बहू ने घर छोड़ा… कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने सरकार से की यह मांग

नई दिल्ली

पिछले साल जुलाई में सियाचिन में आग लगने की घटना में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने सैनिक की मौत की स्थिति में परिवार के सदस्यों को वित्तीय सहायता के लिए बनाए गए कानून में परिवर्तन की मांग की है। उन्होंने भारतीय सेना के निकटतम परिजन (एनओके) मानदंड में बदलाव की मांग की है। एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में रवि प्रताप सिंह और उनकी पत्नी मंजू सिंह ने दावा किया कि उनकी बहू स्मृति सिंह ने उनका घर छोड़ दिया और अब उनके बेटे की मौत के बाद उन्हें ही अधिकांश अधिकार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास केवल एक चीज बची है, वह है उनके बेटे की दीवार पर टंगी हुई तस्वीर।

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "एनओके के लिए निर्धारित मानदंड सही नहीं है। मैंने इस बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बात की है। अंशुमान की पत्नी अब हमारे साथ नहीं रहती है। शादी को बस पांच महीने हुए थे। उनका कोई बच्चा भी नहीं है। हमारे पास केवल हमारे बेटे की एक तस्वीर है जो दीवार पर टंगी हुई है।"

उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि एनओके की परिभाषा तय की जाए। यह तय किया जाना चाहिए कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है, तो किस पर कितनी निर्भरता है।" शहीद कैप्टन की मां ने कहा कि वह चाहती हैं कि सरकार एनओके नियमों पर फिर से विचार करे, ताकि अन्य माता-पिता को परेशानी न उठानी पड़े।

क्या हैं एनओके नियम?
निकटतम परिजन किसी व्यक्ति के सबसे करीबी रिश्तेदार या कानूनी प्रतिनिधि होते हैं। सेना के नियम कहते हैं कि अगर सेवा में किसी व्यक्ति को कुछ हो जाता है, तो अनुग्रह राशि एनओके को दी जाती है। सरल भाषा में कहें तो यह बैंक नॉमिनी व्यक्ति की तरह ही है। जब कोई कैडेट या अधिकारी सेना में शामिल होता है, तो उसके माता-पिता या अभिभावकों का नाम एनओके में दर्ज होता है। जब वह कैडेट या अधिकारी शादी करता है, तो सेना के नियमों के तहत माता-पिता के बजाय जीवनसाथी का नाम निकटतम रिश्तेदार के रूप में दर्ज होता है।

कैप्टन अंशुमान सिंह सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में 26 पंजाब में मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात थे। 19 जुलाई 2023 को सुबह 3 बजे के आसपास भारतीय सेना के गोला-बारूद के भंडार में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। कैप्टन सिंह ने एक फाइबर ग्लास वाली झोपड़ी को आग की लपटों में घिरा हुआ देखा और तुरंत अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए काम किया। उन्होंने चार से पांच लोगों को सफलतापूर्वक बचाया। हालांकि, इस हादसे में उनकी जान चली गई।

उन्हें मरणोपरांत भारत के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन सिंह की पत्नी स्मृति और मां ने 5 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह पुरस्कार प्राप्त किया।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button