देश के सामने न्‍याय दिलाने में देरी एक बडी चुनौती है : प्रधानमंत्री

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि लोगों को त्‍वरित न्‍याय दिलाने के लिए राज्‍यों में स्‍थानीय स्‍तर पर वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को बढावा देने की जरूरत है। उन्‍होंने तेजी से मुकदमों को निपटाने के लिए लोक अदालतों की भूमिका की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने वर्चुअल माध्‍यम से गुजरात में केवडिया के एकता नगर में विधि मंत्रियों और सचिवों के सम्‍मेलन का उदघाटन किया।
सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश के सामने न्‍याय दिलाने में देरी एक बडी चुनौती है। उन्‍होंने गुजरात में शाम को भी अदालत में कामकाज शुरू करने की प्रशंसा की।

श्री मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्‍य मौजूदा कानूनों की समीक्षा करें और औपनिवेशिक काल के पुराने तथा अप्रासंगिक कानूनों को रद्द करें। उन्‍होंने उल्‍लेख किया कि लोगों के जीवन स्‍तर में सुधार लाने के लिए केन्‍द्र सरकार ने पिछले आठ वर्षों में डेढ हजार से अधिक पुराने कानूनों और 32 हजार से अधिक कानूनी बाधाओं को हटाया है।

प्रधानमंत्री ने उच्‍च न्‍यायालयों की संयुक्‍त बैठक का जिक्र किया जिसमें उन्‍होंने विचाराधीन कैदियों का मुद्दा उठाया था। उन्‍होंने सभी संबद्ध पक्षों से आग्रह किया था कि वे ऐसे मामलों के तेजी से निपटारे के लिए काम करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्‍य सरकारों को विचाराधीन कैदियों के मामले में मानवीय दृष्टिकोण को ध्‍यान में रखते हुए काम करना चाहिए। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि समृद्ध राष्‍ट्र और समाज में समरसता बनाए रखने के लिए संवेदनशील न्‍यायिक प्रणाली अनिवार्य है।

न्‍याय व्‍यवस्‍था को आसान बनाने पर जोर देते हुए श्री मोदी ने न्‍यायालयों में मातृभाषा में कामकाज करने की हिमायत की। उन्‍होंने कहा कि कानून की भाषा न्‍याय दिलाने में अडचन न बने। ई-कोर्ट, मुकदमों का ऑनलाइन पंजीकरण और वर्चुअल माध्‍यम से सुनवाई से विचाराधीन मुकदमों की संख्‍या कम की जा सकेगी।

केंद्रीय विधि और न्‍याय मंत्री किरेन रिजिजू ने न्‍यायपालिका और कार्यपालिका में समन्‍वय पर जोर दिया ताकि न्‍याय दिलाने में देरी न हो।

इस सम्मेलन का आयोजन विधि और न्याय मंत्रालय ने किया है। सम्मेलन का उद्देश्य नीति निर्माताओं को भारतीय कानूनी और न्यायिक प्रणाली से संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है। इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करेंगे, नए विचारों का आदान-प्रदान और आपसी सहयोग बढाने पर चर्चा करेंगे। न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र जैसे मध्यस्थता पर भी सम्मेलन में चर्चा होगी।

 

India Edge News Desk

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