने यह स्पष्ट किया था कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखने का फैसला लिया गया है।” तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा कि उनकी मृत्यु के बाद भी दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार केवल गदेन फोडरंग ट्रस्ट को होगा।

6 जुलाई को 90 वर्ष के होने जा रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने धर्मशाला के मैकलियोडगंज में एक बौद्ध सम्मेलन के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने बताया कि 1969 में उन्होंने कहा था कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखने का फैसला तिब्बती लोगों और संबंधित समुदायों को करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 90 वर्ष की आयु के आसपास वे तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं, तिब्बती जनता और बौद्ध धर्म के अनुयायियों से इस पर चर्चा करेंगे।

हालांकि, पिछले 14 वर्षों में तिब्बती आध्यात्मिक नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, गैर-सरकारी संगठनों, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया, रूस के बौद्ध गणराज्यों और चीन के बौद्धों ने उन्हें पत्र लिखकर दलाई लामा की संस्था को जारी रखने की मांग की। खासकर तिब्बत में रहने वाले लोगों ने भी विभिन्न माध्यमों से यही अपील की। इन सभी अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए दलाई लामा ने पुष्टि की कि उनकी संस्था भविष्य में भी चलेगी।

उन्होंने यह भी दोहराया कि सितंबर 2011 में दिए गए बयान के अनुसार, भविष्य के दलाई लामा को मान्यता देने की जिम्मेदारी केवल उनके कार्यालय और गदेन फोडरंग ट्रस्ट की होगी। यह ट्रस्ट तिब्बती संस्कृति को संरक्षित करने और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए बनाया गया है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपनी संस्था और पुनर्जन्म की प्रक्रिया पर स्पष्ट बयान दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार गदेन फोडरंग ट्रस्ट को होगा। किसी अन्य व्यक्ति या समूह को इसमें हस्तक्षेप की अनुमति नहीं होगी।

दलाई लामा ने कहा कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं और शपथबद्ध धर्म रक्षकों के परामर्श से होगी। यह प्रक्रिया दर्शन, संकेत और आध्यात्मिक अनुष्ठानों पर आधारित होगी, जैसा कि तिब्बती परंपरा में होता है। उन्होंने जोर दिया कि दलाई लामा का पुनर्जन्म नियुक्त नहीं किया जाता, बल्कि इसे पवित्र प्रक्रिया के जरिए मान्यता दी जाती है। इस प्रक्रिया में केवल दलाई लामा ही अपने उत्तराधिकारी की पहचान कर सकते हैं।

 

India Edge News Desk

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