अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर 18 नवंबर को सुनवाई करेगा दिल्ली हाईकोर्ट
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को 18 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियन प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर केंद्र के रुख का जवाब देने के लिये याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह का समय दिया। अग्निपथ योजना के विरूद्ध कई याचिकाओं के साथ-साथ पिछले कुछ विज्ञापनों के तहत सशस्त्र बलों के लिए भर्ती प्रक्रियाओं से संबंधित कई याचिकाओं के जवाब में दायर एक “समेकित” जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि योजना में कोई कानूनी कमी नहीं है।
सरकार ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा को बदलती सैन्य आवश्यकताओं के ‘‘अनुकूल, मजबूत एवं अभेद्य बनाने के लिए” अपने मुख्य कार्य के तहत यह नीतिगत फैसला किया गया है। अदालत ने कहा, “भारत संघ की तरफ से जवाब दाखिल किया गया है। जवाब दाखिल करने के लिये याचिकाकर्ता ने समय की मांग की है और दो हफ्ते का समय दिया जाता है।”
केन्द्र सरकार ने 14 जून को ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा की जिसके तहत साढ़े 17 साल से 21 साल तक के युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा और उनमें से 25 फीसदी सैनिकों को अगले 15 और साल के लिए सेना में रखा जाएगा। योजना की घोषणा के बाद कई राज्यों में इसे लेकर प्रदर्शन हुए थे।
सरकार ने हालांकि बाद में 2022 में भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा को बढ़ाकर 23 साल कर दिया। बुधवार को, एक पक्ष के वकील ने अदालत को सूचित किया कि अग्निपथ योजना से संबंधित मामलों की दो श्रेणियां हैं – एक जो योजना को प्रभावित करती है जबकि अन्य कुछ पहले के विज्ञापनों के तहत सशस्त्र बलों में भर्ती से संबंधित हैं – और उन्हें चाहिए अलग से सुना जाए।
(जी.एन.एस)