दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि क्यों न डीपीएस द्वारका को बंद कर दिया जाए

नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि क्यों न डीपीएस द्वारका को बंद कर दिया जाए। साथ ही छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करने को लेकर कहा कि प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए। हाई कोर्ट छात्रों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारका को फीस के लिए छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करने और क्लास में भाग नहीं लेने देने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट ने इसे अपमानजनक व्यवहार बताया। जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि छात्रों के साथ 'संपत्ति' जैसा व्यवहार करने वाले स्कूल को बंद कर दिया जाना चाहिए। कोर्ट छात्रों की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

हाई कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय किए जाने की जरूरत है कि स्कूल द्वारा छात्रों को प्रताड़ित न किया जाए। ऐसा लग रहा है कि स्कूल केवल पैसा कमाने की मशीन के रूप में संस्थान चला रहा था। कोर्ट की कार्यवाही के दौरान कई छात्र अपनी स्कूल यूनिफॉर्म में, किताबों और बैग के साथ अपने माता-पिता के साथ मौजूद थे।

जस्टिस दत्ता ने कहा, "मुझे चिंता है कि आपने छात्रों के साथ घटिया और अमानवीय व्यवहार किया। फीस का भुगतान करने में असमर्थता स्कूल को छात्रों के साथ इस तरह के अपमानजनक व्यवहार करने का लाइसेंस नहीं देती है।" हाई कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण-पश्चिम) के नेतृत्व वाली आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति की निरीक्षण रिपोर्ट का अवलोकन किया। इसमें फीस वृद्धि विवाद के दौरान छात्रों के खिलाफ कई भेदभावपूर्ण व्यवहारों को चिन्हित किया गया था।

ऐसे छात्रों के अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रशासन ने अनधिकृत शुल्क का भुगतान नहीं करने पर उनके बच्चों को परेशान किया। कोर्ट ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में स्कूल में चिंताजनक स्थिति का खुलासा हुआ है। कोर्ट ने संस्थान को निर्देश दिया कि वह विद्यार्थियों को लाइब्रेरी तक सीमित न रखे। उन्हें कक्षाओं में उपस्थित होने दे। उन्हें अन्य विद्यार्थियों से अलग न करे। उन्हें स्कूल में अपने दोस्तों के साथ बातचीत करने से न रोके तथा उन्हें अन्य सुविधाओं तक पहुंच से न रोके। कोर्ट ने कहा कि इस व्यवहार के लिए स्कूल के प्रिंसिपल पर आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

छात्रों के वकील ने दावा किया कि वे स्वीकृत फीस का भुगतान करने के लिए तैयार हैं। वहीं, स्कूल के वकील ने दलील दी कि छात्रों को दिसंबर में ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन वे मार्च तक बकाया भुगतान करने में विफल रहे। इसके बाद उन्हें स्कूल नहीं आने के लिए कहा गया। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के वकील ने कहा कि उन्होंने 8 अप्रैल को स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें प्रबंधन से सात दिनों के भीतर यह बताने को कहा गया था कि उसके खिलाफ मान्यता रद्द करने की कार्रवाई क्यों न की जाए।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button